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पूरब के बादर पश्छिम जायँ
Posted on 18 Mar, 2010 04:46 PM
पूरब के बादर पश्छिम जायँ, वासे वृष्टि अधिक बरसाय।
जो पश्चिम से पूरब जाय, वर्षा बहुत न्यून हो जाय।।


भावार्थ- यदि पूरब के बादल पश्चिम जा रहे हों तो वर्षा अधिक होगी और यदि पश्चिम के बादल पूरब की ओर जा रहे हों तो समझ लेना चाहिए की वर्षा बहुत कम होगी।

पौष अँध्यारी सत्तमी
Posted on 18 Mar, 2010 04:42 PM
पौष अँध्यारी सत्तमी, बिन जल बादर जोय।
सावन सुदि पूनो दिवस, बरखा अवसिहिँ होय।।


शब्दार्थ- सुदि – शुक्ल पक्ष।

भावार्थ- पौष कृष्ण सप्तमी को यदि जलविहीन बादल हों और वर्षा न हो तो सावन की पूर्णिमा को पानी निश्चित रूप से बरसेगा।

पहिला पवन पुरुब से आवे
Posted on 18 Mar, 2010 04:38 PM
पहिला पवन पुरुब से आवे।
बरसे मेघ अन्न झरि लावे।


भावार्थ- आषाढ़ माह में यदि पहली हवा पूरब से बहे तो वर्षा अधिक होगी और फसल की पैदावार भी अच्छी होगी।

पूस उजेली सत्तमी
Posted on 18 Mar, 2010 04:34 PM
पूस उजेली सत्तमी, अष्टमी नौमी गाज।
मेघ होय तो जान लो, अब सुभ होवै काज।।


भावार्थ- पौष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्टमी और नवमी को यदि बादल गरजे और बिजली चमके तो सभी कार्य सिद्ध होंगे अर्थात् सुकाल होगा।

पूस मास दसमी अँधियारी
Posted on 18 Mar, 2010 04:25 PM
पूस मास दसमी अँधियारी, बदली घोर होय कजरारी।
सावन बदि दसमी के दिवसे, भरे मेघ चारों दिसि बरसे।।


शब्दार्थ- बदि – बदी। कृष्ण पक्ष।

भावार्थ- यदि पौष मास के कृष्णपक्ष की दशमी को आकाश में काली घटायें छाई हों तो निश्चय ही श्रावण कृष्ण दशमी को चारों ओर वर्षा होगी।

पूरब धनुही पश्चिम भान
Posted on 18 Mar, 2010 04:18 PM
पूरब धनुही पश्चिम भान।
घाघ कहै बरखा नियरान।।


भावार्थ- घाघ का कहना है कि यदि सूर्यास्त के समय पूर्व दिशा में आकाश में इन्द्रधनुष दिखाई दे तो जल्दी ही वर्षा होने वाली है।

पानी बरसे आधे पूस
Posted on 18 Mar, 2010 04:09 PM
पानी बरसे आधे पूस।
आधा गेहूँ आधा भूस।।


भावार्थ- पौष महीने के मध्य में यदि वर्षा होती है तो गेहूँ की फसले में आधा अन्न और आधा भूसा होगा अर्थात् इस समय की वर्षा गेहूँ की फसल के लिए अच्छी होगी।

पूनो परिवा गाजे
Posted on 18 Mar, 2010 04:03 PM
पूनो परिवा गाजे। तो दिना बहत्तर नाजे।

भावार्थ- जब आषाढ़ की पूर्णिमा और प्रतिपदा (परिवा) के दिन बादल में गड़गड़ाहट के साथ बिजली चमके तो समझो बहत्तर दिन वर्षा होगी।

पछिवाँ के बादर
Posted on 18 Mar, 2010 03:55 PM
पछिवाँ के बादर, लबार के आदर।
भावार्थ- पश्चिम दिशा से उठा बादल उसी प्रकार कभी बरसता नहीं है जिस प्रकार लबार (झूठा) व्यक्ति का चाहे जितना आदर किया जाए वह कभी सच नहीं बोलता।

पौष अमावस मूल को
Posted on 18 Mar, 2010 03:45 PM
पौष अमावस मूल को, सरसै चारों बाय।
निश्चय बांधो झोपड़ी, बरखा होय सिवाय।


शब्दार्थ- सरसै-हवा का चारों ओर बहना। सिवाय – अधिक।

भावार्थ- यदि पौष की अमावस्या को मूल नक्षत्र पड़े और हवा चौतरफा डोलने लगे तो रहने के लिए झोपड़ी छा लेनी चाहिए क्योंकि वर्षा तेज होने की आशा है।

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