इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी)
सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मुझे निम्नलिखित जानकारी उपलब्ध कराएँ (Provide me information under RTI (Right to Information) Act 2005)
Posted on 17 Jul, 2017 12:10 PMसेवा में,
सूचना पदाधिकारी
जल संसाधन विभाग
झारखण्ड सरकार, राँची
विषय- सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मुझे निम्नलिखित जानकारी उपलब्ध कराएँ
1. छाता नदी में जबड़ा गाँव के पास जो डैम बन रहा है उसका डीपीआर
2 किन-किन किसानों की जमीन जाएगी, कितनी जमीन काँटी योजना, खाता नं. प्लॉट नं. सहित (खूँटी जिला - कर्रा प्रखण्ड)
मीडिया कॉन्क्लेव 2016 (Media Conclave 2016)
Posted on 09 Aug, 2016 12:20 PMकान्हा मीडिया कॉन्क्लेव का विकास के मुद्दों पर औपचारिक और अनौपचारिक संवाद की प्रक्रिया को बढ़ावा देगा। कान्हा मीडिया कॉन्क्लेव में जिन प्रमुख वक्ताओं ने मुख्य वक्तव्य के लिए अपनी सहमति
बदलते परिवेश में जल संसाधन प्रबन्धन
Posted on 02 Jul, 2015 01:14 PMपाँचवी राष्ट्रीय जल संगोष्ठी - 2015दिनांक: 19-20 नवम्बर 2015
स्थान : राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की
आयोजकः जलविज्ञान संस्थान (ISO-9001:2008) जलविज्ञान भवन रुड़की-247667 (उत्तराखण्ड)
परिचय
विश्व के अधिकांश देशों में जल से जुड़ी विभिन्न समस्याओं में निरन्तर वृद्धि हुई है जिससे नियोजन तथा प्रबन्धन का संकट बढ़ा है। आज जल संकट को लेकर पूरा विश्व समुदाय चिंतित और भयभीत है इसलिए इस समस्या के समाधान के लिए सभी स्तरों पर पूरी जिम्मेवारी तथा निष्ठा से समन्वित प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। नियोजन की समस्याएँ प्रायः असमान विकास, गुणवत्ता हृास तथा पर्यावरण के क्षय के कारण पैदा होती हैं। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मन्त्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों तथा राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (रा.ज.सं.) रुड़की की राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक में लिए गए निर्णयानुसार रा.ज.सं. द्वारा वर्ष 1999 में तकनीकी एवं वैज्ञानिक प्रकृति के सरकारी कार्यों में राजभाषा हिन्दी के प्रगामी प्रयोग को सर्वोच्च प्राथमिकता एवं सम्मान देने के उद्देश्य से पहली राष्ट्रीय जल संगोष्ठी का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न किया गया। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए, प्रत्येक चार वर्ष के अन्तराल में अर्थात वर्ष 2003, 2007 तथा 2011 में रा.ज.सं. द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठियों का सफल आयोजन किया गया। तद्नुसार इस वर्ष भी रा.ज.सं. 19-20 नवम्बर, 2015 को पाँचवीं राष्ट्रीय जल संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है।
हाल ही के वर्षों में विश्व के अधिकांश देशों में जल से जुड़ी विभिन्न समस्याओं में निरन्तर वृद्धि हुई है जिससे नियोजन तथा प्रबन्धन का संकट बढ़ा है। आज जल संकट को लेकर पूरा विश्व समुदाय चिंतित और भयभीत है इसलिए इस समस्या के समाधान के लिए सभी स्तरों पर पूरी जिम्मेवारी तथा निष्ठा से समन्वित प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
नदिया धीरे बहो
Posted on 14 Jun, 2015 04:00 PMविश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष
