मुकेश नौटियाल
मुकेश नौटियाल
गंगा के मायके में प्यासी धरती, प्यासे लोग
Posted on 15 Apr, 2010 10:28 AMसमूचे गंगा के मैदान को पानी उपलब्ध करवाने वाला उत्तराखंड स्वयं प्यासा है। क्रुद्ध पर्वतवासी जन-संस्थान के दफ्तरों और अफसरों का घेराव कर रहे हैं। आंदोलनों से सरकारी मशीनरी अक्सर सक्रिय होती भी है लेकिन उसकी सक्रियता का परिणाम नगरों और कस्बों तक ही सीमित होता है। गांव प्यासे रह जाते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इस पर्वतीय प्रदेश की 75 प्रतिशत जनसंख्या 15,828 गांवों में निवास करती है। नगरीय इल
गंगा के साथ ही गदेरों की भी सुध लीजिए
Posted on 11 Apr, 2010 10:15 AMगंगा को बचाने की मुहिम में बड़े-बड़े लोग शामिल हुए हैं, लेकिन इसमें उन लोगों को शामिल करना अभी शेष है, जिन्होंने गंगा को पूरी निष्ठा के साथ स्वच्छ और अविरल रूप में हरिद्वार तक पहुंचाया है। इसके लिए जरूरी है कि गंगा के मायके के लोगों को इस अभियान से जोड़ा जाए। हरिद्वार से आगे गंगा मैली हुई है, तो इसका संज्ञान संबद्ध क्षेत्रों के लोगों को लेना चाहिए। गंगा के उद्गम प्रदेश से तो गंगा आज भी पूर्व