सुरेंद्र बांसल
तालाब बचाएँ - लौट आएगी सरस्वती
Posted on 04 Feb, 2017 11:13 AM
नदी संस्कृति के मामले में भारत कभी सिरमौर था। संसार के किसी भी क्षेत्र की तुलना में सर्वाधिक नदियाँ हिमालय अधिष्ठाता शिव की जटाओं से निकलकर भारत के कोने-कोने को शस्य-श्यामला बनती रही हैं। तमाम नदियाँ करोड़ों लोगों की जीवन का सेतु और आजीविका का स्थायी स्रोत होने के साथ-साथ जैव विविधता, पर्यावरणीय और पारिस्थितिक सन्तुलन की मुख्य जीवनरेखा रही हैं।
ऋग्वेद में वर्णित सरस्वती नदी भी इनमें से एक थी। करीब पाँच हजार वर्ष पहले सरस्वती के विलुप्त होने के कारण चाहे कुछ भी रहे हों, लेकिन सरस्वती की याद दिलाने वाले इस पावन स्तोत्र को करोड़ों-करोड़ लोग आज भी गुनगुनाते हैं।
तब लुप्त नहीं होगी कोई सरस्वती
Posted on 18 Mar, 2016 01:32 PMनदी संस्कृति के मामले में भारत कभी विश्व का सिरमौर था। संसार के किसी भी क्षेत्र की तुलना में सर्वाधिक नदियाँ हिमालय अधिष्ठाता शिव की जटाओं से निकलकर भारत के कोने-कोने को शस्य-श्यामला बनती रही हैं। तमाम नदियाँ करोड़ों लोगों की जीवन का सेतु और आजीविका का स्थायी स्रोत होने के साथ-साथ जैव विविधता, पर्यावरणीय और पारिस्थितिक सन्तुलन की मुख्य जीवनरेखा रही हैं।
ऋग्वेद में वर्णित सरस्वती नदी भी इनमें से एक थी। करीब पाँच हजार वर्ष पहले सरस्वती के विलुप्त होने के कारण चाहे कुछ भी रहे हों, लेकिन सरस्वती की याद दिलाने वाले इस पावन स्रोत को करोड़ों-करोड़ लोग आज भी गुनगुनाते हैं।
धरती को संवारने की श्रद्धा
Posted on 22 Nov, 2014 03:08 PMआज से पच्चीस साल पहले बहुत-से ओरण जो उस समय के लोकप्रिय माने गये, 'बीस सूत्री कार्यक्रम'
ताप की दवा
Posted on 22 Nov, 2014 02:18 PMहमारा वैदिक काल पर्यावरण के गूढ़ रहस्यों को ही समझने का हरियाला काल था। पृथ्वी को माता, आकाश को
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