प्रियंका कौशल
पथरी पीड़ितों का जिला ‘बेमेतरा’
Posted on 24 Nov, 2015 03:06 PMछत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग हुए 15 वर्ष पूरे हो गए हैं। अभी हाल ही में यानि एक नवम्बर को सू
इस दीवाली दीजिए अपनों को खास तोहफ़ा
Posted on 08 Nov, 2015 11:48 AMदीपावली विशेष
छत्तीसगढ़ सरकार ने हर वर्ष की तरह अपनी अखण्ड परम्परा को निभाते हुए पर्यावरण संरक्षण नियम 1986 के प्रावधानों के तहत पटाखों से सम्भावित ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिये कई तरह के निर्देश जारी किये हैं। राज्य के सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को परिपत्र जारी कर कहा गया है कि निर्धारित मानकों से अधिक ध्वनि प्रदूषण वाले पटाखों के उत्पादन और उनकी बिक्री को प्रतिबन्धित किया जाये।
साथ ही नसीहत भी दी गई है कि सभी स्कूल-कॉलेजों में विद्यार्थियों को ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण की समस्या की जानकारी देकर उन्हें पटाखों के दुष्प्रभावों के बारे में भी अवगत कराया जाना चाहिए। इसके लिये समाज में जन-जागरण अभियान चलाकर उसमें छात्र-छात्राओं को भी जोड़ा जाना चाहिए।
पानी की आस में पथराई आँखे
Posted on 27 Oct, 2015 11:13 AMखरीद कर पानी पीने को मजबूर उमरिया खुर्द के लोगबिजली के तारों के साथ पानी के पाइपों का जाल
पानी ने बना दिया समय से पहले बूढ़ा
Posted on 20 Oct, 2015 04:22 PMछत्तीसगढ़ में फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से विकलांग हो रहे लोग
शौच के पानी को बना रहे हैं उपयोग लायक
Posted on 17 Nov, 2015 03:54 PMविश्व शौचालय दिवस, 19 नवम्बर 2015 पर विशेष
बस्तर के एक गाँव में चल रहे इस विद्यालय ने करीब 15 हजार की लागत से बस्तर का पहला ‘वेस्ट वाटर रिसाइकल प्लांट’ यहाँ बनाया गया है। इस प्लांट में उपयोग हो चुके पानी को फिर से भूमि के अन्दर इस्तेमाल करने लायक बनाया जाता है। इससे आश्रम में कभी पानी की कमी नहीं होती। प्लांट में शुद्ध हुए पानी को फिर दैनिक कर्मों में इस्तेमाल किया जाता है।
बस्तर के अत्यधिक नक्सल प्रभावित इलाकों से गुजरते वक्त क्या ये कल्पना सम्भव है कि यहाँ कुछ सुखद, दिल को आनन्द देने वाला और सन्तोषजनक भी मिल सकता है। इसका जवाब है हाँ। बस्तर में भी ऐसा बहुत कुछ हो रहा है, जो हमें सुकून दे सकता है।
फिलवक्त तो हम बात कर रहे हैं लंजोडा नामक गाँव में बनाए गए “वेस्ट वाटर रिसाइकल प्लांट” की, जो शौचालय में इस्तेमाल होने वाले पानी को न केवल दोबारा उपयोग के लायक बना रहा है, बल्कि कुछ लोग इसका लाभ भी उठा रहे हैं।
जब कांकेर और कोंडागाँव जैसे आदिवासी जिलों में पानी का संकट गहराने लगता है तो इन दोनों जिलों के मध्य स्थित लंजोड़ा गाँव का सदा हराभरा रहने वाले एक कोना सहज ही राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर से गुजरने वाले यात्रियों का ध्यान खींच लेता है।