दिनेश शाक्य

दिनेश शाक्य
दिनेश शाक्य

इटावा के रहनेवाले दिनेश शाक्य १९८९ से मीडिया में कार्यरत. १९८९ में पत्रिका हलचल से जुडे फिर साप्ताहिक चौथी दुनिया के बाद दिल्ली प्रेस प्रकाशन से जुडे,१९९६ से समाचार ए़जेसी वार्ता में २००३ मार्च तक इटावा में रिपोर्टर के रूप में काम किया,सहारा समय न्यूज़ चैनल में २००३ से फील्ड रिपोर्टर के रूप में काम कर रहे हैं.

dinesh.sahara@gmail.com 09412182182

दिनेश शाक्यकुख्यात डाकुओं के प्रभाव वाले उत्तर प्रदेश के इटावा के रहने वाले दिनेश शाक्य 1989 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। शुरूआत हलचल पत्रिका से जुडने के बाद चौथी दुनिया और दिल्ली प्रेस प्रकाशन से जुड़े न्यूज एजेंसी यूनाइडेट न्यूज ऑफ इंडिया में काम किया मौजूद समय में सहारा समय न्यूज चैनल उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड के लिये रिर्पोटर के तौर पर काम कर रहे हैं। चंबल घाटी में प्रभावी रहे खूंखार डाकू निर्भय गुज्जर, श्याम जाटव, रज्जन गुज्जर, चन्दन यादव, अरविन्द गुज्जर, रामवीर गुज्जर, जगजीवन परिहार, रामासरे फक्कड़ से जहाँ सीधी बात करने में कामयाबी पाई वहीं महिला डाकू कुसमा नाइन, लवली पाण्डेय, सरला जाटव, रेनू यादव, नीलम गुप्ता, आदि से भी मुलाकात कर एक नया आयाम बनाया, सबसे बड़ी कामयाबी तब मुझे मिली जब चम्बल नदी में 100 से अधिक घड़ियालों के मरने के बाद उन्हें खोज ही नहीं निकाला बल्कि उस सच को उजागर कर दिया जिसे उत्तर प्रदेश का वन विभाग इनकार कर रहा था, इसके बाद सहारा समय ने इस खबर को बड़े स्तर पर प्रसारित कर बहस का एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया, इससे खासी लोकप्रियता हासिल हुई, फिर देशी विदेशी घड़ियालों के विषेशज्ञों ने चंबल में डेरा जमाया और आज भी यह कबायत जारी है।

दिनेश शाक्य
155 पक्का तालाब इटावा (उ.प्र.)
मो. 9412182182 - 9760159999

चंबल नदी के जलस्तर के 10 फीट तक घटने से दुर्लभ जलचर खतरे में
इटावा जिले के उदी स्थित केंद्रीय जल आयोग के स्थल प्रभारी मनीष जैन बताते है कि इस माह चंबल नदी का जलस्तर 105.30 मीटर चल रहा है,एक सप्ताह से इसी अनुरूप जलस्तर टिका हुआ नजर आ रहा है जब की पिछले दस साल पहले इन दिनों जलस्तर 107.08 मीटर तक इन दिनों रिकॉर्ड किया गया था।  चंबल नदी में भयानक रूप से गिर रहा जलस्तर जलीय जीवन के लिए काफी खतरनाक है, जानिए कैसे
Posted on 27 Jun, 2024 08:18 AM

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में प्रवाहित देश की सबसे स्वच्छ चंबल नदी के जलस्तर के प्रचंड गर्मी में करीब 10 फुट के आसपास घटने से दुर्लभ जलचरों को खासी तादाद में नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है। इटावा जिले के उदी स्थित केंद्रीय जल आयोग के स्थल प्रभारी मनीष जैन बताते है कि इस माह चंबल नदी का जलस्तर 105.30 मीटर चल रहा है,एक सप्ताह से इसी अनुरूप जलस्तर टिका हुआ नजर आ रहा है जब की पिछले दस साल प

चंबल नदी में भयानक रूप से गिर रहा जलस्तर
चंबल पट्टी में आग से पक्षियों की आफत
उत्तर प्रदेश में प्रचंड गर्मी के बीच इटावा जिले में यमुना और चंबल के भेद में बड़े पैमाने पर विभिन्न स्थानों पर आग लगने की घटनाओं में छोटी चिड़िया एवं ग्रास लैंड बर्ड के आशियाने खाक होने का अंदेशा जताया जा रहा है। जानिए पूरी कहानी
Posted on 19 Jun, 2024 08:28 PM

उत्तर प्रदेश में प्रचंड गर्मी के बीच इटावा जिले में यमुना और चंबल के भेद में बड़े पैमाने पर विभिन्न स्थानों पर आग लगने की घटनाओं में छोटी चिड़िया एवं ग्रास लैंड बर्ड के आशियाने खाक होने का अंदेशा जताया जा रहा है। आग से छोटी चिड़िया एवं ग्रास लैंड बर्ड के घोंसले जल कर खाक होने की यह संख्या एक दो नहीं बल्कि सैकड़ो आंकी जा रही है।

ग्रास लैंड बर्ड (फोटो साभार  - natureinfocus.in)
इटावा : अमृत योजना के तहत हकीकत के बजाय कागजों में खोदे गए तालाब
पांच नदियों के संगम वाले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में अमृत योजना के तहत तालाबो को हकीकत के बजाय कागजों में खोदने का काम किया गया है। जानें हकीकत और फसाना के बीच की कहानी
Posted on 18 Jun, 2024 01:53 PM

पांच नदियों के संगम वाले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में अमृत योजना के तहत तालाबो को हकीकत के बजाय कागजों में खोदने का काम किया गया है। सरकारी रिकॉर्ड ऐसा बता रहा है कि राज्य और केंद्र सरकार की ओर से अमृत योजना के तहत तालाबों को खोदने का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था उसके अनुरूप हकीकत में तालाब नहीं खोदे गए हैं जबकि दस्तावेजी प्रक्रिया में तालाब खोद डाले गए है।

अमृत योजना के तहत खोदे गए तालाबों का हाल
विश्व कछुआ दिवस : चंबलघाटी की पांच नदियों में मिल रहा है दुर्लभ कछुओं को 'जीवनदान'
भले ही कछुओं की तस्करी हर ओर होती हो लेकिन अर्से तक कुख्यात डाकुओं के आतंक से जूझती रही चंबल घाटी की पांच नदियों में हजारों सालों से प्राकृतिक रूप से दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को जीवनदान मिल रहा है।
Posted on 22 May, 2024 11:22 AM

भले ही कछुओं की तस्करी हर ओर होती हो लेकिन अर्से तक कुख्यात डाकुओं के आतंक से जूझती रही चंबल घाटी की पांच नदियों में हजारों सालों से प्राकृतिक रूप से दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को जीवनदान मिल रहा है।

राजीव चौहान दुर्लभ प्रजाती के कछुए के साथ
×