यमुना को जीवनदान देगा एफआरआई

यमुना
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देहरादून। राजधानी दिल्ली में लगभग मृतप्राय हो गई गंगा-जमुनी तहजीब की प्रतीक यमुना नदी को भारतीय वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) के वैज्ञानिक जीवनदान देंगे। एफआरआई ने यमुना को प्रदूषण मुक्त करने की एक योजना दिल्ली विकास प्राधिकरण को भेजी है।

इसके तहत सबसे पहले राजघाट के निकट यमुना के पानी को जैविक तरीके से साफ किया जाएगा।
एफआरआई के वैज्ञानिक इससे पहले हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के बरमाणा की एसीसी सीमेंट फैक्ट्री से प्रदूषित हो रही जलधारा का प्रदूषण कम करने में कामयाब हो चुके हैं। एफआरआई के निदेशक डॉ. एसएस नेगी ने बताया कि योजना के तहत यमुना का रूटजोन ट्रीटमेंट किया जाएगा। उपचार की इस जैविक तकनीक में आइपोमिया नामक पौधे और पानी को शुद्ध करने के लिए बैक्टीरिया कल्चर का उपयोग किया जाएगा। शुरुआती तौर पर राजघाट के पास यमुना नदी में रूट जोन तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। बाद में अन्य स्थानों पर भी यमुना को प्रदूषण मुक्त करने की योजना लागू की जा सकती है। डॉ. नेगी का मानना है कि इससे सीवर से होने वाला प्रदूषण काफी कम हो जाएगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से होकर बहने वाली यमुना का दिल्ली से होकर गुजरने वाला 22 किलोमीटर हिस्सा गंदे नाले में तब्दील हो चुका है। करोड़ों रुपये बहाने के बावजूद उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है।

हरियाणा में प्रवेश करते ही यमुना गन्ना मिलों, पेपर मिलों और अन्य उद्योगों के कारण प्रदूषित हो जाती है। उसके किनारे बसे शहरों का सीवर भी नदी को बहुत प्रदूषित कर देता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उसकी सहायक धाराओं हिंडन, कृष्णा, कालीऔर काली में तो रासायनिक खेती व औद्योगिक प्रदूषण की वजह से जरूरी ऑक्सीजन तक नहीं बची है। इस इलाके में तो भूजल, मिंट्टी, सब्जियां और अन्य फसलें तक भारी धातुओं और जहरीले रसायनों की मार झेल रही है। यमुना के पानी में ऐसे खतरनाक रसायन(पॉप्स:परसिस्टेंट ऑरगेनिक सब्सटेंस) पाए जाते हैं जो सदियों तक नष्ट नहीं होने वाले।
 

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