बिहार

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मरगंगा में दूब
Posted on 23 Dec, 2014 10:05 AM एक बार गंगा मैया अपने दोनों बाजू बसे गाँव वालों के उत्पात् से तंग आ
आँखों को बेनूर कर रहा पानी
Posted on 03 Dec, 2014 08:40 AM
बिहार के भोजपुर जिले के बीहिया से अजय कुमार, शाहपुर के परशुराम, बरहरा के शत्रुघ्न और पीरो के अरुण कुमार ये लोग भले ही अलग-अलग इलाकों के हैं, पर इनमें एक बात कॉमन है, वो है इनके बच्चों की आंखों की रोशनी। इनके साथ ही सोलह और अन्य परिवारों में जन्में नवजात शिशुओं की आँखों में रोशनी नहीं है। इनकी आँखों में रोशनी जन्म से ही नहीं है। बिहार के सबसे ज्यादा आर्सेनिक प्रभावित भोजपुर जिले में पिछले कुछ
contaminated water
प्लांट लगने के बावजूद बढ़ रहा है फ्लोरोसिस का खतरा- डॉ. अशोक घोष
Posted on 28 Nov, 2014 10:44 AM

यह देखकर अच्छा लगता है कि बिहार की राजधानी पटना के अनुग्रह नारायण सिंह कॉलेज में पयार्वरण एवं जल प्रबंधन विभाग भी है। इस विभाग में मिलते हैं डॉ. अशोक कुमार घोष, जो पिछले तेरह-चौहद सालों से बिहार के विभिन्न इलाकों में पेयजल में मौजूद रासायनिक तत्वों और उनकी वजह से यहां के लोगों को होने वाली परेशानियों पर लगातार न सिर्फ शोध कर रहे हैं, बल्कि लोगों को जागरूक कर रहे हैं और इस समस्या का बेहतर समाधान निकालने की दिशा में भी अग्रसर हैं।

राज्य की गंगा पट्टी के इर्द-गिर्द बसे इलाकों में पानी में आर्सेनिक की उपलब्धता और आम लोगों पर पड़ने वाले इसके असर पर इन्होंने सफलतापूर्वक सरकार और आमजन का ध्यान आकृष्ट कराया है। पिछले तीन-चार साल से वे पानी में मौजूद एक अन्य खतरनाक रसायन फ्लोराइड की मौजूदगी और उसके कुप्रभावों पर काम कर रहे हैं। उनके प्रयासों का नतीजा है कि बिहार की सरकार भी इन मसलों पर काम करने की दिशा में सक्रिय हुई है और पूरे राज्य के जलस्रोतों का परीक्षण कराया गया है।

Dr. Ashok Ghosh
धरती और उसके दुश्मन
Posted on 23 Nov, 2014 12:11 PM

आदिवासियों का वन से घनिष्ठ संबंध रहा है क्योंकि वे प्राय: जंगल के बीच अथवा आस-पास रहते हैं, विभ

चफेल की कहानी
Posted on 22 Nov, 2014 03:39 PM

अखबारों ने चफेलवासियों की दुर्दशा को जब प्रमुखता से लेना शुरू किया तो एक समाजसेवी देवानंद जी ने

बिहार के आठ जिलों का पानी ही पीने लायक
Posted on 22 Nov, 2014 02:58 PM

38 जिलों वाले बिहार राज्य के आठ जिलों का पानी ही प्राकृतिक रूप से पीने लायक है, शेष 30 जिलों के इलाके आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन से प्रभावित हैं। इन्हें बिना स्वच्छ किए नहीं पिया जा सकता। बिहार सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने राज्य के 2,70,318 जल स्रोतों के पानी का परीक्षण कराया है।

इस परीक्षण के बाद ये आंकड़े सामने आए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग के 9 जिले के पानी में आयरन की अधिक मात्रा पाई गई है, जबकि गंगा के दोनों किनारे बसे 13 जिलों में आर्सेनिक की मात्रा और दक्षिणी बिहार के 11 जिलों में फ्लोराइड की अधिकता पाई गई है। सिर्फ पश्चिमोत्तर बिहार के आठ जिले ऐसे हैं जहां इनमें से किसी खनिज की अधिकता नहीं है। पानी प्राकृतिक रूप से पीने लायक है।

Arsenic water
कोसी तटबंधों के बीच
Posted on 13 Nov, 2014 07:54 AM 1950 में कोसी के दोनों तटबंधों का निर्माण हुआ जिनके बीच 304 गांवों के करीब एक लाख बानबे हजार लोग शुरू-शुरू में फंस गए थे। इनका पुनर्वास का काम बहुत ही ढीला था और कई गांवों के पुनर्वास की जमीन का अभी तक अधिग्रहण नहीं हुआ है। बाद में तटबंधों की लंबाई बढ़ाए जाने के कारण इन गांवों की संख्या 380 हो गई और आजकल या आबादी बढ़कर 12 लाख के आस पास पहुंच गई है।

बिहार विधानसभा मे इस पर कई बार चर्चा हुई जिसमें परमेश्वर कुंअर का यह बयान (जुलाई, 1964) बहुत ही महत्वपूर्ण है। वो कहते हैं, कोसी तटबंधों के बीच खेती नहीं हो सकती है। वहां तमाम जमीन पर बालू का बुर्ज बना हुआ है। वहां कांस का जंगल है, दलदल है। कृषि विभाग इसको देखता नहीं है की वहां पर किस प्रकार खेती की उन्नति की जा सकती है। जहां कल जंगल था वहां आज गांव है।
<i>कोसी नदी में बाढ़ से विस्थापित लोग</i>
मानुष बने रहो
Posted on 11 Nov, 2014 04:22 PM वर्ष 1966 का भयानक सूखा-जब अकाल की काली छाया ने पूरे दक्षिण बिहार को अपने लपेट में ले लिया था और शुष्कप्राण धरती पर कंकाल ही कंकाल नजर आने लगे थे...
कलाकारों की रिलीफ पार्टी
Posted on 11 Nov, 2014 02:00 PM वर्ष 1966 का भयानक सूखा-जब अकाल की काली छाया ने पूरे दक्षिण बिहार को अपने लपेट में ले लिया था और शुष्कप्राण धरती पर कंकाल ही कंकाल नजर आने लगे थे...
जो बोले सो निहाल
Posted on 11 Nov, 2014 12:13 PM वर्ष 1966 का भयानक सूखा-जब अकाल की काली छाया ने पूरे दक्षिण बिहार को अपने लपेट में ले लिया था और शुष्कप्राण धरती पर कंकाल ही कंकाल नजर आने लगे थे...
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