प्रभात खबर

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चेक डैम से पानी के साथ आमद भी
Posted on 30 Jun, 2011 11:03 AM

रांची। गुजरात में 1.44 लाख चेक डैम हैं। पिछले 10 साल में यहां दो हजार बड़े चेक डैम बने हैं। इससे सूखा क्षेत्र में जल स्तर अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है। राज्य अब एन्वायरंमेंट फ्रेंडली स्टेट बनता जा रहा है। जोहांसबर्ग अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यहां के चेक डैम विशेष चर्चा हुई। वैश्विक पर्यावरण के लिए इसकी सराहना की गयी। एक अध्ययन के मुताबिक, देश के 55 चीजों पर गर्व कर सकते हैं, तो उनमें एक गुजरात क

चेकडैम
मानसून पर निर्भर मुस्कान
Posted on 10 Jun, 2011 09:19 AM

महंगाई की मार झेल रही आम जनता और किसानों के लिए अच्छी खबर है। मौसम विभाग ने इस वर्ष के अपने पहले पूर्वानुमान में मानसून के सामान्य रहने की भविष्यवाणी की है। विभाग ने इस साल करीब 98 फ़ीसदी बारिश होने का अनुमान लगाया है। मानसून 31 मई तक केरल पहुंच जायेगा।

अब इ-कोलाइ के बैक्टीरिया का कहर
Posted on 10 Jun, 2011 08:58 AM

कुछ माह पहले सुपरबग ने पूरी दुनिया को नये खतरे का अहसास कराया था। अब इ-कोलाइ का नया बैक्टीरिया सामने आया है। यूरोप में इसका फ़ैलाव बड़ी चिंता का कारण बन रहा है। यह खीरे के माध्यम से फ़ैला है और लोगों के पाचन तंत्र को विषैला कर रहा है। इससे सबसे ज्यादा जर्मनी प्रभावित हुआ है, जहां 17 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और दो हजार से अधिक लोग संक्रमित हो गये हैं।

जुड़ेंगी झारखंड की पांच नदियां
Posted on 22 Sep, 2010 09:16 AM
रांची : झारखंड में तीन प्रोजेक्ट के तहत पांच नदियों को जोड़ा जायेगा। जल संसाधन विभाग ने इससे संबंधित प्रस्ताव राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण (एनडब्ल्यूडीए) को भेजा है।

बताया जाता है कि रिपोर्ट की विस्तृत विवरणी भी भेज दी गयी है। डीपीआर तैयार करने के लिए एनडब्ल्यूडीए ने अब राज्य सरकार से एक कार्यालय के लिए जगह मांगी है।
गायब होते जंगल
Posted on 22 Sep, 2010 08:55 AM
जनजातियां हमेशा से जंगलों में रहती हैं। वे लोग जंगलों की पूजा भी करते हैं। यह सच्चाई है कि वे जलावन के लिए कुछ लकड़ियां, कुछ इमारती लकड़ियां और अपने जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था इन जंगलों से करते हैं, लेकिन वे जंगलों को कभी बरबाद नहीं करते। यह तो कुछ लकड़ी व्यापारियों की देन है कि वे अपनी जेब भरने के लिए वन विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मिलीभगत से इन्हें माध्यम बना कर लकड़ियां
ज्यादा पैदावार के लालच में अकाल !
Posted on 22 Sep, 2010 08:31 AM वर्तमान में मानसून का अनियमित होना और वर्षा की मात्रा में स्पष्ट कमी, गंभीर समस्या के रूप में सामने है। यह समस्या पूरे देश के जन-जीवन को प्रभावित कर रही है। सिर्फ भारत में ही नहीं ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, सोवियत यूनियन और चीन जैसे देशों में भी यह समस्या बढ़ी है।भारतीय उपमहाद्वीप का बहुत बड़ा हिस्सा उष्णकटिबंधीय है, जो 5 से 30 डिग्री अक्षांश के बीच पड़ता है। जहां वायु की ग्रहीय संचार पद्धति उतर-पूर्वी
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