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भारत
कालबैसाखी की कालिमा यानी कालबैसाखी झंझावात क्या है (what is Kal Baisakhi thunderstorm)
Posted on 07 Jul, 2023 11:19 AMकाल की तरह आती है कालबैसाखी कहर बरपा जाती है। संत कवि तुलसीदास ने रामचरित मानस के अरण्यकांड में इसे 'धूरि पूरि नभ मंडल रहा' कहा है (आकाश धूलि धूसरित हो गया)। मार्च से मई तक के महीने मातमी माने जाते हैं। आकाश का उत्तरी-पश्चिमी आकर्षक छोर अचानक आक्रामक हो जाता है। गगनचुंबी बदरंग बादल गर्जन-तर्जन करने लगते हैं, कौंधती बिजली कड़कने लगती है, हुंकार भरती हवा के झोंके हू-हू करने लगते हैं, बलात बारिश क
वर्षा आधारित कृषि की भारतीय अर्थव्यवस्था में भूमिका
Posted on 06 Jul, 2023 04:03 PMपरिचय
वर्ष 2013-14 के दौरान भारत में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान (2004-05 मूल्यों के अनुसार) लगभग 14 प्रतिशत था। यद्यपि उद्योग जगत और सेवा क्षेत्र की अपेक्षा में यह योगदान कम है, परंतु यह विकास का आधार स्तंभ है। कुल श्रमिक शक्ति का लगभग 52 प्रतिशत भाग जीविका के लिए फार्म सेक्टर से रोजगार प्राप्त करता है एवं सामान्य भारतीय अपने कुल व्यय का लगभग आधा भाग ख
खाद्यान्न सुरक्षा और बदलता पर्यावरण
Posted on 06 Jul, 2023 12:11 PMधरती की आबोहवा बदल रही है और भविष्य की खाद्यान्न सुरक्षा खतरे में है। 132 करोड़ की जनसंख्या वाले देश के नीति-निर्माता और वैज्ञानिक परेशान हैं कि बढ़ती आबादी, शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के गिरते स्तर के कारण फसलोत्पादन में होने वाली गिरावट को कैसे रोका जाए।
जल प्रबंधन आज और कल
Posted on 04 Jul, 2023 03:04 PMसारांश
मनुष्य के शरीर का लगभग 70 प्रतिशत जल ही होता है। जल को लेकर ही हमारे देश ही नहीं अपितु विश्व में एक बहुत बढ़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। आज इसका निवारण ढूँढना प्राथमिकता के आधार पर अति आवश्यक हो गया है। हमारे देश में कुल जल का लगभग 76 प्रतिशत भाग मानसून के मौसम में बरसात से प्राप्त होता है। वर्तमान में भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 22 घन मीटर है,
भूमि जल में वृद्धि के लिए वर्षा जल के संचयन की तकनीकें
Posted on 03 Jul, 2023 03:28 PMप्रस्तावना
प्रगतिशील युग में जल की बढ़ती खपत बहुत ही स्वाभाविक प्रक्रिया है। हमारे देश की समस्याएं विविध एवं जटिल है क्योंकि भारतवर्ष में जल की उपलब्धता क्षेत्रीय वर्षा एवं भौगोलिक परिस्थितियों पर आधारित है। इसके साथ बढ़ती हुई जनसंख्या, शहरीकरण का बढ़ता क्षेत्र अपना प्रभाव जल की उपलब्धि एवं गुणवत्ता पर डाल रहे हैं।
पीने योग्य जल
Posted on 03 Jul, 2023 11:40 AMप्रस्तावना
जल जीवन है, मनुष्य, पशु और पेड़-पौधे इसी पर जीवित रहते हैं। इसलिए सृष्टि के अस्तित्व के लिए पर्याप्त मात्रा में शुद्ध जल की उपलब्धता अनिवार्य है। यह जरूरी है कि मनुष्य जो पानी पिए वह अवांछित अशुद्धियों और नुकसानदेह रसायनिक यौगिक और जीवाणुओं से मुक्त हो । लोगों को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध जल उपलब्ध कराने के लिए पीने योग्य जल की आपूर्ति की योजना बनाना
कैसे होगा भूजल पुनर्भरण
Posted on 24 Jun, 2023 04:07 PMयह आह्वान सरकार की चिन्ता का तो दर्शाता ही है साथ ही सूजल की गंभीर स्थिति को भी इंगीत करता हैं। आजादी के समय भारत में प्रतिव्यक्ति सालाना जल उपलब्धता 5000 घन मीटर थी जो अब घटकर 1760 घन मीटर पर पहुंच गई है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली-- जैसे दक्षेत्रों में तो यह 300 से 700 घन मीटर प्रति व्यक्ति पहुंच गया है। जल संसाधन मंत्रालय के वर्ष- -2004 के आकलन के अनुसार देश में 5723 ब्लॉक में से 106
जल संरक्षण में क्रांति ला रहे भारत के स्टार्ट-अप्स
Posted on 24 Jun, 2023 03:36 PMभारतीय स्टार्ट-अप देश के सामने जल की कमी की चुनौती का समाधान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये अभिनव उद्यम कुशल जल उपयोग को बढ़ावा देने, अपव्यय को कम करने और पानी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए प्रौद्योगिकी और रचनात्मक समाधानों का लाभ उठा रहे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 'मन की बात' के दौरान कुछ युवाओं के नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप के माध्यम से किए जा रहे सराहन
जल संरक्षण भारत के युवाओं के हाथ में समाधान का नेतृत्व
Posted on 24 Jun, 2023 03:17 PMपानी की कमी पूरी दुनिया में एक प्रमुख चुनौती है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। आबादी बढ़ने के साथ- साथ उद्योगों का विस्तार होता है और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बढ़ता है। इससे पानी की माँग तेजी से बढ़ रही है। हालाँकि इस परिदृश्य के बीच भारत के युवा एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में उभरे हैं, जो एक स्टेनेबल भविष्य के लिए इस बहुमूल्य संसाधन को संरक्षित करने का नेतृत्व कर रहे हैं।
कृत्रिम- भूजल पुनर्भरण
Posted on 24 Jun, 2023 01:15 PMप्रस्तावना
पिछली इकाई में आपको ताज जल की उपलब्धता के महत्वपूर्ण पहलुओं के बार में बताया गया था। देश में सिंचाई विकास के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य विभिन्न क्षेत्रों में जल की मांग तथा जल प्रदूषण संबंधी समस्या से भी आपको अवगत कराया जा चुका है।