चंबल

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क्या कोई मां से ऐसा बर्ताव करता है
Posted on 10 Sep, 2008 08:23 PM

भास्कर न्यूज/ कोटा। मैं चंबल हूं। मैं इस शहर की कब से प्यास बुझा रही हूं, अब तो बरस भी याद नहीं रहे। कोटा के लिए मुझे जीवन रेखा माना जाता है तो दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के लिए धरोहर। मेरा जल मूलत: शुद्ध, अलवण और गंगाजल के समतुल्य है, इसीलिए मुझे लोग चर्मण्यवती कहकर पूजते रहे हैं।

तैरना शान समझा जाता था

तब
चम्बल
Posted on 20 Feb, 2010 03:46 PM


इत यमुना उत नर्मदा, इत चम्बल उत टौंस,
छत्रसाल से लरन की, रही न काहू हौंस।

उज्जैन में पानी पर पहरा
Posted on 23 Jan, 2009 12:18 PM दिसंबर / प्रदेश में कम बारिश होने की वजह से करीब 35 जिले पानी के संकट से जूझ रहे हैं। एक-एक कर जल स्रोत सूख रहे हैं और पेयजल आपूर्ति करने वाले जल संग्रहण स्थलों में पानी निरंतर कम होता जा रहा है। इसका नतीजा है कि इन जिलों के अधिकांश हिस्सों में दो से तीन दिन में एक बार जलापूर्ति की जा रही है। ठंड के मौसम में भी यहां के जल के स्रोत सूखते जा रहे हैं। एक तरफ जहां इंदौर में फरवरी तक पानी का आपातकाल लग
राजस्थान की नदियां
Posted on 13 Oct, 2008 10:50 AM

- राहुल तनेगारिया

१) चम्बल नदी -

इस नदी का प्राचीन नाम चर्मावती है। कुछ स्थानों पर इसे कामधेनु भी कहा जाता है। यह नदी मध्य प्रदेश के मऊ के दक्षिण में मानपुर के समीप जनापाव पहाड़ी (६१६ मीटर ऊँची) के विन्ध्यन कगारों के उत्तरी पार्श्व से निकलती है। अपने उदगम् स्थल से ३२५ किलोमीटर उत्तर दिशा की ओर एक लंबे संकीर्ण मार्ग से तीव्रगति से प्रवाहित होती हुई चौरासीगढ़ के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है। यहां से कोटा तक लगभग ११३ किलोमीटर की दूरी एक गार्ज से बहकर तय करती है। चंबल नदी पर भैंस रोड़गढ़ के पास प्रख्यात चूलिया प्रपात है। यह नदी

माही नदी
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