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प्रस्तावित नदी जोड़ परियोजना (National River Linking Project)
Posted on 02 Jul, 2011 10:44 AM

एनडब्लूडीए के नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान के तहत हिमालयी और प्रायद्वीपीय क्षेत्र की चिह्नित नदियों एवं स्थानों को कुल 30 नहरों द्वारा आपस में जोड़ा जाना है। इनमें हिमालयी क्षेत्र में 14 और प्रायद्वीपीय क्षेत्र में 16 संयोजक नहरें शामिल हैं।

नदी जोड़ो परियोजना
थम न जाए धारा
Posted on 02 Jul, 2011 10:14 AM

देश की जल समस्या के लिए नदी जोड़ने का नुस्खा डेढ़ सौ साल से भी पुराना है, लेकिन इस नुस्खे की पेचीदगियों ने हर बार ऐसी किसी भी कोशिश का रास्ता रोका है। इस कोशिश का सबसे बड़ा अवरोध पर्यावरण को होने वाला नुकसान है। नदियों को जोड़ना चाहिए या नहीं, जोड़ें तो कैसे व कितना और किस कीमत पर, ऐसे ढेरों सवाल नदियों के जोड़े जाने की कवायद पर मंडराते रहते हैं। करीब एक दशक पहले जब राजग सरकार के समय नदियों को

नदी जोड़ो परियोजना पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध होगा
ये तालाब हैं ही नहीं तो पानी कहां से भरेगा?
Posted on 01 Jul, 2011 10:45 AM

ऐसा लगता है कि तालाबों के रचनाकारों को इस बात की परवाह ही नहीं है कि तालाबों में पानी रहे या न

pond
वन मंत्रालय को ही नहीं पता, वन हैं क्या
Posted on 30 Jun, 2011 11:55 AM

नई दिल्ली। वन क्या हैं। इस सीधे और छोटे से सवाल का जवाब पर्यावरण एवं वन मंत्रालय केपास भी नहीं है। एक आरटीआई आवेदन पर यह खुलासा हुआ है। वन मंत्रालय ने कहा है कि वनों के लिए परिभाषा पर सक्रिय विचार विमर्श चल रहा है। इसे अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। दिलचस्प यह है कि बिना किसी परिभाषा के ही मंत्रालय देश के वन क्षेत्र में इजाफा होने के दावे करता रहा है। मुंबई में रहने वाले अजय मराठे ने सूचना के

वन
ऊपरी यमुना के राज्यों को यमुना जल का बंटवारा
Posted on 30 Jun, 2011 11:13 AM मई 1994 में यमुना जल बंटवारे के लिए ऊपरी तटवर्ती राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली ने मिलकर आपसी समझ के एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। यमुना के वार्षिक 13 मिलियन घनमीटर (बीसीएम) शुद्ध उपलब्ध जल का निम्नानुसार बंटवारा हुआः
नए हथियार से घात की कोशिश
Posted on 30 Jun, 2011 08:49 AM

चीन ने अपने औद्योगिक विकास के कारण प्रकृति को काफी क्षति पहुंचाई, जिससे उसकी कई नदियां जलविहीन

जलवायु परिवर्तनः सबसे ज़्यादा असर ग़रीबों पर
Posted on 28 Jun, 2011 09:36 AM

इस बात से सभी सहमत हैं कि हमारे वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि ही जलवायु परिवर्तन की वजह है। इस नीले ग्रह (पृथ्वी) पर जीवन के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी यही है। यदि कोई संदेह रह गया है तो भारत में मानसून की आंख मिचौली और पूरी दुनिया में जलवायु का अनिश्चित व्यवहार इसके प्रमाण हैं। ऐसा माना गया है कि तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी से भी पूरा पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ जाएगा। वहीं

क्यों होती है कम या ज्यादा बरसात
Posted on 28 Jun, 2011 08:38 AM बच्चों, बारिश कैसे आती है, यह जानने से पहले यह याद रखो कि हवाएं हमेशा उच्च वायुदाब से कम वायुदाब वाले इलाके की ओर चलती हैं। गर्मी के दिनों में भारत के उत्तरी मैदान और प्रायद्वीपीय पठार भीषण गर्मी से तपते हैं और यहां निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। इसके उलट दक्षिण में हिंद महासागर ठंडा रहता है। ऐसी भीषण गर्मी के कारण ही महासागर से नमी लेकर हवाएं भारत के दक्षिणी तट से देश में प्रवेश करती हैं।
पहाड़ी नदी की ध्वनि
Posted on 25 Jun, 2011 09:46 AM

रात भर बारिश टिन की छत को किसी ढोल या नगाड़े की तरह बजाती रही। नहीं, वह कोई आंधी नहीं थी। न ही वह कोई बवंडर था। वह तो महज मौसम की एक झड़ी थी, एक सुर में बरसती हुई। अगर हम जाग रहे हों तो इस ध्वनि को लेटे-लेटे सुनना मन को भला लगता है, लेकिन यदि हम सोना चाहें तो भी यह ध्वनि व्यवधान नहीं बनेगी। यह एक लय है, कोई कोलाहल नहीं। हम इस बारिश में बड़ी तल्लीनता से पढ़ाई भी कर सकते हैं। ऐसा लगता है कि बाहर

पानी चोर कहां से आए!
Posted on 23 Jun, 2011 12:08 PM

विकास की इस आंधी ने बहुत कुछ किया। मनुष्य के जीवन को आसान किया लेकिन कितना अनिश्चित कर दिया!

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