भारत की कुछ प्रमुख व पवित्र नदियों में शामिल ‘यमुना’ दिल्ली में पहुंचते ही नाले में तब्दील हो जाती है। दिल्ली के 28117 उद्योगों से निकलने वाला 3 करोड़ 50 लाख 98 हजार लीटर औद्योगिक कचरा सीधे यमुना में बहाया जाता है। जिस कारण युमना दुनिया की सबसे प्रदूषित नदी है। दिल्ली वज़ीराबाद बैराज से ओखला बैराज के बीच यमुना के जल में ऑक्सीजन लगभग समाप्त हो गया है। जल में जलीय जीवन के पनपने की भी कोई संभावना नहीं है। कभी जीवनदायनी कही जाने वाली ‘यमुना’ दिल्ली में विभिन्न बीमारियों का गढ़ बन गई है। कल कल निनाद करते हुए बहता जल बदबूदार हो गया है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण हुआ लाॅकडाउन यमुना के लिए सौगात लेकर आया था। एक नई उम्मीद लेकर आया था। यमुना का जल आश्चर्यजनक तरीके से साफ हो गया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में कहा गया था कि यमुना के जल में ऑक्सीजन की मात्रा 33 प्रतिशत तक बढ़ी है। लेकिन यमुना नदी के प्रदूषित होने के पीछे दिल्ली के घरों में सीवर कनेक्शन न होना है। जिस पर एनजीटी ने सख्त रुख अपनाया है।
सीवेज कनेक्शन के लिए बगैर नालों के जरिये मल-मूत्र सीधे यमुना में बहाए जाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है। एनजीटी ने इसे गंभीरता से लेते हुए दिल्ली सरकार को यमुना नदी को प्रदूषित करने के बदले राजधानी के सभी घरों से सीवर शुल्क वसूलने का आदेश दिया है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि भले ही लोगों ने सीवर का कनेक्शन नहीं लिया हो, लेकिन उनसे शुल्क जरूर लिया जाए।
एनजीटी प्रमुख जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली बेंच ने दिल्ली सरकार को सभी घरों पर सीवेज शुल्क लगाने और उसकी वसूली करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के 24 अक्टूबर 2019 के निर्देशों का तुरंत पालन करने का आदेश दिया है।
बेंच ने अपने आदेश में सरकार को पॉल्यूटर पे प्रिंसिपल यानी प्रदूषण फैलाने वाले से पर्यावरण को नुकसान की वसूली करने के सिद्धांत पर सभी घरों से सीवेज शुल्क वसूलने का आदेश दिया है। बेंच ने कहा कि सभी घरों से निकलने वाला मल व जल बगैर शोधन के यमुना में जा रहा है।
हिंदुस्तान अखबार की खबर के मुताबिक ट्रिब्यूनल ने 2015 में प्रदूषण फैलाने वाला ही नुकसान की भरपाई करेगा के सिद्धांत के आधार पर दिल्ली सरकार सहित सभी संबंधित महकमों को राजधानी के प्रत्येक मकान से सीवेज और पर्यावरण मुआवजा वसूलने का आदेश दिया था। ट्रिब्यूनल के इस फैसले को बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी 24 अक्टूबर 2019 को बहाल रखा था। साथ ही सरकार को दो माह के भीतर सभी घरों से सीवेज शुल्क वसूलने का आदेश दिया था।
अब एनजीटी ने दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट के 2019 के आदेश को तत्काल लागू करने और सभी घरों में सीवेज शुल्क वसूलने का आदेश दिया है। एनजीटी ने कहा है कि सीवेज के डिस्चार्ज, औद्योगिक अपशिष्टों और अन्य प्रदूषकों के कारण नदी में प्रदूषण की बड़ी समस्या बनी हुई है।
बेंच ने कहा है कि यदि यमुना का कायाकल्प किया जाना है तो नालियों के जरिये या सीधे तौर पर प्रदूषकों को नदी में जाने से रोकना होगा। बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि प्रदूषणकारी उद्योगों को रोका जाए और नए उद्योगों को सुरक्षा उपायों के बिना अनुमति नहीं दी जाए।
एनजीटी ने अपने आदेश की कॉपी दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव, जल बोर्ड, डीडीए उपाध्यक्ष और अन्य संबंधित अधिकारियों को भी भेजने का निर्देश दिया है। साथ ही आदेश का पालन सुनिश्चित कर मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी 2021 से पहले रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
यमुना के 40 फीसदी प्रदूषण के लिए कच्ची कॉलोनियां जिम्मेदार
यमुना निगरानी समिति ने ट्रिब्यूनल को बताया था कि यमुना नदी के 40 फीसदी प्रदूषण के लिए दिल्ली की कच्ची कॉलोनियां और झुग्गी बस्तियां जिम्मेदार हैं। समिति ने ट्रिब्यूनल में पेश अंतिम रिपोर्ट में इसका खुलासा किया था। यमुना प्रदूषण के लिए अधिकांश कच्ची कॉलोनियों और झुग्गी बस्तियों में सीवर लाइन नहीं होने को प्रमुख वजह बताया था। समिति ने सीवर होने के बाद कनेक्शन नहीं लेने वालों पर जुर्माने के तौर पर मोटी रकम वसूलने के लिए सिफारिश की थी।
9 लाख घरों में सीवर कनेक्शन नहीं
राजधानी दिल्ली की कुल 1799 अनधिकृत कॉलोनियों में लगभग 12 लाख 43 हजार घर हैं। इनें से महज 3 लाख 47 हजार घरों में सीवर कनेक्शन है।
ये भी जानें
- दिल्ली में कुल 1799 अनधिकृत कॉलोनियां हैं, इनमें से सिर्फ 561 कॉलोनियों में ही सीवर लाइनें बिछी हुई हैं।
- दिल्ली की 467 कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछाने का काम दिसंबर 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है।
- 115 कॉलोनियों में सीवर लाइन डालने के लिए इस साल अगस्त में टेंडर जारी हने की उम्मीद है।
- 154 कॉलोनियों में सीवर लाइन डालने के लिए डीडीए और एएसआई से मंजूरी का इंतजार है।
- 502 अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर की योजना का पता नहीं है।
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