प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में तालमेल बढ़ाने की कोशिश का असर हो रहा है। प्रधानमंत्री ने पंद्रह अगस्त को लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए हैरानी जताई थी कि केंद्र सरकार में भी विभिन्न दफ्तरों के बीच तालमेल का अभाव योजनाओं को वक्त पर लागू नहीं होने देता।
गुरुवार को उमा भारती और प्रकाश जावड़ेकर के बीच हुई बैठक से साफ हो गया कि मोदी के मंत्री उनकी मंशा के मुताबिक काम करने लगे हैं। उमा भारती और जावड़ेकर के बीच बैठक गंगा पुनरुद्धार के सरकारी एजंडे को तेजी से बढ़ाने की गरज से हुई।
उमा भारती को मोदी ने उनकी इच्छा के अनुरूप जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार का मंत्री बनाया है। जबकि प्रकाश जावड़ेकर के पास सूचना प्रसारण के अलावा पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग भी हैं। दोनों मंत्रियों ने तय किया कि वे गंगा में प्रवाहित किए जाने वाले कचरे को न्यूनतम करने का प्रयास करेंगे।
गंगा की जैव विविधता को बरकरार रखने के लिए इसमें उद्योगों का कचरा प्रवाहित नहीं होने देंगे। साथ ही नदी के ऊपरी हिस्सों में प्राकृतिक जीवों और वनस्पतियों को संरक्षित करेंगे।
बैठक में तय किया गया कि गोमुख से उत्तरकाशी तक के गंगा के 130 किलो मीटर लंबे हिस्से में दोनों मंत्रालय विभिन्न गतिविधियों पर लगी पाबंदी को कड़ाई से अमल में लाएंगे। गंगा किनारे स्थित विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों की बैठक भी जल्द बुलाई जाएगी और उन्हें समझाया जाएगा कि वे अपना औद्योगिक कचरा गंगा में कतई प्रवाहित न करें।
उद्योगों द्वारा अपने कचरे के शोधन की ऑनलाइन निगरानी सरकार छह महीने के भीतर शुरू कर देगी। उद्योगों की शोधित पानी के फिर इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। गंगा से रेत के खनन के बारे में नए निर्देश जारी होंगे। नदी की जैव विविधता के संरक्षण के लिए विभिन्न सरकारी परियोजनाओं के कारण विस्थापित होने वाले लोगों को नदी किनारे पेड़ लगाने का काम दिया जाएगा। इससे उन्हें रोजगार मिलेगा और नदी का संरक्षण होगा।
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Post By: Shivendra