दि संडे पोस्ट

दि संडे पोस्ट
उद्गम से ही मैली होती गंगा
Posted on 29 Nov, 2012 12:14 PM
भारतीय संस्कृति की आधार स्तंभ गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के बजाय राजनीति हो रही है। गंगा नदी भारतीय संस्कृति की वाहक है इस पर देश के कई प्रदेशों की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था निर्भर है। ऐसी स्थिति में गंगा में बढ़ रही गंदगी नदी को ही नहीं बल्कि गंगा द्वारा उपजे संस्कृति को भी नष्ट कर देगा। गंगा को अविरल निर्मल बनाने के अभियान में पिछले 25 सालों में अरबों रुपए पानी की तरह बह गए लेकिन गंगा साफ नह
गोदामों में सड़ रहा अनाज
Posted on 28 Jul, 2012 11:54 AM
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अपनी भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की है। नतीजा, न तो हम अतिरिक्त उत्पादन को गोदामों में सुरक्षित रख पा रहे हैं और न वक्त-जरूरत जनसामान्य को उपलब्ध करा भूख से होने वाली मौतों को रोक पा रहे हैं। ऐसे में रिकॉर्ड उत्पादन का सार्थक उपयोग नहीं हो पा रहा है और खुले में, गोदामों में करोड़ों टन अनाज सड़ने और खबरों की सुर्खियों में रहने को अभिशप्त है। अनाज
गांधी के पथ पर संत
Posted on 28 May, 2011 10:03 AM

साधारण सा धोती-कुर्ता और खड़ाऊं पहने दुबली-पतली काया वाले एक संत बाकी संतों से कुछ अलग हैं। यह न बड़े पण्डाल में बैठ प्रवचन देते हैं, न ही टेलीविजन चैनलों में, पर गांधी को भूल चुके उनके अनुयायियों के लिए ये एक सीख की तरह हैं। इनके गाँधीवादी तरीके से जारी आंदोलनों ने कई बार शासन को अपनी नीतियाँ बदलने को मजबूर किया। गंगा को खनन माफियाओं से बचाने की इनकी लड़ाई लगातार जारी है। ये संत हैं हरिद्वार के कनखल में गंगा किनारे बने मातृसदन के कुटियानुमा आश्रम में रहने वाले शिवानंद महाराज स्टोन क्रेशर माफिया और शासन-प्रशासन की कैद में खोखली होती गंगा को मुक्त कराने का एक दशक से भी लंबा इनका संघर्ष किसी से छुपा नहीं है।

शिवानंद महाराज
आफत में अल्मोड़ा
Posted on 01 Jan, 2011 10:00 AM

अठारह अगस्त को बागेश्वर जिले के सुमगढ़ में बादल फटने से सरस्वती शिशु मंदिर में जिंदा दफन हुए १८ मासूमों को अभी लोग भूले भी नहीं थे कि एक माह बाद ही प्रकृति फिर प्रलय लेकर आई। इस बार बादल कहर बन कर अल्मोड़ा जिले पर टूटा। यहां भी १८ तारीख लोगों के लिए आफत का दिन बन गई। मूसलाधार बारिश ने जिले में भारी तबाही मचा दी। जिसमें साठ से भी अधिक लोग मौत के मुंह में समा गए जबकि सैकड़ों लोग गंभीर रूप से द्घा
विपदा की बरसात
Posted on 01 Jan, 2011 09:44 AM

खनन माफियाओं की चांदी
Posted on 01 Jan, 2011 09:25 AM

उत्तराखण्ड के ऊधमसिंह नगर की तहसील किच्छा के खमिया नम्बर ५ शान्तिपुरी क्षेत्र की गौला नदी से रेते का अवैध खनन लगातार जारी है। रोजाना सैकड़ों की संख्या में ट्रक, ट्रैक्टर, ट्रॉली तथा डनलप धड़ल्ले से बिना किसी रोक -टोक के इस काम में लगे हुए हैं। खनन में लगे वाहनों को अतिरिक्त पैसा लेकर बिना धर्मकांटा पर तौले रॉयल्टी की पर्चियां जारी की जा रही हैं। जो वाहन में लदे वजन से आधे से भी कम की होती हैं।
मैली होती अलकनंदा
Posted on 01 Jan, 2011 09:14 AM

आंदोलन की अनोखी मुहिम
Posted on 01 Jan, 2011 09:07 AM

गढ़वाल मंडल के बारह हजार वर्ग किमी वन क्षेत्र में से ४.२ हजार में चीड़ के पेड़ हैं। गर्मियों में जंगल में लगने वाली आग को चीड़ के पेड़ तथा पिरूल बढ़ाने का काम करते हैं और हर साल आठ हजार वर्ग किमी मिश्रित वन क्षेत्र इस आग की चपेट में आ जाता है। चीड़ से सिर्फ यही नुकसान नहीं है, बल्कि इसने यहां के प्राकृतिक जल स्रोतों को भी सुखा दिया है। पहाड़ की जनता चिंतित है पर सरकार इसके समाधान से मुंह फेर
राह दिखाता रैतोली
Posted on 30 Jun, 2011 03:13 PM

यहां ग्रामीण विकास की यह बुनियाद लगभग 20 वर्ष पूर्व तत्कालीन ग्राम प्रधान स्वर्गीय माधो सिंह फर्स्वाण ने रखी थी। तब न गांव में रोजगार के साधन थे और ना ही बुनियादी सुविधाएं। लोग रोजगार के लिए पलायन कर रहे थे या फिर आस-पास के क्षेत्रों में मजदूरी। ग्रामीणों की इस पीड़ा एवं गांवों से हो रहे पलायन को देखते हुए उन्होंने गांव में ही दुग्ध व्यवसाय को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

एक गांव जहां हर घर शिक्षित है। ग्रामीणों ने अपनी मेहनत से पैदल पथ का निर्माण किया। दुग्ध समिति बनाकर स्वरोजगार की राह खोली। किसी सरकारी मदद का इंतजार करने के बजाय यहां के लोगों ने खुद को सक्षम बनाया। यह है चमोली जनपद में बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित रैतोली गांव। आपसी सहयोग एवं श्रमदान से यहां के ग्रामीणों ने रैतोली की तस्वीर को सवारा है।

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