इस पर्यावरण दिवस पुरबियातान फेम लोकगायिका चन्दन तिवारी की पहल
नदी के मर्म को समझने, उससे रिश्ता बनाने की संगीतमय गुहार
पाँच जून को पर्यावरण दिवस के मौके पर अपने उद्यम व उद्यमिता से एक छोटी कोशिश लोकगायिका चन्दन तिवारी भी कर रही हैं। साधारण संसाधनों से साधारण फलक पर यह असाधारण कोशिश जैसी है। चन्दन पर्यावरण बचाने के लिये अपनी विधा संगीत का उपयोग कर और उसका सहारा लेकर लोगों से नदी की स्थिति जानने, उससे आत्मीय रिश्ता बनाने और उसे बचाने की अपील करेंगी।
लोकराग के सौजन्य व सहयोग से चन्दन ने ‘नदिया धीरे बहो...’ नाम से एक नई संगीत शृंखला को तैयार किया है, जिसका पहला शीर्षक गीत वह पर्यावरण दिवस पाँच जून को ऑनलाइन माध्यम से देश तथा देश के बाहर विभिन्न स्थानों पर जनता के बीच लोकार्पित कीं। इस गीत के बोल हैं- अब कौन सुनेगा तेरी आह रे नदिया धीरे बहो...। इस गीत की रचना बिहार के पश्चिम चम्पारण के बगहा के रहने वाले मुरारी शरण जी ने की है।
नीर फ़ाउंडेशन को कर्मवीर चक्र पुरस्कार
Posted on 11 Apr, 2015 04:30 PM गैर-सरकारी संगठन नेशनल एन्वायरन्मेंटल एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन अर्थात नीर फ़ाउंडेशन को वर्ष 2015 का कर्मवीर चक्र अवार्ड मिला है। यह पुरस्कार दिल्ली में 21 से 23 मार्च तक आयोजित हुए एक समारोह में दिया गया।
‘भूगर्भ जल प्रबन्धन’ पर ट्रेनिंग कार्यक्रम
Posted on 19 Mar, 2015 04:19 PMतारीख : 09-23 जून 2015
स्थान : देहरादून
पहाड़ी इलाकों में झरने न केवल पानी के लिये बल्कि जीविका का भी महत्वपूर्ण साधन हैं। झरने (स्प्रिंग) पहाड़ पर पेयजल के संकट को तो कम करते ही हैं, कृषि जल-प्रबन्धन में भी सहायक हैं। हिमालय के पूरे इलाके में झरनों की संख्या हजारों में है। हाँ! इनके अलग-अलग इलाकों में नाम अलग-अलग हैं। कहीं नौले तो कहीं धारे कहा जाता है। लेकिन पिछले कुछ समय से ये झरने सूखते जा रहे हैं। चूँकि झरने पहाड़ी लोगों की धरोहर हैं इसलिए इनको सूखने से बचाने में, सूखे झरनों के जीवित करने में कई लोग काफी समय से लगे हुए हैं। और कुछ झरनों को पुनर्जीवित करने में सफलता भी हासिल की गई है।
सिक्किम में सरकार की सहायता से पीएसआई झरनों को पुनर्जीवित करने के कार्य में लगी हुई है। थानाकासोगा पंचायत क्षेत्र में पीएसआई, अर्घ्यम की सहायता द्वारा 2010 से कार्यरत है।
पोस्टर : ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता जागरुकता सप्ताह
Posted on 18 Mar, 2015 11:35 AMपोस्टर को बड़े साइज में देखने के लिये अटैचमेंट देखें
शहर ग्रीन करो, इट्स अवर टर्न टू लीड
Posted on 17 Feb, 2015 11:47 AM22 अप्रैल, 2015 को 45वां पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है। इस वर्ष का अन्तरराष्ट्रीय नारा है- शहर ग्रीन करो, ये हमारी जिम्मेदारी है।भारत में पृथ्वी दिवस के अवसर पर देश के 45 शहरों में प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता का शीर्षक होगा शहर ग्रीन करो, इट्य अवर टर्न टू लीड।
प्रतियोगिता के अन्तर्गत देशभर में हर व्यक्ति अपने शहर को ‘स्वच्छ’ और ‘हरा’ बनाने का प्रयास कर सकता है। सभी श्रेष्ठ प्रयासों को अर्थ डे नेटवर्क द्वारा सम्मानित किया जाएगा। हमारे द्वारा पर्यावरण के लिए किया गया एक छोटा सा प्रयास भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।