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आधुनिक कृषि
Posted on 09 Apr, 2018 11:44 AM

दीर्घोपयोगी विकास की संकल्पना
Posted on 08 Apr, 2018 02:53 PM

मानव ने आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण उन्नति की है, विशेषकर पिछली दो सदियों में, विकास तथा सुख-साधन वाली जीवनशैली को निर्मित करने में बहुत सफलता पाई है। दुर्भाग्य से यह भौतिक विकास हमारे पर्यावरण को नकारने की कीमत पर हुआ है, जिससे सम्पूर्ण मानवता का भविष्य व सुख-समृद्धि ही दाँव पर लग गए हैं क्योंकि मानव द्वारा प्रकृति का अत्यधिक दोहन, पर्यावरण को विनाश की ओर ले जा रहा है। परिस्थितियां इतनी ख
समावेशी विकास व अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण का द्वन्द
Posted on 08 Apr, 2018 01:31 PM


यह पुस्तक पर्यावरण के प्रति संशय भरी दृष्टि रखने वाले व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति आस्थावान बनने के बारे में है, पर उस कहानी को कहने के लिये मुझे एकदम शुरू से आरम्भ करना होगा।

यूपीए सरकार के पुनः निर्वाचित होने के बाद 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मुझे पर्यावरण एवं वन विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद देने की पेशकश ने (जो कैबिनेट मंत्री के दर्जे से तनिक कमतर था) मुझे हैरान किया क्योंकि मेरी पृष्ठभूमि एक आर्थिक प्रशासक की थी। पहले मैं वाणिज्य एवं ऊर्जा विभाग में मंत्री रहा। सरकारी अधिकारी के तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय, योजना आयोग, उद्योग मंत्रालय और ऊर्जा सलाहकार परिषद में अपनी सेवाएँ दी थी।

ग्रीन सिग्नल्स
जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग
Posted on 07 Apr, 2018 06:29 PM

हरित क्रान्ति द्वारा खाद्य आपूर्ति में तिगुनी वृद्धि में सफल
cotton
लघु सिंचाई है भूजल संरक्षण की कुंजी
Posted on 06 Apr, 2018 03:51 PM

1. कृषि के लिये भूजल पर भारत की निर्भरता

जैवविविधता का संरक्षण
Posted on 06 Apr, 2018 03:50 PM

पौधों, जन्तुओं एवं सूक्ष्मजीवों सहित विभिन्न प्रकार के जीवधारी, जो इस ग्रह पर हमारे सहभागी हैं, संसार को रहने योग्य एक सुन्दर स्थान का रूप प्रदान करते हैं। सजीव जीवधारी पर्वतीय चोटियों से लेकर समुद्र की गहराइयों, मरुस्थलों से लेकर वर्षावनों तक लगभग सभी जगहों पर पाये जाते हैं। इनकी प्रकृतियों, व्यवहार, आकृति, आकार एवं रंग भिन्न-भिन्न होते हैं। जीवधारियों में पायी जाने वाली असाधारण विविधता हमा
वेदों में प्रदूषण-समस्या का समाधान
Posted on 06 Apr, 2018 02:18 PM


प्रो. ए.के. चोपड़ा1

पानी
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