जनसत्ता

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पर्यावरण पर असर की जांच के बाद कोकाकोला प्लांट लगेगा
Posted on 24 May, 2013 10:02 AM
ग्राम छरबा में प्रस्तावित कोकाकोला प्लांट के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का परीक्षण पर्यावरण विशेषज्ञों की समिति से कराया जाएगा। यह सुनिश्चित कर लिए जाने के बाद कि प्रस्तावित प्लांट से स्थानीय पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा, प्लांट लगाए जाने की अंतिम मंजूरी दी जाएगी। मुख्यमंत्री आवास में आए छरबा के स्थानीय लोगों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि सरका
छरबा गांव के लोगों से मिलते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा
नर्मदा के पानी से मिलेगा क्षिप्रा को नया जीवन
Posted on 13 May, 2013 11:57 AM
क्षिप्रा अब साल भर भी नहीं बहती है। इस नदी के तट पर जगह-जगह अतिक्रम
आफत में परिंदों का जीवन
Posted on 04 Jun, 2012 11:49 AM
प्रकृति की सबसे खूबसूरत सौगात पर्यावरण का जिस प्रकार हमने अपनी जरूरतों की खातिर क्रूरता से दोहन किया है। उससे उत्पन्न हो रहे खतरों की फेहरिस्त बड़ी लंबी हो गई है। पर्यावरण पर इंसानी क्रूर प्रहार और दोहन की वजह से परिंदों का बसेरा भी अब छिन गया है। पक्षियों की कई खूबसूरत प्रजातियां अब नजर नहीं आती और पर्यावरण के दोहन से हमने उनके विलुप्त होने की बुनियाद रख दी है। जाहिर सी बात है शहरीकरण और कटते
बाड़मेर में ग्रामीणों ने किया पानी का बंटवारा
Posted on 28 Apr, 2011 10:20 AM

प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि पानी को लेकर होने वाले झगड़ों को रोकने के लिए पानी का बंटवारा

नोएडा के क्षेत्रों में बढ़ेगा पेयजल का संकट
Posted on 02 Feb, 2011 02:58 PM
नोएडा ग्रेटर नोएडा समेत पूरे एनसीआर क्षेत्र में आने वाले समय में लोगों को पीने के पानी के लिए तरसना पड़ सकता है। वैसे नोएडा में तो पहले ही पेय जल की कमी है। पीने के लिए जो पानी गंगा से मंगाया जा रहा है। उसकी मात्रा भी कम है। नोएडा का पानी कठोर और खारा है। इसके लिए नई तकनीकी को अपनाना होगा। तभी पानी की समस्या से निपटा जा सकता है। यह बात फोंटस वाटर के सीओओ सुब्रमण्यम एच ने एक सर्वे के बाद कही। वे नो
नदियां बनी जहर
Posted on 07 Feb, 2009 09:26 AM
संजीव/जनसत्ता/मुजफ्फरनगर/17 जन.09

प्रदूषित होते पानी का असर फसल पर भी अब पड़ रहा है। जहर बनते नदियों के पानी व जल संरक्षण नहीं होने से आने वाले समय में प्रदूषित पानी को लेकर समस्या अधिक गहरी हो जाएगी।
रिहंद का पानी
Posted on 31 Dec, 2008 02:24 PM
अंबरीश कुमार/ जनसत्ता/ देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू का सपना अब टूटता नजर आ रहा है। रिहंद बाँध ( रेनुकूट ) का उद्घाटन करते हुए नेहरू ने कहा था,”यह क्षेत्र भारत का स्विटजरलैंड बनेगा।“ विंध्य क्षेत्र में ऊर्जांचल के नाम से मशहूर यह इलाका स्विटजरलैंड तो नहीं बना, बदहाली का शिकार जरूर हो गया। इस क्षेत्र के लाखों लोग प्रदूषित हो रहे हवा और पानी का शिकार हो गए।
खूब बरसीं बरखा रानी, फिर भी न भरे तालाब
Posted on 03 Oct, 2008 09:05 AM

