देहरादून जिला

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नदियों के किनारे चल पड़ी हैं पदयात्रियों की टोलियाँ
Posted on 08 Sep, 2011 10:46 AM

कोसी का जल प्रवाह यदि रुका तो सबसे पहले रामनगर की निकटवर्ती ग्रामीण बसाहटों पर संकट आयेगा और पी

मानसून में कई रूप दिखते हैं हिमालय के…
Posted on 30 Aug, 2011 04:53 PM

मानसून में हिमालय के कई रूप दिखते हैं। जरा-सा मौसम खुले तो समूचा पहाड़ पॉलिश किया सा लगता है और वहीं पल भर में मौसम ने करवट बदली और प्रकृति का दूसरा भयावह चेहरा सामने दिखता है। तूफानी बारिश के साथ ही चारों ओर फैला कोहरा अजीब सी सिहरन पैदा कर देता है। पर्वतारोहियों की एक टोली जब नंदा खाट की क्लाइंबिंग से वापस लौटी तो उनका रोमांच सुन, मन हिमालय में जाने के लिए बैचेन सा हो उठा। पर्वतारोही योगेश पर

लोहाजंग के पास
हिमालय आत्मा में बस जाता है
Posted on 22 Aug, 2011 06:36 PM

बात उन दिनों की है, जब मैं इंग्लैंड में रह रहा था। उन दिनों लंदन की भीड़भाड़ और भागमभाग के बीच मुझे हिमालय बहुत याद आता था। उन दिनों हिमालय की स्मृति सबसे ज्यादा तीव्र और स्पष्ट थी। मैं उन्हीं नीले-भूरे पहाड़ों के बीच पला-बढ़ा था। हिमालय मेरी धमनियों में बह रहे रक्त के साथ प्रवाहित था और अब हालांकि मैं उससे बहुत दूर पहुंच गया था और बीच में हजारों मील लंबा समंदर, मैदान और रेगिस्तान था, लेकिन हिम

हिमालय का एक सुंदर दृश्य
पत्तियों के पीछे पहाड़ थे
Posted on 22 Aug, 2011 05:02 PM

नींद खुली तो फैक्टरी के सायरन सरीखी वह दूरस्थ गूंज सुनाई दी, लेकिन वह वास्तव में मेरे सिरहाने मौजूद नींबू के दरख्त पर एक झींगुर की मीठी भिनभिनाहट थी। हम खुले में सो रहे थे। इस गांव में जब मैं पहली सुबह जागा था तो छोटी-छोटी चमकीली पत्तियों को देर तक निहारता रहा। पत्तियों के पीछे पहाड़ थे। आकाश के अनंत विस्तार की ओर लंबे-लंबे डग भरता हिमालय। हिंदुस्तान के अतीत की अलसभोर में एक कवि ने कहा था हजारो

ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में गंगोत्री
Posted on 22 Aug, 2011 11:12 AM देहरादून- गंगा के लिए खतरे की घंटी बज रही है। भारत की सदानीरा और सबसे अधिक पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी अपने जन्मस्थान से ही संकट में पड़ गई है। वैश्विक स्तर पर हो रहा ग्लोबल वार्मिंग तो गंगा के उद्गम स्थान गंगोत्री को प्रभावित कर ही रहा है, अत्यधिक मानवीय गतिविधियां भी इस स्थान को नुकसान पहुंचा रही हैं। बीती सदी भर हुए शोधों से साफ हो गया है कि भले ही किसी भी ग्लेशियर का पिघलना सतत और प्राकृतिक क्रिया है लेकिन जिस तेजी से गंगोत्री ग्लेशियर पिघल रही है उससे तो यह इशारा मिल रहा है कि आने वाली सदी से पहले ही दुनिया के चुनिंदा बड़े और खूबसूरत ग्लेशियर का वजूद बच नहीं पाएगा। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिंग के कारण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। यह खुलासा आईएमएफ, दिल्ली की टीम ने साल भर किए गहन अध्ययन के बाद किया है।
घटते ग्लेशियर के वजह से गंगा अब संकट में
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मौजूदा मसौदे पर एतराज दर्ज
Posted on 02 Aug, 2011 12:59 PM

पहले से ही हम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अनेकों कदम उठा रहे हैं। ऐसी दशा में पर्यावरण संरक्षण के नाम पर गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा।

देहरादून। इको सेन्सिटिव जोन उत्तरकाशी के बारे में मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया कि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मौजूदा मसौदे पर एतराज दर्ज किया जायेगा। उत्तरकाशी से गोमुख तक रहने वाले लोगों के हितों की अनदेखी नहीं होने दी जायेगी। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पहले ही भारत सरकार से अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। मुख्य सचिव ने सभी सबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे हर हाल में ड्राफ्ट के बारे में अपनी आपत्तियां अगले 22 जुलाई 2011 तक प्रस्तुत करें। इन आपत्तियों को संकलित कर उत्तराखण्ड सरकार का पक्ष वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जायेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि गंगा नदी के बीच से दोनों ओर 100 मीटर के दायरे में गतिविधियों पर रोक लगाये जाने पर उत्तरकाशी का जन जीवन प्रभावित होगा।

खाद्य सुरक्षा पर हमला
Posted on 29 Jul, 2011 11:57 AM

किसानों को अपने पिछले उत्पादन के बराबर पाने के लिए रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों को अधिक से अधि

जल विद्युत परियोजनाओं से त्रस्त किसान
Posted on 14 Jul, 2011 12:21 PM

उत्तराखंड में बन रही 558 जल-विद्युत परियोजनाओं के बारे में बहुत सारी अफवाहें हैं। सबसे बड़ी अफवाह यह है कि इन परियोजनाओं के लिये सरकार और उसके अफसर निजी कंपनियों से पैसा ले रहे हैं। जल-विद्युत बनाने और बेचने में बहुत अधिक फायदा है, जिसका एक छोटा सा भाग यदि योजना की स्वीकृति पाने के लिए नेता-अफसरों को दिया जाये तो वह फायदे का ही सौदा है। नदी का पानी, जिससे बिजली बनती है, लगातार मुफ्त मिलता रहता

जिसने विज्ञान को जनता का ककहरा बनाया है
Posted on 14 Jul, 2011 09:33 AM

वह किसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नहीं है। वह किसी वैज्ञानिक संस्थान में वैज्ञानिक भी नहीं है। उसे आपके-हमारे काम आ सकने वाला जनविज्ञानी कहा जा सकता है।

दाह संस्कार ने गंगा को मैला किया
Posted on 05 Jul, 2011 09:17 AM

गंगा तेरा पानी अमृत, आज ये पंक्तियां अतिश्योक्ति ही बनकर रह गई हैं। हर-हर गंगे की गूंज करने वाले भक्तों ने ही मां गंगा का आंचल मैला कर दिया है। संत तुलसीदास की जन्मस्थली सोरों और इसके आसपास के कछला और लहरा गंगा घाट भी इससे अछूते नहीं रहे। मुक्ति की युक्ति में हर रोज गंगा मैली हो रही है। गंगा के शुद्धिकरण को लेकर प्रदूषण बोर्ड या फिर प्रशासन का मस्तिष्क अभी भी साफ नहीं है। भले ही यहां औद्

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