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भारत
जहरीली हुईं गंगा- यमुना किनारे की सब्जियां
Posted on 30 May, 2011 09:42 AMनई दिल्ली/अगर आप बेहतर सेहत के लिए गंगा व यमुना तीरे पैदा होने वाले ताजे फल व सब्जियों को खा रहे हैं तो सावधान हो जाएं। आप गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। दरअसल, हरा व ताजा दिखने वाली इन सब्जियों व फलों में आर्सेनिक, फ्लोराइड व पारा जैसे खतरनाक तत्वों की अधिकता पाई जा रही हैं। कई तरह के औषधि गुणों वाले तुलसी का पौधा भी इन खतरनाक तत्वों के दायरे में आ चुका है।दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्य
पीपीपी मॉडल के विकल्प
Posted on 28 May, 2011 09:03 AMइस पुस्तिका में मूलतः पीपीपी से जुड़े मुद्दों का अध्ययन किया गया है तथा जल क्षेत्र की वर्तमान समस्याओं के निदान में पीपीपी की उपयोगिता के मूल्यांकन का प्रयास किया गया है। लेकिन इस अध्याय में हम जल क्षेत्र में पीपीपी के अन्य संम्भावित विकल्पों के बारे में भी जानने की कोशिश करेंगे। क्योंकि पीपीपी मॉडल का झुकाव निजी लाभार्जन की ओर है और यह अक्सर समान, न्यायोचित और टिकाऊ जलप्रदाय व्यवस्था बनाने के लकपीपीपी को प्रोत्साहन: परियोजनाएँ और नीतियाँ
Posted on 27 May, 2011 03:56 PM‘फायनांसिंग पीपीपी’ परियोजना के माध्यम से विश्व बैंक बुनियादी ढाँचे में पीपीपी को बढ़ावा देने
सामाजिक उत्तरदायित्व और पीपीपी
Posted on 27 May, 2011 01:10 PMइस अध्याय में सार्वजनिक सेवाओं के कुछ महत्त्वपूर्ण सामाजिक पक्षों पर विचार करेंगे और देखेंगें जल क्षेत्र में समाज कल्याणकारी उत्तरदायित्वों पर पीपीपी का प्रभाव किस प्रकार पड़ सकता है। यहाँ समाज कल्याणकारी कर्तव्य महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि पानी एक अद्वितीय प्राकृतिक संसाधन है और मूलतः सार्वजनिक संसाधन है। अतः पानी अत्यधिक सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्य और आर्थिक तथा राजनैतिक महत्त्व रखता है। जलप्रदाय व्यवप्रशासन की समस्याएँ - वास्तविक चिंताए
Posted on 27 May, 2011 09:05 AMसंयुक्त राष्ट्र संघ की पीपीपी में अच्छे प्रशासन की दिग्दर्शिका में कहा गया है कि पीपीपी को सफल बनाने में प्रशासन की महती भूमिका है। पीपीपी से पूर्ण लाभ प्राप्ति के लिए,पीपीपी को समर्थ बनाने वाली संस्थाओं,कार्यपद्धति और प्रक्रियाओं को सही तरीके से स्थापित किया जाना आवश्यक है। इसका अर्थ इस प्रक्रिया में सरकारों को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद करना और नागरिकों के साथ-साथ अन्य दावेदारों को भी शपीपीपी के साथ जुड़ी संचालन की समस्याएँ
Posted on 26 May, 2011 01:40 PMइस अध्याय में हम पीपीपी से संबंधित कुछ संचालन एवं संरचनात्मक लाभों जैसे जोखिम हस्तांतरण, भूमिका विभाजन तथा बुनियादी ढाँचा विकास में अनुबंध उपरांत के परिवर्तन जैसे मुद्दों पर विचार करेंगे।जोखिम हस्तांतरण
पीपीपी के पक्ष में तर्क
Posted on 26 May, 2011 01:13 PMपीपीपी के पक्ष के कुछ तर्कों का परीक्षण हम इस अध्याय में करेंगें। इसका उद्देश्य इन तर्कों के आधारों को स्पष्ट करना और इस संदर्भ में पीपीपी के अनुभवों पर विचार करना है। जबकि उन्हें पूरी सावधानी से विचार-विमर्श के बिना व्यवस्था में लागू कर दिया गया है।कम खर्चीली परियोजनाएँ
बोतल बंद पानी का वैश्विक बाजार
Posted on 26 May, 2011 09:55 AMअमेरिका और यूरोप में 19वीं सदी में ही बोतलबंद पानी का बाजार पैदा हो गया था। इसकी एक वजह वहां दुनिया में सबसे पहले औद्योगिकीकरण का होना भी था। बोतलबंद पानी की पहली कंपनी 1845 में पोलैण्ड के मैनी शहर में लगी। इस कंपनी का नाम था ‘पोलैण्ड स्प्रिंग बाटल्ड वाटर कंपनी’ था। 1845 से आज दुनिया में दसियों हजार कंपनियां इस धंधे में लगी हुई हैं। बोतलबंद पानी का यह कारोबार आज 100 अरब डालर पर पहुंच गया है।
निजीकरण एवं जन-निजी भागीदारी में अंतर
Posted on 25 May, 2011 10:16 AMभारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय के जल संसाधनों के कार्यकारी समूह की रिपोर्ट में भी ऐसा ही अभि
पीपीपी क्या है? जन-निजी भागीदारी की कुछ व्याख्याएँ
Posted on 25 May, 2011 09:13 AM‘‘पीपीपी एक तरह का निजीकरण है जिसमें निजी कंपनी या कंपनियों का संघ सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा यो