पीपीपी को प्रोत्साहन: परियोजनाएँ और नीतियाँ

‘फायनांसिंग पीपीपी’ परियोजना के माध्यम से विश्व बैंक बुनियादी ढाँचे में पीपीपी को बढ़ावा देने के लिए आईआईएफसीएल को सहयोग प्रदान कर रहा है। इस परियोजना द्वारा विश्व बैंक आईआईएफसीएल को लगभग 50 करोड़ डॉलर का आईबीआरडी ऋण (इसमें ब्याज दरें ऊँची होती हैं) देने जा रहा है।

भारत में पीपीपी परियोजनाओं को सरकारी नीतियों का काफी सहयोग प्राप्त है। ये परियोजनाएँ अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं द्वारा पोषित अनेक परियोजनाओं से भी सहयोग प्राप्त कर रही हैं, जिन्हें देश की बुनियादी ढाँचा विकास में पीपीपी को प्रोत्साहित करने के लिए चलाया जा रहा है। यहाँ हम कुछ ऐसी परियोजनाओं और नीतियों की चर्चा करेंगे जो पीपीपी को बढ़ावा दे रही हैं।

भारत सरकार के पीपीपी को प्रोत्साहन देने वाले कदम


1॰ भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) में एक पीपीपी प्रकोष्ठ की स्थापना, जो राज्य सरकारों को भी ऐसे प्रकोष्ठ गठित में मार्गदर्शन करती है।
2॰ बुनियादी ढाँचा विकास के लिए लम्बी अवधि के संसाधन मुहैया करवाने वाली इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फायनेन्स कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) की स्थापना।
3॰ पीपीपी को बढ़ावा देने के लिए वायेबिलिटी गेप फण्ड (वीजीएफ) का गठन, जिसमें फिलहाल वार्षिक आवंटन लगभग 34 करोड़ डॉलर है।
4॰ पीपीपी में नीलामी बोली लगाने वाले समूहों की योग्यता निर्धारण के लिए अन्तर मंत्रालयीन समूह।
5॰ आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा राज्य सरकारों के उपयोगार्थ पीपीपी के टूल किट्स तथा अनुबंधों के नमूनों को तैयार किया जाना।
6॰ परियोजना विकास के खर्चों के लिए धन उपलब्ध करवाने के लिए इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट डेवलपमेंट फण्ड (आईआईपीडीएफ) की स्थापना।

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की भूमिका


विश्व बैंक तथा एशियाई विकास बैंक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पीपीपी को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं, विशेषतः जल क्षेत्र में विश्व बैंक की राष्ट्र सहायता रणनीति (सीएएस) 2009-12 ने भारत के जल क्षेत्र को ‘अत्यंत चिंताजनक’ स्थिति में बताया है। इस चिंता को दूर करने के लिए उन्होंने सीएएस में कई समाधान प्रस्तावित किए हैं, जैसे-सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों का पुनर्गठन, नए संस्थानों (नियामक आयोग, जल उपभोक्ता समिति, नदी कछार एजेंसी और पीपीपी दरों पर सेवाप्रदाय और बेहतर वित्तीय प्रबंधन आदि जिसमें सब्सिडियों को हटाना और ऐसे सेवा शुल्क की ओर बढ़ना जिससे कम से कम संचालन-सधारण खर्च निकल सके, शामिल हैं। (जोर हमने दिया है)

विश्व बैंक सहायतित पीपीपी परियोजनाएँ


‘फायनांसिंग पीपीपी’ परियोजना के माध्यम से विश्व बैंक बुनियादी ढाँचे में पीपीपी को बढ़ावा देने के लिए आईआईएफसीएल को सहयोग प्रदान कर रहा है। इस परियोजना द्वारा विश्व बैंक आईआईएफसीएल को लगभग 50 करोड़ डॉलर का आईबीआरडी ऋण (इसमें ब्याज दरें ऊँची होती हैं) देने जा रहा है।

