डॉ. दया शंकर त्रिपाठी

डॉ. दया शंकर त्रिपाठी
घातक हो सकता है मूत्र संक्रमण
Posted on 10 Dec, 2016 12:49 PM

मूत्र संक्रमण (यूरिन इन्फेक्शन) एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति में पायी जा सकती है। परंतु यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा पायी जाती है। 15 से 45 वर्ष की आयु की स्त्रियों को यह बीमारी अक्सर हो जाया करती है। इसमें मूत्र मार्ग में खुजली, मूत्र त्याग में जलन एवं सूई चुभने जैसी असहनीय पीड़ा होती है। इसके कारण रोगी मूत्र त्याग करने में भय महसूस करता है। तीव्र अवस्था म
क्या है बादल फटना (Cloud Burst)
Posted on 26 Nov, 2016 03:01 PM

उत्तराखण्ड में पिछले दिनों आयी भयानक प्राकृतिक आपदा में सैकड़ों लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी और हजारों लोग प्रभावित हुए। शुरुआत में इसका कारण बादल फटना बताया गया लेकिन बाद में भारतीय मौसम विभाग ने यह स्पष्ट किया कि यह आपदा बादल फटने से नहीं बल्कि सामान्य से अधिक वर्षा होने के कारण हुई। सामान्यतया बादल फटने की घटनायें पर्वतीय इलाकों में होती हैं। मौसम व
स्थान विशेष तथा प्रवाह की दिशा के अनुसार नदियों के जल का गुण
देश विशेष के अनुसार ताम्रवर्ण की मिट्टी में उत्पन्न जल वातादि दोषों को उत्पन्न करने वाला है, धूसर मिट्टी में उत्पन्न जल जड़ताकारक, दुष्पच तथा अनेक दोषों को उत्पन्न करता है। पहाड़ के ऊपर से उत्पन्न जल वातनाशक स्वच्छ, पथ्य, हल्का तथा स्वादिष्ट है और श्याम (काली) वर्ण की मिट्टी से उत्पन्न जल श्रेष्ठ है तथा त्रिदोष शामक एवं सभी प्रकार के रोगों को नाश करने वाला है।
Posted on 02 Jun, 2024 09:08 AM

सभी पूर्वाभिमुख बहने वाली नदियां भारी (गुरु) होती हैं और पश्चिमाभिमुख बहने वाली नदियां निश्चय ही हल्की होती हैं। प्रत्येक देश में अपने गुण विशेष से नदियां गौरव (भारीपन) तथा लाघव (हल्कापन) को घारण करती हैं।

प्रतिकात्मक तस्वीर
कामायनी महाकाव्य में जलवायु परिवर्तन
पृथ्वी की जलवायु कालांतर से ही परिवर्तनशील रही है। भौमिकीय काल-क्रम के विभिन्न विधियों में हुए जलवायु परिवर्तन नाटकीय तो थे ही, साथ ही इन्होंने पृथ्वी के प्राणियों तथा वनस्पतियों के उद्भव, विकास तथा विनाश के इतिहास को भी निरंतर प्रभावित किया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न भूगतिकी प्रक्रियाएँ भी जलवायु परिवर्तनों द्वारा नियंत्रित होती रही हैं। पृथ्वी पर मानव के अस्तित्व से जुड़े इन जलवायु परिवर्तनों के संबंध में विगत कुछ वर्षों से उल्लेखनीय कार्य हुए हैं।
Posted on 12 Sep, 2023 02:07 PM

भूमंडल के मौसम और जलवायु के प्रति मानव हमेशा से जिज्ञासु रहा है। यह केवल मानव ही नहीं, वरन् पृथ्वी के विभिन्न प्रकार के प्राणियों और वनस्पतियों के अस्तित्व से भी जुड़ा रहा है। यह सत्य है कि जिज्ञासा विज्ञान की जननी है। प्रश्न से ही उत्तर मिलता है और उत्तर तक पहुँचने के लिए कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। जब प्रश्न का उत्तर मिल जाता है तो जिज्ञासा शांत हो जाती है, परंतु हमेशा नई-नई जिज्ञासाएँ

कामायनी महाकाव्य में जलवायु परिवर्तन
×