देवास जिला

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एक विचार जो आकाश बना
Posted on 16 Oct, 2013 12:17 PM जिस तरह औद्योगिक अर्थव्यवस्था में बिजली/ऊर्जा/ पेट्रोलियम पदार्थ critical input है उसी तरह कृषि अर्थव्यवस्था में पानी का critical input की तरह प्रयोग होता है।
रेवा सागर
Posted on 16 Oct, 2013 11:56 AM

पृष्ठ भूमि : एक परिदृश्य


कृषि प्रधान देश में कृषि की स्थिति क्या है जानने के लिए एक नजर डालते हैं कृषि से जुड़े कुछ तथ्यों पर –
1. प्रतिवर्ष भारत में लगभग 20 हजार किसान फसल खराब हो जाने और कर्ज नहीं चुका पाने के कारण आत्महत्या कर लेते हैं।
2. एक राष्ट्रीय सैंपल सर्वे के अनुसार 40 प्रतिशत किसान कृषि व्यवसाय को छोड़ना चाहते हैं।
बलराम और रेवा तालाब देखकर खुश हुए दाणी
Posted on 15 Oct, 2013 01:46 PM नौ गाँवों का भ्रमण किया प्रमुख सचिव कृषि ने
हरनावदा और गोरवा को विशेष उपलब्धि वाला बताया

तालाबों से बदला जीवन
Posted on 15 Oct, 2013 01:43 PM धर्माराव ने बलराम व रेवासागरों का अवलोकन किया, कपिलधारा योजना के कूप भी देखे
सभ्य समाज से क्यों हार गई सुमित्रा
Posted on 05 May, 2012 04:41 PM देवास के बरोठा गांव में वाल्मिकी समाज की सुमित्रा ने सदियों से चली आ रही जागीरी को खत्म करने की सोची और उसने बैंक से बीस हजार का लोन लेकर गांव वालों के भारी विरोध के बाद भी कपड़े की दुकान खोल ली। सुमित्रा के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी लगा कि यह पहल अब प्रदेश भर के लिए मिसाल का काम करेगी। सुमित्रा की दुकान से छह माह तक एक साड़ी तो दूर एक ब्लाउज, पेटीकोट तक नहीं बिका। इससे परेशान होकर सुमि
तस्वीर ही नहीं, बदल गई तकदीर भी
Posted on 30 Jan, 2012 01:01 PM

कृषि विभाग के सहायक निदेशक डॉ. अब्बास कहते हैं, ‘‘इन चारों गांवों में सौ फीसदी किसानों के खेतों में तालाब हैं चारों गांव में बने 400 से ज्यादा तालाबों के बनने से गांव में सबसे बड़ा बदलाव जैव विविधता में आया। तालाबों ने किसानों की तकदीर एवं गांव की तस्वीर बदल दी। उत्कृष्ट जैव विविधता, इतनी सुविधा एवं संपन्नता वाले गांव शायद ही कहीं दूसरी जगह हो।’’

जोश एवं जुनून के बेजोड़ संगम ने कुछ ऐसा कर दिखाया कि देवास जिले के एक नहीं, कई गांवों की तस्वीर एवं हजारों किसानों की तकदीर बदल गई। किसी गांव में सभी के पक्के मकान हो, आधे से ज्यादा के पास ट्रैक्टर हो, दर्जन भर से ज्यादा के पास टाटा सफारी सहित महंगी चार पहिया गाड़ी हो, दो पहिया गाड़ियों की संख्या घरों से ज्यादा हो, पानी की कोई समस्या नहीं हो और कुछ घरों में एसी भी लगी हो, तो यह विश्वास करना कठिन हो जाता है कि सचमुच में यह गांव ही है। पर इन सुविधाओं एवं संपन्नता वाला यह क्षेत्र टोंकखुर्द विकासखंड के धतूरिया, गोरवा, हरनावदा एवं निपानिया जैसे गांव ही हैं। इनके विकास से देश-दुनिया प्रभावित हुआ है। देश-विदेश की कई नामी संस्थाएं इनके विकास का अध्ययन कर रही हैं।

देवास जल परियोजना पर सवालों की बौछार
Posted on 15 Jul, 2011 08:56 AM

मध्य प्रदेश सरकार ने यह स्वीकार किया है कि बनाओ, चलाओ और सौंपो (बीओटी) मॉडल पर बनी राज्य की पहली निजी औद्योगिक जल आपूर्ति परियोजना की हालत ठीक नहीं है। इस परियोजना को लगाने और चलाने वाली कंपनी एमएसके प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड राजधानी भोपाल से 148 किलोमीटर दूर देवास औद्योगिक क्षेत्र में जरूरी पानी की आपूर्ति करने में सक्षम नहीं है। इस परियोजना के लिए देवास से 128 किलोमीटर दूर नेमावर गा

225 गांवों में बनेंगे तालाब
Posted on 25 Jun, 2009 09:21 AM
इंदौर जिला के करीब सवा दो सौ ऎसे गांवों को चिह्नित किया गया है, जहां एक भी तलाब नहीं है। इन गांवों में तालाब बनाने की स्वीकृति भी दी गई है। बोरवेल के स्थान पर खेत तालाब और कुआं निर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा। खोदे गए प्रत्येक कुएं तथा डगवेल को रिचार्ज करने पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। किसानों के लिए ये स्त्रोत सबसे ज्यादा उपयोगी हैं।
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