अवधेश कुमार

अवधेश कुमार
मनरेगा में लूट चिंताजनक
Posted on 26 Apr, 2013 09:54 AM
बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और
रूठे मानसून की देश को चुनौती
Posted on 31 Jul, 2012 10:30 AM

तपती और फटती धरती को तो वर्षा की फुहारें ही राहत दे सकती हैं। बारिश के अभाव में गर्मी से लोगों की छटपटहाट और इसक

गंगा मुक्ति का यक्ष प्रश्न
Posted on 23 Jun, 2012 11:45 AM

प्राधिकरण के सामने गंगा संकट की समग्र स्थिति आई। गंगा मुक्ति आंदोलनों, उनसे जुड़े अलग-अलग सत्याग्रहों, अनशनों, य

नदी मुक्ति की विश्वव्यापी चेतना
Posted on 03 Apr, 2012 09:16 AM

आखिर हम सबका लक्ष्य तो एक ही है- नदियां हर प्रकार के बंधनों से मुक्त हों, प्रदूषण रहित हों, कारपोरेट नियंत्रण से

गंगा मुक्ति: अनशन और आश्वासन से आगे
Posted on 31 Mar, 2012 03:12 PM

समस्या नदी के आर्थिक उपयोग से नहीं होती, समस्या तब होती है, जब उसका अंधाधुंध दोहन होता है, इतना कि नदी कई जगह ना

कोमा में सत्ता की संवेदना
Posted on 16 Jun, 2011 09:37 AM

गंगा मुक्ति अभियानों में सक्रिय लोगों के लिए स्वामी निगमानंद की मृत्यु की खबर उसी परिमाण की वेदना पैदा करने वाली है जैसे अपने किसी निकटतम की मौत राष्ट्रीय मीडिया के लिए निगमानंद नाम भले सुपरिचित नहीं था लेकिन हरिद्वार के मीडिया कर्मियों के लिए गंगा के लिए अपना जीवन तक दांव पर लगा देने वाले महामानव के रूप में वे हमेशा श्रद्धेय थे। 19 फरवरी से शुरू हुआ उनका अनशन उनकी जीवनलीला के अंत के साथ ही खत्

संत निगमानंद
अब सत्याग्रह से ही उम्मीद
Posted on 20 Apr, 2011 09:56 AM

जंतर-मंतर पर यमुना नदी को बचाने के लिए इस समय एक सत्याग्रह चल रहा है। उत्तर प्रदेश के किसान, कई धार्मिक संगठनों से जुड़े स्त्री-पुरुष 15 अप्रैल से वहां डेरा जमाए हैं। कुछ अनशन पर हैं, कुछ उनका साथ देने के लिए एक-एक दिन का अनशन कर रहे हैं, दिन भर भजन कीर्तन चलता है, बीच में किसी आगंतुक का भाषण भी हो जाता है। इस बीच अनशन कर रही कुछ महिलाओं की हालत खराब हुई और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा है। लेकिन

यह आग कैसे बुझेगी
Posted on 25 Dec, 2018 12:51 PM

जलवायु परिवर्तन (फोटो साभार: राष्ट्रीय सहारा)
कृषि : विकास की रीढ़ बनने में बाधा कैसी?
Posted on 24 Feb, 2015 10:25 PM
'किसानों का स्थान पहला है चाहे वे भूमिहीन मजदूर हों या मेहनत करनेवाले जमीन मालिक हों। उनके परिश्रम से ही पृथ्वी फलप्रसू और समृद्ध हुई है। मुझे इसमें सन्देह नहीं कि यदि हमें लोकतान्त्रिक स्वराज्य हासिल होता है — और यदि हमने अपनी स्वतन्त्रता अहिंसा से पाई तो जरूर ऐसा ही होगा — तो उसमें किसानों के पास राजनीतिक सत्ता के साथ हर किस्म की सत्ता होनी चाहिए। किसानों को उनकी योग्य स्थिति मिलनी ही चाहिए औ
विकास ढांचा बदलने से नदियों की मुक्ति
Posted on 29 Aug, 2010 08:16 AM

गंगा की मुक्ति के लिए काम करने वाले एक बार पुन: उत्साहित हैं। आखिर केन्द्र सरकार के मंत्रिमण्डलीय समूह ने लोहारी नागपाला जल विद्युत परियोजना पर काम रोक दिया है।
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