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बुरहानपुर जिला
सदियों का सधा जादू
Posted on 19 Feb, 2017 12:38 PMउस समय न तो भारी-भरकम डिग्रियों वाले इंजीनियर थे और न ही बड़ी-बड़ी मशीनें। लेकिन उस दौर का समाज पानी, मौसम और मिट्टी के मिजाज को बखूबी समझता था। तभी साढ़े तीन सौ साल पहले विकसित की गई जल वितरण प्रणाली आज भी काम कर रही है। इसमें अगर कहीं व्यवधान है भी तो वह आधुनिक समाज की देन है न कि उस जल प्रबन्धन की कोई खामी
बुरहानपुर में पानी बचाने, पानी कमाने का जतन कर रहे लोग
Posted on 03 Jun, 2016 10:37 AMमहाराष्ट्र में पानी के लिये हाहाकार मचा हुआ है। लातूर और जलगाँव में पानी के लिये लोग कानून-व्यवस्था अपने हाथ में ले रहे हैं। हालात काबू में रखने के लिये प्रशासन को धारा 144 लगानी पड़ रही है। लेकिन बुरहानपुर के लोगों ने पानी की समस्या को सावधानी और सतर्कता के साथ सुलझाने की कोशिश की है। सोच और संकल्प यह है कि न तो पानी की रेलगाड़ी बुलाने की नौबत आये और न ही पानी की छीना-झपटी रोकने के लिये पुलिस को धारा 144 लगानी पड़े। गाँव के लोग पानी के लिये लड़ नहीं रहे, पानी बचाने का प्रयास कर रहे हैं। किसान को याद हो चला है कि वे पानी बना तो नहीं सकते, हाँ! पानी को बचा जरूर सकते हैं।
जसौंदी की सरपंच शोभाबाई रमेश प्रचंड गर्मी और पानी की किल्लत से दो-दो हांथ करने के लिये तैयार हैं। शोभाबाई कहती हैं- हमारी क्षेत्र की जनप्रतिनिधि अर्चना दीदी हमारे साथ हैं, हम पानी की किल्लत और सूखे से पार पा लेंगे।
जलानुशासन ही बचाएगा भीषण संकट से : अर्चना
Posted on 07 Apr, 2016 09:24 AMबुरहानपुर। पूर्व मंत्री व विधायक चिटनीस गाँव-गाँव जाकर कर रही जल संरक्षण के लिये जागरूक
उतावली नदी : 400 सालों से कहानी सुना रहा यह स्मारक
Posted on 13 Aug, 2015 11:02 AMतब से अब तक उतावली नदी में न जाने कितना पानी बह चुका होगा लेकिन इस नदी की तासीर में ऐसा कुछ है कि यह आज भी करीब 400 साल पहले इसके तट पर पनपी एक राजसी प्रेम कहानी को बयान करती रहती है। जी हाँ, सुनने में यह भले ही अजीब लगे पर यह सौ फीसदी सही है। सुनी हुई कहानियाँ लोगों ने भुला दी, कागजों पर लिखी कई प्रेम कहानियाँ समय के साथ भुला दी गई होंगी पर इस कहानी की इबारखूनी भंडारा जो बुझा रहा है पीढ़ियों की प्यास लगातार बिना रुके बिना थके
Posted on 05 Oct, 2012 03:51 PMतकरीबन 100 फीट जमीन के नीचे दुनिया की एकमात्र जिंदा ऐसी सुरंग है जो अमृत जैसा पानी देती है। जो नापती है 4 किलोमीटर लंबा सफर। हैरान होने के लिए इतना ही काफी नहीं है। पिछले 400 सालों से इसने कई पीढ़ियों की प्यास बुझाई है। आज भी ये सुरंग लाखों लोगों की प्यास बुझा रही है।ये जो आप कुओं की लंबी कतार देख रहे हैं ये कोई साधारण कुएं नहीं हैं। ये उसी खूनी भंडारे के निशान हैं
बुरहानपुर की मुगलकालीन जलप्रदाय व्यवस्था
Posted on 25 Jan, 2010 05:41 PMमध्यकाल में भारत में कई शहरों का विकास हुआ जिनमें कुछ शहर प्रांतों की राजधानी थे, कुछ व्यापार या शिल्प के केन्द्र थे और कुछ सैनिक मह्त्त्व के शहर थे। इन विशाल शहरों में उस समय जलपदाय की कुशल व्यवस्था थी और उसके लिए प्राकृतिक नियमों और उस समय प्रचलित तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता था। मध्यप्रदेश को ही लें, तो पन्द्रहवीं और सोलहवीं सदी में माण्डू एक विशाल शहर था और वहाँ जलसंग्रहण की पारम्परिक व्यवस्थनर्मदा-ताप्ती को प्रदूषण से खतरा
Posted on 22 Sep, 2008 07:00 PMसचिन शर्मा/ मध्यप्रदेश की औद्योगिक पट्टी इंदौर क्षेत्र में बहने वाली नर्मदा और ताप्ती नदियों को औद्योगिक प्रदूषण से बेहद खतरा है। यह खतरा मुख्यतः क्षेत्र के पाँच जिलों इंदौर, खण्डवा, खरगौन, बुरहानपुर और बड़वानी में स्थित लगभग १२०० छोटी औद्योगिक इकाइयों से है जो कंजूसी में प्रदूषण नियंत्रण के मानकों की परवाह नहीं करतीं और क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उन्हें यह काम करने से रोक भी नहीं पाता। इस पबुरहानपुर : देश का पहला 'हर घर जल' सर्टिफाइड ज़िला
Posted on 16 Sep, 2023 01:59 PMमध्य प्रदेश में दक्षिण का दरवाजा' कहे जाने वाला बुरहानपुर देश का पहला 'हर घर जल' सर्टिफाइड ज़िला बना। 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा के समय बुरहानपुर में कुल 1.01 लाख परिवारों में से केवल 37, 241 ग्रामीण परिवारों (36.54%) की पीने योग्य पेयजल तक पहुंच थी। कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान, बुरहानपुर जिला प्रशासन द्वारा किए गए निरंतर कार्य के फलस्वरूप 34 महीने की अवधि के भीतर इसके सभी 1.01 लाख
मध्यप्रदेश में पेयजल
Posted on 15 Aug, 2009 12:52 AM1 - इन्दौर शहर में वर्ष 2006 की गर्मियों में पानी की आपूर्ति के लिये किराये पर लिये गये टेंकरों के एवज में 2 करोड़ रूपये की राशि चुकाई गई थी। नगर निगम ने वर्ष 2007 में अपने 37 टैंकरों के अलावा 130 टैंकर किराये पर लिये थे। इस साल इतनी शिकायतें आईं कि नगर निगम प्रशासन दबाव में आ गया। इसके बावजूद जल संकट दूर नहीं हुआ और 14 मई 2007 को इन्दौर में राजनैतिक दलों और आम लोगों ने प्रशासन का उग्र व