सुभाष शर्मा

सुभाष शर्मा
धरती और उसके दुश्मन
Posted on 23 Nov, 2014 12:11 PM

आदिवासियों का वन से घनिष्ठ संबंध रहा है क्योंकि वे प्राय: जंगल के बीच अथवा आस-पास रहते हैं, विभ

गंगा : आस्था और आजीविका के दायरे
Posted on 02 Sep, 2014 04:23 PM
गंगा के सफाई अभियान को लेकर लंबे समय से कोशिश हो रही है। लेकिन सरकारों की इच्छाशक्ति की कमी और भ्रष्टाचार की वजह से इस दिशा में कोई खास सफलता नहीं मिली। प्रदूषण के बढ़ते खतरे और अभियान की नाकामियों का जायजा ले रहे हैं सुभाष शर्मा।

गंगा भारतीय जन-मानस, संस्कृति और सभ्यता में कई रूपों में सदियों से विद्यमान रही हैं। मुख्य रूप से आस्था का प्रतीक है गंगा, क्योंकि एक हिंदू मिथक के अनुसार राजा भगीरथ अपने पुरखों का तर्पण करने के लिए सुदीर्घ तपस्या करके गंगा को भारत भूमि पर लाए थे। तब से भारतीय उन्हें ‘देवी’ के रूप में पूजते रहे हैं; उन्हें ‘मां’ का संबोधन देते रहे हैं और उनके जल को ‘पवित्र गंगा जल’ के रूप में सभी धार्मिक, वैवाहिक और पर्व-त्योहार के अवसरों पर उपयोग में लाते रहे हैं।

यह गंगा जल मानव जीवन की तीन महत्वपूर्ण अवस्थाओं यथा जन्म, विवाह और मृत्यु के दौरान उपयोग में लाया जाता है।
भारत में खेती की समस्याएँ
Posted on 07 Feb, 2015 11:40 PM
पुराने कानून में आमूल परिवर्तन हेतु बीज (संशोधन) विधेयक, 2010 संसद
प्राकृतिक खेती से पटखनी खाती आधुनिक खेती
Posted on 16 Jul, 2010 03:09 PM

मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं। वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं। 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरुआत की थी। अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है। जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था।

उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती प्रारंभ की थी। परिश्रम करने की मन में अत्यंत इच्छा थी। परिश्रम के बल पर मैंने खेती से बहुत उत्पाद निकाले। 1983 में मुझे कई अवार्ड मिले।
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