सुष्मिता सेनगुप्ता

सुष्मिता सेनगुप्ता
स्वच्छता की डगर पर अगर-मगर
Posted on 14 Aug, 2017 04:27 PM
हर घर में शौचालय होना चाहिए। यह 21वीं सदी में दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती है। दरअसल विश्व में करीब 100 करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं। दुनिया को 2030 तक इससे मुक्त करने का लक्ष्य है। यह तभी सम्भव है जब भारत 2019 तक खुले में शौच मुक्त करने के लक्ष्य को हासिल करता है क्योंकि भारत की करीब 60 करोड़ की आबादी इसमें शामिल है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में बिहार, झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश
स्वच्छता अभियान: जानलेवा अभियान
Posted on 12 Aug, 2017 12:53 PM


देश भर में स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर खुले में शौच करने वालों को प्रताड़ित करने के मामले सामने आ रहे हैं। राजस्थान में तो एक सामाजिक कार्यकर्ता को पीट-पीटकर मार तक दिया गया।

 

 

Sanitation
नेतृत्व और निष्ठा का संकट
Posted on 01 Apr, 2017 12:51 PM

एक तरफ विफल होता सुखोमाजरी है तो दूसरी तरफ रालेगण सिद्धि की आदर्श गाँव की छवि पर सवालिया निशान लग रहे हैं। जल संचयन, सम्भरण व संरक्षण की मिसाल रहे अन्ना हजारे के इस गाँव में टैंकरों से पानी की आपूर्ति भावी संकट का संकेत है? अन्ना हजारे ने जल संचयन के लिये विख्यात गाँवों की चुनौतियों के बारे में सुष्मिता सेनगुप्ता के साथ विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं इसके प्रमुख अंश :
अन्ना हजारे
सँवरने के बाद बिखरता सुखोमाजरी
Posted on 01 Apr, 2017 12:22 PM

1970 व 80 के दशक में जलस्तर बढ़ने लगा था, जो अब घटने लगा है।
sukhna lake
नोएडा को गंगा जल के अन्य विकल्पों पर ज़रूर सोचना चाहिए
Posted on 31 Aug, 2015 12:51 PM
वर्षाजल संचयन धरती के जल के स्तर को सुधारने के लिये एक सफल उपाय सा
मोदी को गंगा के लिये क्या करना चाहिए
Posted on 03 Apr, 2015 10:19 AM
महज और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की योजना से नदी साफ नहीं होने जा रही

.नरेन्द्र मोदी राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण (एनजीआरबीए), जो कि 2009 में गठित की गई थी, की पाँचवीं बैठक की अध्यक्षता करने की तैयारी में है। गंगा एक्शन प्लान (जीएपी) के नाकाम होने के कार्यकर्ताओं के दावे और सार्वजनिक विरोध और आन्दोलन के बाद एनजीआरबीए बनाया गया और प्रधानमन्त्री के अध्यक्ष होने के नाते यह संस्था गंगा के पुनर्जीवन की सर्वोच्च इकाई बन गई।

सन् 1986 में तत्तकालीन प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी ने 2525 किलोमीटर लम्बी शक्तिशाली नदी की सफाई के लिये जीएपी की शुरुआत की थी।

सन् 2009 में जीएपी का फिर से शुभारम्भ किया गया और नदी घाटी प्राधिकरण को इसका प्रभारी बनाया गया। एनजीआरबीए का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि प्रदूषण का प्रभावी ढंग से नियन्त्रण हो और नदी का संरक्षण हो।
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