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बुंदेलखंड : अन्ना प्रथा को मजबूर गायें
Posted on 14 Sep, 2014 04:27 PM

हाल ही में मुझे बुंदेलखंड जाने का मौका मिला। वहां यह देख-सुनकर धक्का लगा कि यहां सैकड़ों की संख्या में मवेशियों को चारे-पानी के अभाव में खुला छोड़ दिया जाता है जिससे वे कमजोर और बीमार हो जाते हैं और कई बार तो सड़क दुर्घटनाओं में असमय छोड़कर चले जाते हैं। यहां पानी की कमी कोई नई बात नहीं है और अन्ना प्रथा भी नई नहीं है लेकिन मौसम बदलाव ने जिस तरह खेती और आजीविका के संकट को बढ़ाया है, उसी तरह मवेशियों के लिए भी संकट बढ़ गया है।

यहां पहले अन्ना प्रथा के चलते गर्मियों की शुरूआत में मवेशियों को छोड़ दिया जाता था। अगली फसल के पहले तक वे खुले घूमते थे फिर उन्हें घरों में बांध लेते थे। लेकिन अब वे पूरे समय खुले ही रहते हैं। चाहे बारिश हो या ठंड साल भर खुले इधर-उधर भटकते रहते हैं। ऐसी दुर्दशा मवेशियों की पहले न सुनी और न देखी थी।

<i>Visit for Apna Talab Abhiyan Work, 14 august 2014, Mahoba by Waterkeeper India</i>
प्रदूषण खत्म करने में कोई बाधा नहीं आएगी
Posted on 14 Sep, 2014 01:42 PM गंगा-यमुना में व्याप्त प्रदूषण को खत्म करने की उमा ने दोहराई प्रतिबद्धता

Ganga
प्रदूषण मुक्त गंगा के लिए मिलकर काम करेंगे मंत्रालय
Posted on 14 Sep, 2014 01:30 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में तालमेल बढ़ाने की कोशिश का असर हो रहा है। प्रधानमंत्री ने पंद्रह अगस्त को लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए हैरानी जताई थी कि केंद्र सरकार में भी विभिन्न दफ्तरों के बीच तालमेल का अभाव योजनाओं को वक्त पर लागू नहीं होने देता।
गंगा
अतीत की खोज बनाएगा भविष्य
Posted on 14 Sep, 2014 11:58 AM अगर आप में ऐतिहासिक चीजों को जानने और उनके बारे में तरह-तरह की जानक
कैसे बहाल हो गंगा की पवित्रता
Posted on 13 Sep, 2014 01:50 PM

गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक ऐसी योजना बनाने की जरूरत है, जिसके तहत पर्यावरणीय नियमों

Ganga
आड़े नहीं आएगी सिंचाई की समस्या
Posted on 13 Sep, 2014 12:16 PM कृषि अनुसंधान केंद्र, दुर्गापुरा के वैज्ञानिकों ने किसानों को नायाब
गंगा को प्रतीक नहीं, परिणाम का इंतजार
Posted on 13 Sep, 2014 10:28 AM

मैं आया नहीं हूं; मुझे गंगा मां ने बुलाया है, नमामि गंगे व नीली क्रांति जैसे शब्द तथा स्व. श्री दीनदयाल उपाध्याय की जन्म तिथि पर जल संरक्षण की नई योजना का शुभारंभ की घोषणा से लेकर पूर्व में गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने तक; निःसंदेह प्रतीक महत्वपूर्ण हैं। किंतु जो प्रतीक स्वयं को ही प्रेरित न कर सकें, उनका क्या महत्व? झाड़ू उठाकर सफाई करते हुए किसी एक दिन फोटो खिंचवाने वाले स्वयंसेवी साथियों, जिलाधीशों व नेताओं से मैं कई बार यह कहने को मजबूर हुआ हूं। मजबूर मैं आज फिर हूं।

मुझे याद है कि जगद्गुरू शंकराचार्य श्री स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई में गए दल के कहने पर पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया था। हालांकि, तत्कालीन पर्यावरण मंत्री श्री जयराम रमेश की पहल पर उन्होंने गंगोत्री से उत्तरकाशी जिले के 135 किलोमीटर लंबे भगीरथी क्षेत्र को संवेदनशील घोषित किया;

<i>गंगा</i>
बहस: घरों में यदि हो शौचालय तो क्या रुकेगी महिला हिंसा?
Posted on 12 Sep, 2014 11:31 AM घरों में शौचालय न होने की वजह से महिलाओं और बच्चों को कई तरह की समस्याएं उठानी पड़ती है। इसका सबसे बड़ा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। पढ़िए मासिक पत्रिका राजस्थान डायरी की रिपोर्ट।
Mobile Toilet
क्या संकेत दे रहा हिमालय
Posted on 10 Sep, 2014 05:34 PM हिमालय में ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से वैज्ञानिक लंबे समय से आगाह करते रहे हैं। पिछले वर्ष से इस क्षेत्र में हो रही घटनाएं क्या उन संकेतों की पुष्टि कर रही हैं?
गंगा : आस्था और तिजारत के बीच
Posted on 09 Sep, 2014 04:35 PM हवा, पानी, रोशनी, वर्षा इनका कोई जाति धर्म नहीं होता। कुदरत की ये नियामतें संपूर्ण जीव-जगत का आदार हैं, पर इस सियासत और तिजारत की भाषा का क्या करें जो अपने राजनीतिक मुनाफे के लिए भेद करने में किसी तरह का संकोच नहीं करती। कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने मोदी सरकार के गंगा शुद्धिकरण से जुड़े प्रयासों पर संप्रदाय विशेष अभियान बनाए जाने की कोशिश पर सवाल खड़ा किया है वहीं ‘नमामि
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