Posted on 03 Aug, 2014 04:25 PMइस सदी में मॉनसून के छठी बार धोखा दिया है। 14 साल में छह बार राज्य में सूखे की मार बहुत बड़ी बात है। हर बार किसानों को फसलों का भारी नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई और वैकल्पिक व्यवस्था में सरकार के खजाने पर बोझ पड़ा। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि कृषि क्षेत्र में कारोबार करने और भारी मुनाफा कमाने वाली कंपनियां कहां हैं, क्या कर रही हैं?
Posted on 02 Aug, 2014 10:38 PMभारत में नदियों की पूजा भले की जाती हो, पर उनकी स्वच्छता की चिन्ता नहीं किए जाने से आज देश के 60 हजार गांव प्यासे हैं, और यदि पानी मिलता है तो बीमारियों के साथ। अंधाधुंध विकास की चाहत में भूजल स्तर जिस रफ्तार से कम हो रहा है, उससे भविष्य में पानी के लिये युद्ध होने की आशंकाएं भी कम नहीं हैं। जरूरत है कि हम नदियों से छेड़छाड़ रोककर उनके प्राकृतिक बहाव को महत्त्व दें, नहीं तो हमारी सभ्यता कभी भी तबाह हो सकती है। पेश है भविष्य के संकटों को परखती रिपोर्ट।
राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में गंगा की सफाई की योजना पर बड़े शोर-शराबे के साथ काम शुरू हुआ था। गंगा एक्शन प्लान बना। अब तक लगभग बीस हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा का पानी जगह-जगह पर प्रदूषित और जहरीला बना हुआ है।केंद्र की नई सरकार ने गंगा नदी से जुड़ी समस्याओं पर काम करने का फैसला किया है। तीन-तीन मंत्रालय इस पर सक्रिय हुए हैं। एक बार पहले भी राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में गंगा की सफाई की योजना पर बड़े शोर-शराबे के साथ काम शुरू हुआ था। गंगा एक्शन प्लान बना। मनमोहन सिंह सरकार ने तो गंगा को राष्ट्रीय नदी ही घोषित कर दिया। मानो पहले यह राष्ट्रीय नदी नहीं रही हो। अब तक लगभग बीस हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा का पानी जगह-जगह पर प्रदूषित और जहरीला बना हुआ है। गंगा का सवाल ऊपर से जितना आसान दिखता है, वैसा है नहीं। यह बहुत जटिल प्रश्न है। गहराई में विचार करने पर पता चलता है कि गंगा को निर्मल रखने के लिए देश की कृषि, उद्योग, शहरी विकास तथा पर्यावरण संबंधी नीतियों में मूलभूत परिवर्तन लाने की जरूरत पड़ेगी। यह बहुत आसान नहीं होगा।
Posted on 02 Aug, 2014 04:33 PMकिसी नदी का तल कितना गहरा अथवा उथला होगा, यह तय करने का काम उसके उद्गम और समुद्र से उसके संगम स्थल की ऊंचाई के बीच के अंतर का काम है। इसी तरह नदी मार्ग में घुमाव, संगम या अवरोध उत्पन्न करने का काम प्रकृति का है। अतः इस बाबत् श्री अनुपम मिश्र जी के नदी जोड़ संबधी बयान से प्रेरणा लेते हुए कहा जाना चाहिए कि श्रीमान नितिन गडकरी जी गंगाजी को गहरा करने व नए बैराज