इंदौर जिला के करीब सवा दो सौ ऎसे गांवों को चिह्नित किया गया है, जहां एक भी तलाब नहीं है। इन गांवों में तालाब बनाने की स्वीकृति भी दी गई है। बोरवेल के स्थान पर खेत तालाब और कुआं निर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा। खोदे गए प्रत्येक कुएं तथा डगवेल को रिचार्ज करने पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। किसानों के लिए ये स्त्रोत सबसे ज्यादा उपयोगी हैं।
94 करोड से अधिक की राशि से होंगे जलाभिषेक कार्य
देवास। कलेक्टर सचिन सिन्हा ने जलाभिषेक अभियान पर आयोजित कार्यशाला में कहा कि जिले में जलाभिषेक अभियान के अंतर्गत वर्ष 2009-10 में 6 लाख से ज्यादा काम किए जाएंगे। इनकी लागत करीब 94 करोड 48 लाख रू. होगी। कलेक्टर सिन्हा ने कहा कि जिले में बीते सालों में जल संवर्धन के कार्य देश और प्रदेश के लिए मॉडल की तरह हैं, क्योंकि यहां किसानों की जनभागीदारी मिसाल बनकर सामने आई है। राज्य स्तर पर हुई जनभागीदारी का 50 फीसदी काम अकेले देवास जिले में हुआ है।जल संवर्धन पर फोकसजल संवर्धन ही कृषि की उन्नति का आधार है। कलेक्टर ने किसानों से आग्रह किया कि इस बार मानसून से पहले हमें ज्यादा से ज्यादा कामों का अंजाम देना है। ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के काम भी जल संवर्धन पर फोकस किए जाएंगे। पानी रोकने में तकनीक के साथ-साथ देशज और पारंपरिक ज्ञान का भी पूरा-पूरा इस्तेमाल किया जाएगा।
आसपास घास रोपण बहुत जरूरी
जल संवर्धन कार्यो में प्रत्येक कार्य स्थानीय परिस्थिति के अनुसार किए जाएं। तकनीक के साथ-साथ पानी रोकने में देशज और परंपरागत ज्ञान भी मदद करता है। जल संरचनाओं के आसपास घास का रोपण बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि घास एक ओर जहां मिट्टी को बहकर जाने से रोकती है, वहीं उसके ऊपर आने वाला बारिश का पानी सही ढंग से धरती में रंजता है।
-सुनील चतुर्वेदी, भू-जलविद् संस्था विभावरी
तालाब निर्माण से धरती में जल संचय
जिले में बडे पैमाने पर रेवा सागर, खेत तालाब और बलराम तालाब बनाए गए हैं। तालाब और कुआं निर्माण के लिए शासन किसानों को प्रोत्साहन दे रहा है। तालाब निर्माण से पानी का धरती में संचय बढेगा।
94 करोड से अधिक की राशि से होंगे जलाभिषेक कार्य
देवास। कलेक्टर सचिन सिन्हा ने जलाभिषेक अभियान पर आयोजित कार्यशाला में कहा कि जिले में जलाभिषेक अभियान के अंतर्गत वर्ष 2009-10 में 6 लाख से ज्यादा काम किए जाएंगे। इनकी लागत करीब 94 करोड 48 लाख रू. होगी। कलेक्टर सिन्हा ने कहा कि जिले में बीते सालों में जल संवर्धन के कार्य देश और प्रदेश के लिए मॉडल की तरह हैं, क्योंकि यहां किसानों की जनभागीदारी मिसाल बनकर सामने आई है। राज्य स्तर पर हुई जनभागीदारी का 50 फीसदी काम अकेले देवास जिले में हुआ है।जल संवर्धन पर फोकसजल संवर्धन ही कृषि की उन्नति का आधार है। कलेक्टर ने किसानों से आग्रह किया कि इस बार मानसून से पहले हमें ज्यादा से ज्यादा कामों का अंजाम देना है। ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के काम भी जल संवर्धन पर फोकस किए जाएंगे। पानी रोकने में तकनीक के साथ-साथ देशज और पारंपरिक ज्ञान का भी पूरा-पूरा इस्तेमाल किया जाएगा।
आसपास घास रोपण बहुत जरूरी
जल संवर्धन कार्यो में प्रत्येक कार्य स्थानीय परिस्थिति के अनुसार किए जाएं। तकनीक के साथ-साथ पानी रोकने में देशज और परंपरागत ज्ञान भी मदद करता है। जल संरचनाओं के आसपास घास का रोपण बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि घास एक ओर जहां मिट्टी को बहकर जाने से रोकती है, वहीं उसके ऊपर आने वाला बारिश का पानी सही ढंग से धरती में रंजता है।
-सुनील चतुर्वेदी, भू-जलविद् संस्था विभावरी
तालाब निर्माण से धरती में जल संचय
जिले में बडे पैमाने पर रेवा सागर, खेत तालाब और बलराम तालाब बनाए गए हैं। तालाब और कुआं निर्माण के लिए शासन किसानों को प्रोत्साहन दे रहा है। तालाब निर्माण से पानी का धरती में संचय बढेगा।
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