प्रो. शुकदेव प्रसाद

प्रो. शुकदेव प्रसाद
प्रकृति-संरक्षण की संस्कृति
Posted on 14 Mar, 2014 09:38 AM
भारतीय संस्कृति में निहित इन बिंदुओं को यदि नैतिकता-अनैतिकता की सी
गंगा स्वच्छता अभियान : आज तक 
प्रमुख औद्योगिक नगर कानपुर के चमड़े कपड़े और अन्य उद्योगों के अपशिष्टों के प्रभाव तले वहां गंगा का जल काला हो जाता है। गंगोत्री से लेकर वाराणसी तक गंगा नदी में 1611 नदियां और नाले गिरते हैं तथा केवल वाराणसी के विभिन्न घाटों पर लगभग 30,000 लाशों का दाह संस्कार होता है।
Posted on 10 Jul, 2023 11:55 AM

सारांश

इस अभिभाषण में 1985 में गंगा की सफाई को लेकर आरंभ हुई गंगा कार्य योजना व  केंद्रीय गंगा प्राधिकरण के गठन से लेकर आज तक इस दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा की गई है, कार्य योजना की परिणतियों और निष्पत्तियों पर विमर्श भी किया गया है।योजना की खामियों को लेकर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विवेचना की गई है और भारत सरकार द्वारा निर

गंगा स्वच्छता अभियान : आज तक, फोटो क्रेडिट:IWP,Flicker 
एक जिंदगी वृक्षों के नाम प्रकृति सहचरी वंगारी मथाई
नोबल शांति पुरस्कारों को कोटि में पर्यावरण संरक्षण को भी अहमियत दी जाने लगी, कदाचित पर्यावरण की बदहाली से भयाक्रांत मानवता की चीख-पुकार ने नोबल समिति को उद्वेलित किया हो तभी तो एक साधारण सी कीनियाई महिला, जो कभी पौधरोपण के लिए महिलाओं को कुछ शिलिंग देती थी, ने कालांतर में (वर्ष 2004) नोवल की बुलंदियों का संस्पर्श किया। उस साधारण सी महिला ने वस्तुतः पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में, अपनी धरती की हरीतिमा बचाने के उपक्रम में असाधारण कार्य किए थे Posted on 22 Apr, 2023 11:15 AM

नोबल पुरस्कारों के साथ एक विसंगति है। वर्ष 1901 से आरंभ नोबेल पुरस्कार भौतिकी  रसायन, कार्यिकी (चिकित्सा) के निमित्त तो हैं लेकिन नोवल प्रतिष्ठान गणित को कोई श्रेय नहीं देता है। यह अपने आप में विस्मयकारी है क्योंकि गणित विद्या तो सारे विज्ञानों की पटरानी है। गणित विद्या न होती तो आज न राकेट होते, न मिसाइलें, न कम्प्यूटर और न ही संचार क्रांति का पदार्पण होता। बहरहाल, नोयन पुरस्कार चयन समिति अर्थ

एक जिंदगी वृक्षों के नाम प्रकृति सहचरी वंगारी मथाई,Pc-one earth
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