इसी प्रकार आईएफसी ने भी पीपीपी को प्रोत्साहित करने के लिए आईआईएफसीएल को लंबी अवधि के लिए ऋण प्रदान करने में रुचि दिखाई है। इस ऋण राशि को आईआईएफसीएल निजी कंपनियों को बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश करने हेतु उपलब्ध करवाएगा।

आईआईएफसीएल ने केएफडब्ल्यू (जर्मनी) से 13.2 करोड़ डॉलर, जापान बैंक (जेबीआईसी) से 17 करोड़ डॉलर लिए हैं तथा एशियाई विकास बैंक से 50 करोड़ डॉलर का ऋण प्राप्त करने वाला है।

विश्व बैंक की पीपीपी को प्रोत्साहित करने वाली अन्य परियोजनाएँ कर्नाटक अर्बन वॉटर सेक्टर इम्प्रूवमेंट परियोजना और तमिलनाडु इरीगेटेड एग्रीकल्चर मॉडर्ननाइजेशन एण्ड वाटर रिसोर्सेस प्रोजेक्ट हैं।

एडीबी द्वारा पीपीपी को सहायता


एशियाई विकास बैंक द्वारा केन्द्र सरकार के मंत्रालयों को 2 तकनीकी सहायता अनुदान दिए गए हैं जो केन्द्र सरकार और राज्य स्तर पर पीपीपी को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए हैं। इन तकनीकी सहायता अनुदानों के अंतर्गत एडीबी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि प्रत्येक राज्य में उसका अपना पीपीपी प्रकोष्ठ हो और केन्द्र सरकार के वित्तीय मामलों के विभाग में भी एक पीपीपी प्रकोष्ठ हो जो पीपीपी परियोजनाओं का प्रभावी और सक्षम तरीके से क्रियावयन करवा सके और राज्यों के पीपीपी प्रकोष्ठ बुनियादी ढाँचों के लिए पीपीपी परियोजनाओं को तैयार करने, मूल्यांकन और समीक्षा करने में बेहतर रूप से सक्षम हो सके।

अन्य अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियाँ


विश्व बैंक के तहत अन्य बहुपक्षीय वित्तीय तंत्र जैसे पीपीआईएएफ, आईएफसी और डब्ल्यूएसपी भी पीपीपी परियोजनाओं को प्रोत्साहित कर रहे हैं। पीपीआईएएफ देश के योजना आयोग और गुजरात में जलक्षेत्र में पीपीपी परियोजनाओं पर काम कर रहा है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर कार्पोरेशन ऑफ आंध्रप्रदेश का मुख्य सलाहकार आईएफसी है। यह आईडीएफसी के इण्डिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड को भी सहायता प्रदान कर रहा है और तिरूपुर जल एवं मलनिकास परियोजना में भी अंशदाता है। इसके अलावा आईएफसी महाराष्ट्र में एक सिंचाई परियोजना के निजीकरण में सहायता प्रदान कर रहा है।

वाटर एण्ड सेनिटेशन प्रोग्राम (डब्ल्यूएसपी) केन्द्र सरकार के मंत्रालयों, राज्य सरकारों और उनके विभागों के साथ मिलकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जल और स्वच्छता सेवाओं में सुधार की प्रक्रिया को प्रोत्साहित कर रहा है। यह गुजरात सरकार और केन्द्र के शहरी विकास मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, वित्तीय मामलों के विभाग और पेयजल प्रदाय के विभाग के साथ मिल कर काम कर रहा है। इसके काम का मुख्य केन्द्र जल और स्वच्छता सेवाओं में पीपीपी को प्रोत्साहित करना, भुगतान की इच्छा और संस्थागत सुधार है। यह डीएफआईडी, यूएसएड, सीडा, यूनिसेफ, वाटर एड आदि अनुदान एजेंसियो के साथ परियोजना क्रियांवयन में भी काम कर रहा हैं।

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