एक नजर
उद्गम: यमुनोत्री ग्लेशियर
संगम: प्रयागराज, इलाहाबाद
कुल लंबाई: 1376 कि.मी.
(यमुनोत्री से हथिनीकुंड- 172 किमी, हथिनीकुंड से वजीराबाद- 224 किमी, वजीराबाद से ओखला- 22 किमी, ओखला से चंबल संगम, इटावा- 490 किमी, चंबल संगम से गंगा संगम तक- 468 किमी)
जलग्रहण क्षेत्र: 3.45.848 वर्गकिमी
घाटी राज्य : 7
(उत्तराखंड-हिमाचल-हरियाणा-दिल्ली-राजस्थान-उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश)
सहायक नदियां : 12
(कमल, गिरि, टोंस, असान, सोम, छोटी यमुना, हिण्डन, चंबल, काली, सिंध, केन और बेतवा)
मुख्य नाले : 26
(नाला नंबर-2.8, भूरिया नाला, मथुरा-वृंदावन नाला, आगरा नाला दिल्ली के 22 नाले। दिल्ली नालों के नाम-नजफगढ़, मैगजीन रोड, स्वीपर कॉलोनी, खैबर पास, मैटकॉफ, कुदसियाबाग, मोट, यमुनापार नगर निगम, मोरीगेट, सिविल मिल,पावर हाउस, मेन नर्सिंग होम, नबंर 14, बारापुला, महारानी बाग, कालकाजी, ओखला, तुगलकाबाद, शाहदरा, सरिता विहार, एल पी जी बॉटलिंग प्लांट, औरतेहखण्ड।)
नहरें : 6
(डाक पत्थर, असान, पश्चिमी यमुना, पूर्वी यमुना, आगरा और गुड़गांव नहर)
मौजूदा बांध/ बैराज : 6
(उद्देश्य : डाकपत्थर और असान से बिजली, हथिनीकुण्ड से सिंचाई, वजीराबाद से पेयजल, आईटीओ से पावर हाउस और ओखला से आगरा नहर को आपूर्ति)
प्रस्तावित बांध : 3
मिट्टी के प्रकार : 8
(42 फीसदी मिट्टी कछारी, 25.5 मध्यम काली, 15 काली-लाल मिश्रित, 5.5 गहरी काली, 5 लाल-पीली, 4 भूरी पहाड़ी, 2.5 लाल बलुई और 0.5 फीसदी चूनेदार)
खनिज : नगण्य
भूजल : अधिकतम से न्यूनतम तक
(यमुना घाटी के उत्तर-पूर्व समतल में 15 प्रतिशत क्षेत्र में अच्छा और व्यापक। पश्चिमी और दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र के 19 प्रतिशत में सीमित। बुंदेलखंडी भूभाग वाले 4 प्रतिशत में इतना कम कि दोहन की दृष्टि से प्रतिबंधित।)
भूतल : पहाड़ी, छोटी पहाड़ी, पठारी और समतल। समुद्र तल से 100 मीटर से 6.320 मीटर ऊंचाई पर अवस्थित।
वर्षा : 130 से 1600 मिमी तक।
वार्षिक जल बहाव : 0.3 मिलियन क्यूबिक मीटर से 100 बिलियन क्यूबिक मीटर तक।
तापमान : 5 से 42 डिग्री तक।
वाष्पीकरण : 250 से 450 मिमी तक।
फसलें : बाजरा-मक्का जैसे कम पानी फसल अधिक पानी पीने वाले धान तक।
सिंचाई हेतु छोड़े जाने वाला जल: ताजेवाला से 6 बिलियन क्यूबिक मीटर और ओखला से 2.1 बिलियन क्यूबिक मीटर।
(उक्त मात्रा का मौसमी जल बंटवारा: ताजेवाला से मानसून में 2.8, मानसून बाद 0.9, सर्दी में 0.9 और गर्मी में 1.9 बिलियन क्यूबिक मीटर। ओखला से मानसून में 0.9, मानसून के बाद 0.4, सर्दी में 0.4, गर्मी में 0.4 बिलियन क्यूबिक मीटर।)
भू-उपयोग : अत्यंत व्यावसायिक, कृषि और जनसंख्या दबाव वाला क्षेत्र। यमुना खादर भी अब इसकी चपेट में।
प्रदूषण : भारत की सर्वाधिक प्रदूषित नदी का दर्जा।
गुणवत्ता की श्रेणी : यमुनोत्री से आगरा के बीच ‘ए’ से ई तक।
(कारण : नाइट्रोजन, पोटेशियम, फासफोरस और बायोमाइडस जैसे कृषि रसायन की मौजूदगी में पिछले 25 वर्षों में चार गुना वृद्धि। देहरादून, यमुनानगर, करनाल, सोनीपत, पानीपत, दिल्ली, फरीदाबाद, वल्लभगढ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, गाजियाबाद, नोएडा, मथुरा और आगरा घरेलू और औद्योगिक कचरे के मुख्य स्त्रोत। हरियाणा के 22, दिल्ली की 42 और उ. प्र. की 17 फ़ैक्टरियों द्वारा यमुना में सीधे तरल कचरा बहाने की रिपोर्ट।)
संबंधित एजेंसियाँ : घाटी प्रदेशों की सरकारें, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा अन्य संबंधित विभाग; जैसे दिल्ली सरकार का दिल्ली जलबोर्ड, पर्यावरण विभाग, भूमि एवम् भवन विभाग, नगर विकास विभाग, सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग। भारत सरकार का केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण एवं वन, नगर विकास एवं जल संसाधन मंत्रालय। केन्द्रीय भूजल बोर्ड, केन्द्रीय जल आयोग, ऊपरी यमुना नदी बोर्ड और दिल्ली विकास प्राधिकरण।
एक नजरिया
कहा जाता है कि यमुना की मां संजना सूर्य का तेज न सह पाने के कारण छाया बनकर दूर चली गई थीं। उसी तरह यमुना भी आज दिल्ली का कचरा.. ढोते-ढोते हमसे दूर चली गई है। हमने आपने तात्कालिक लोभ और लालच को खूब देखा, लेकिन दूरगामी लाभ को भूल गये। यदि हम अभी भी नहीं चेते, तो दुनिया की अनेक नदियों ने रास्ते बदले हैं। कई सभ्यताएं नष्ट हुईं हैं। जहां समुद्र थे, वहां रेगिस्तान और पहाड़ बने हैं। यह हमें तय करना है कि हम भी ऐसी ही भौगोलिक उठा पटक का शिकार बनें, बीमार हों, बेमौत मरें या याद रखें कि नदी का मतलब है बहता पानी, मेरा बचपन, मेरी जवानी, मेरा विचार, मेरी पहचान, मेरा जीवन... मेरा श्मशान। नदी का मतलब है सिंचाई, सभ्यता, संस्कार,सुरक्षा, सीमा, समृद्धि, उत्सव, हरियाली-खुशहाली। आपने क्या तय किया? आप कुछ भी तय कीजिए; यमुना के लिए अपना जीवन या अपने जीवन के लिए यमुना। अंततः बचाना यमुना को ही पड़ेगा। चलो,बचाएं !
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