कृष्ण कुमार मिश्र
किसान और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक
Posted on 30 Apr, 2015 02:45 PMआज फिर लखीमपुर खीरी के अवधी कवि व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के तत्कालीन विधायक पण्डित बंशीधर शुक्ल जी याद आ गए और याद आ गई उनकी वह कविता ‘चौराहे पर ठाढ़ किसनऊ ताकए चारिहवार...।’ आज चारों तरफ किसानों के मरने की खबरे गूंज रही हैं। अभी कुछ अरसा पहले एक सरकारी दिवस था किसान दिवस और भारत के प्रधानमन्त्री रहे चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस को यह गरिमा प्रदान की भारत सरकार ने, बड़ी-बड़ी बातें हुईं, पर सब बेनतीजा,तराई में खिला विलायती फूल
Posted on 30 Apr, 2015 02:37 PMउत्तर भारत के तराई जनपद लखीमपुर खीरी की एक नदी पिरई और उसके दक्षिण में बसा एक गाँव मैनहन, बस यहीं की यह दास्ताँ है, जो एक फूल से बावस्ता है। दरअसल, कभी यह नदी यहाँ के शाखू, महुआ, पलाश आदि के जंगलों और घास के बड़े-बड़े मैदानों से होकर गुजरती थी। भौगोलिक दृष्टिकोण से नदी की धारा अभी भी अपने हजारों वर्ष वाले रास्ते पर मुस्तकिल है, परन्तु अब यह नदी बहती नहीं रिसती है। वजह जाहिर है कि जंगलों और मैदानों सपक्षियों के संरक्षण का जीवंत उदाहरण: ग्राम सरेली
Posted on 24 Nov, 2011 10:48 AMएक मनुष्य के पूरे शरीर की तरह यदि शरीर का एक अंग नष्ट हो जाये तो उससे सारा शरीर बिना प्रभावित हुये नहीं रह सकता। इसी प्रकार इस प्रकृति के सारे तत्व एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और यदि कोई एक तत्व प्रभावित होता है तो इससे पूरा पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है। अतः आकाश की सुन्दरता को पक्षीविहीन होने से जिस प्रकार यह ग्रामीण सतत् प्रयासरत् हैं, यह अपने आप एक सराहनीय प्रयास है और इससे हमें सबक लेना चाहिये।
उन्नीसवीं सदी की शुरूआत में ब्रिटिश हुकूमत के एक अफसर को लहूलुहान कर देने से यह गाँव चर्चा में आया मसला था। एक खूबसूरत पक्षी प्रजाति को बचाने का, जो सदियों से इस गाँव में रहता आया। बताते हैं कि ग्रामीण ये लड़ाई भी जीते थे, कोर्ट मौके पर आयी और ग्रामीणों के पक्षियों पर हक जताने का सबूत मांगा, तो इन परिन्दों ने भी अपने ताल्लुक साबित करने में देर नहीं की, इस गाँव के बुजुर्गों की जुबानी कि उनके पुरखों की एक ही आवाज पर सैकड़ों चिड़ियां उड़ कर उनके बुजुर्गों के आस-पास आ गयी, मुकदमा खारिज कर दिया गया। गाँव वालों के घरों के आस-पास लगे वृक्षों पर ये पक्षी रहते हैं और ये ग्रामीण उन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं,