Posted on 01 Apr, 2017 12:51 PM एक तरफ विफल होता सुखोमाजरी है तो दूसरी तरफ रालेगण सिद्धि की आदर्श गाँव की छवि पर सवालिया निशान लग रहे हैं। जल संचयन, सम्भरण व संरक्षण की मिसाल रहे अन्ना हजारे के इस गाँव में टैंकरों से पानी की आपूर्ति भावी संकट का संकेत है? अन्ना हजारे ने जल संचयन के लिये विख्यात गाँवों की चुनौतियों के बारे में सुष्मिता सेनगुप्ता के साथ विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं इसके प्रमुख अंश :
Posted on 04 Oct, 2016 04:17 PM नौले धारे या स्प्रिंग पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाली आबादी के लिये पानी का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत है। भारत के कम-से-कम 20 राज्य पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित हैं। निलगिरि से हिमालय तक अनुमानतः 50 लाख स्प्रिंग्स हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले करोड़ों लोग पीने और दैनिक इस्तेमाल के पानी के लिये स्प्रिंग पर निर्भर हैं।
उत्तर-पूर्व और उत्तरी भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित स्प्रिंग पर काफी हद तक काम किया गया है। यही वजह है कि उत्तराखण्ड, मेघालय, सिक्किम जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में अब भी स्प्रिंग ही पेयजल का एकमात्र साधन है। हिमालयी क्षेत्रों में स्प्रिंग के संरक्षण पर जितना काम किया गया है उतना पश्चिमी घाट में काम नहीं हुआ है।
Posted on 16 Aug, 2014 03:39 PMमहाराष्ट्र के पुणे जिले के मालिण गांव में जिस तरह की हृदय विदारक घटना हुई है। उसे देख सुन कर किसी संवेदनशील व्यक्ति को गहरा सदमा लग सकता है। वह
Posted on 30 Aug, 2013 10:07 AM हिवड़े बाजार जाने पर आपको तरतीब से बने गुलाबी मकान दिखेंगे। साफ और चौड़ी सड़कें भी। नालियां बंद हैं और जगह-जगह कूड़ेदान लगे हैं। हर जगह एक अनुशासित व्यवस्था के दर्शन होते हैं। शराब और तंबाकू के लिए अब गांव में कोई जगह नहीं रही। हर घर में पक्का शौचालय है। खेतों में मकई, ज्वार, बाजरा, प्याज और आलू की फसलें लहलहा रही हैं। सूखे से जूझते किसी इलाके में यह देखना किसी चमत्कार से कम नहीं। 235 परिवारों और 1,250 लोगों की आबादी वाले इस गांव में 60 करोड़पति हैं। ताराबाई मारुति कभी दिहाड़ी मजदूर थीं। आज उनके पास 17 गायें हैं और वे ढाई सौ से तीन सौ लीटर दूध रोज बेचती हैं। वे बताती हैं, 'पहले मजदूरी करते थे। पांच-दस रुपये रोज मिलते थे तो खाना मिलता था। आज आमदनी बढ़ गई है।' हिवड़े बाजार नाम के जिस गांव में ताराबाई रहती हैं वहां के ज्यादातर लोगों का अतीत कभी उनके जैसा ही था। वर्तमान भी उनके जैसा ही है। आज राजनीति से लेकर तमाम क्षेत्रों में जिस युवा शक्ति को अवसर देने की बात हो रही है वह युवा शक्ति कैसे समाज की तस्वीर बदल सकती है, इसका उदाहरण है हिवड़े बाजार। दो दशक पहले तक महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में बसे इस गांव की आबादी का एक बड़ा हिस्सा मजदूरी करने आस-पास के शहरों में चला जाता था। यानी उन साढ़े छह करोड़ लोगों में शामिल हो जाता था जो 2011 की जनगणना के मुताबिक देश के 4000 शहरों और कस्बों में नारकीय हालात में जी रहे हैं।