नर्मदा बचाओ आन्दोलन
नर्मदा बचाओ आन्दोलन
नर्मदा घाटी के धार जिले में किसान मजदूर मछुआरे कुम्हार जताएंगे अपने ज़मीन पर हक
Posted on 24 Oct, 2014 04:09 PM धार जिले में दिए सैकड़ो आवेदनधार, 17 अक्टूबर: जैसा की आपने सुना होगा की कल भोपाल में नर्मदा घाटी के सरदार सरोवर प्रभावित सैकड़ो की संख्या में पहुँच कर नए भू-अर्जन कानून के तहत भू-स्वामी होने की ऐतेहासिक घोषणा की । बड़ी संख्या में किसान, मजदूर, मछुआरे आदि के दौरान सरदार सरोवर प्रभावितों को बिना पुनर्वास डूबना और बाँध की उंचाई बढ़ने के निर्णय का विरोध किया । इसी कड़ी में आज धार जिले में विशाल कार्यक्रम हुआ।
![](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/15429200610_89e64b5615_m_3.jpg?itok=zCNMBuLr)
स्वर्गीय साथी आशीष मंडलोई की स्मृति में युवा नेतृत्व शिविर
Posted on 10 May, 2013 02:15 PMतारीख : 18, 19, 20 मई, 2013स्थान : गाँव छोटा बडदा, नर्मदा किनारे, तह-अंजड़, जिला-बड़वनी, मध्य प्रदेश
साथी आशीष मंडलोई की तीसरा स्मृति दिवस 20 मई, 2013 को होगा। आशीष भाई जैसे युवा साथियों ने देशके विभिन्न आंदोलनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। नर्मदा आंदोलन के पिछले 28 सालों में कई सारे युवाओं ने गाँव-गाँव को जगाने में, आंदोलन की वैचारिक भूमिका और रणनीति तय करने में, शासन को जनशक्ति के आधार पर चुनौती देने में अपना योगदान दिया है। हमारे साथ जुड़े पहाड़ी एवं मैदानी गाँवों में भी युवा पीढ़ी अब नेतृत्व करने के लिए आगे आती है, तभी और वही आंदोलन का संघर्ष एवं निर्माण का कार्य आगे बढ़ पाता है। चाहे आंदोलन की जीवनशालाएँ हो, चाहे कड़े जल सत्याग्रह, चाहे गांव में या कोर्ट, हर मोर्चे पर युवा कार्यकर्ता और आंदोलनकारियों की जरूरत महसूस होती है।
यही हकीकत.....शहरी ग़रीबों के घर बचाओं-घर बनाओ आंदोलन, वांग-मराठवाडी, टाटा या लावासा के विरोध के आंदोलन.......जैसे हमारे हर स्थानीय तथा राष्ट्रीय संगठन व आंदोलन की है।
सरदार सरोवर बांध और नर्मदा में बाढ़ : खेती की बर्बादी
Posted on 13 Aug, 2012 01:33 PMनर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण और राज्य शासन के रिपोर्टों की पोल खुली
डूब और नुकसानों को अवैध साबित करते हुए, भादल पिछौड़ी, छोटा बड़दा आदि गाँवों के किसानों, मछवारों और आदिवासियों ने बताया कि केवल पिछोड़ी के 15 परिवारों को सुप्रीम कोर्ट में केस चलते हुए जो खेत जमीन के पत्र आंवटित हुए, वह भी सन 2000 से डूब आते हुए, 2012 में उस जमीन का भी कब्जा मूल मालिक जमीन छोड़ने तैयार न होने से, शासन उन्हें नहीं दे पायी है। महाराष्ट्र और म.प्र. के पहाड़ी आदिवासी गाँवों में 1994 से सैकड़ों की जमीन और घर डूब में गया है, ऐसं भी सैकड़ों परिवारों का कानूनन पुर्नवास बाकी है।
सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र में पिछले तीन दिनों से, खेंतों में और कुछ घरो में भी पानी घुसने से, बर्बादी का सिलसिला चला है। उपर के तीन बड़े बांधों (ओंकारेश्वर, इंदिरा सागर और महेश्वर) से पानी सरदार सरोवर के जलाशय में एकत्रित होकर, डूब की भयावह स्थिति सामने आया।जमीन देखने गए प्रभावितों पर अतिक्रमणकारियों का हमला
Posted on 13 Jul, 2010 12:46 PMहमले में सरकारी कर्मचारी एवं आंदोलनकारी भी घायल जमीन देखने गए प्रभावितों और एनवीडीए कर्मचारियों पर आज ग्राम रिंगनोद में अतिक्रमणकारियों ने हमला कर दिया। हमले में 7 लोग घायल हो गए हैं। आज सुबह नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण अलिराजपुर की 16 सीटर गाड़ी में सरदार सरोवर डूब प्रभावित ग्राम ककराना के 10 प्रभावित उन्हें सरकार द्वारा प्रस्तावित जमीन देखने के निकले थे।प्राधिकरण का रुख स्पष्ट नहीं होने के कारण नबआं का धरना जारी
Posted on 21 Apr, 2010 12:09 PM20 अप्रैल 2010 इन्दौर। नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा इंदौर स्थित नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण में सरदार सरोवर बांध के निर्माण, पर्यावरणीय विनाश व पुनर्वास में बरती जा रही अनियमितताओं के विरोध में जारी धरने ने आज आठवें दिन में प्रवेश किया। महाराष्ट्र, गुजरात व मध्यप्रदेश के हजारों आदिवासी, किसान, मछुआरे, केवट, कहार व अन्य समुदाय इस धरने में भागीदारी कर रहे हैं। इस बीच नर्मदा बचाओ आंदोलन का प्रतिनिधि
जीवन अधिकार यात्रा
Posted on 12 Apr, 2010 08:42 AMइंदौर समर्थक समूह की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि नर्मदा घाटी में बन रहे सरदार सरोवर बांध डूब क्षेत्र के निवासियों पर पुनः हमला हुआ है। घाटी के 248 गांवों में बसे 2 लाख पहाड़ी आदिवासी और पश्चिमी निमाड़ के किसान मजदूर, मछुआरे, छोटे व्यापारी आदि जो कि यहां के प्राकृतिक संसाधनों और हरे-भरे खेतों पर निर्भर हैं, को डुबोने की तैयारी हो गई है। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ
हर व्यक्ति की अपनी नर्मदा होती है- मेधा पाटकर
Posted on 24 Oct, 2009 08:37 AMसन् सत्तावन के आंदोलन के सक्रिय भागीदार बसंत खानोलकर तथा 'स्वाधार' व अन्य समाजसेवी संस्थाओं से शिद्दत से जुड़ी इंदु ताई की बेटी मेधा साधारण स्त्री होती तो आश्चर्य होता। जिन्होंने नि:स्वार्थ समाजसेवा, देश के लिये पूर्ण समर्पण व दुर्धर्ष कर्मठता के संस्कार जन्मघुट्टी में पाये और वैसे ही स्वस्थ परिवेश में बड़ी हुईं। उनके व्यक्तित्व में जो धार है, वह यशस्वी माता-पिता से मिली। शिक्षा, संस्कार तथा परिवे![मेधा ताई](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Medha-Patkar_7.jpg?itok=T6RsAHmK)