अंबरीश कुमार / जनसत्ता
बुंदेलखण्ड में खूब पानी बरसने के बाद भी चंदेलकालीन तालाब प्यासे रह गए। सालों से पहाड़ी में हो रहे विस्फोटों के चलते बुंदेलखण्ड के इस अंचल में अब मानसून टूट रहा है। गंधी कीड़ा आ चुका है जो मानसून की विदाई का सूचक माना जाता है। समूचे बुंदेलखण्ड में दो सौ से तीन सौ गुना बारिश हुई है पर महोबा में कुल 417 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है। पिछले साल भीषण अकाल के दौर में यह आंकड़ा 211 का था।

गुरूवार की सूचना के मुताबिक महोबा शहर के बीच बसे ऐतिहासिक मदनसागर में घुटने भर भी पानी नहीं है।

बुंदेलखण्ड
ताजी हवा उगाने के नुस्खे बताती किताब
ताजी हवा न केवल बेहतर सोच और सतर्कता में मदद करती है, बल्कि स्वस्थ बच्चों की परवरिश में भी सार्थक भूमिका निभाती है, जो हमारे भविष्य के संरक्षक हैं। पुस्तक के लेखकों ने गहन शोध से आंतरिक जगहों पर हवा को शुद्ध करने के तरीकों को शब्दबद्ध किया है ताजी हवा न केवल बेहतर सोच और सतर्कता में मदद करती है, बल्कि स्वस्थ बच्चों की परवरिश में भी सार्थक भूमिका निभाती है, जो हमारे भविष्य के संरक्षक हैं। पुस्तक के लेखकों ने गहन शोध से आंतरिक जगहों पर हवा को शुद्ध करने के तरीकों को शब्दबद्ध किया है
Posted on 18 Nov, 2023 11:29 AM

जब दिल्ली सहित देश का बड़ा हिस्सा वायु प्रदूषण से जूझ रहा है तब एक किताब इस समस्या के समाधान की बात करने के लिए आई है। गुरुवार को वायु प्रदूषण से जूझने के लिए वाणी पृथ्वी कड़ी के तहत वाणी प्रकाशन की पुस्तक 'ताजी हवा कैसे उगाएं' का लोकार्पण हुआ। लेखक, कमल मीतल और वरुण अग्रवाल  मिलकर 'ताजी हवा कैसे उगाएं' में पर्यावरण समस्याओं और वायु गुणवत्ता के प्रति सहज, सरल भाषा में संवाद किया है।

ताजी हवा उगाने के नुस्खे बताती किताब
जन आंदोलन के बिना नहीं बच सकेगी यमुना
Posted on 19 Aug, 2010 09:21 AM

प्रबुद्ध नागरिकों से मुहिम में जुड़ने की अपील, गोष्ठी के जरिए लाएंगे जागरुकता


अब दिल्ली नागरिक परिषद ने यमुना बचाने के लिए दिल्ली के नागरिकों का जनांदोलन खड़ा करने का फैसला किया है। परिषद के अध्यक्ष वीरेश प्रताप चौधरी कहते हैं कि यमुना की दुर्दशा खुद नहीं हुई है। अगर इसके नैसर्गिक बहाव को रोका नहीं जाता तो यमुना दिल्ली के साथ कई शहरों की प्यास बुझाती। साथ ही लाखों एकड़ खेतों और जंगलों को आबाद करती। यमुना की यह दशा सरकारों के नाकारापन और स्वार्थ के कारण हुई है। इसलिए केवल सरकारों से यमुना को बचाने की उम्मीद करना गलत होगा। अभी इस अभियान में प्रबुद्ध नागरिकों को जोड़ने के लिए अनेक गोष्ठी आयोजित की जा रही है। इस कड़ी में पिछले महीने एक गोष्ठी हुई और अगले महीने 11 सितंबर को बीपी हाउस में पूरे दिन की गोष्ठी होने वाली है।

यमुना बचाओ अभियान के नाम से एक अपील
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