विजयनगरम में ‘100 घंटों में 10,000 शौचालय’ शीर्षक वाला स्वच्छता अभियान 14 मार्च को लक्ष्य से कुछ अधिक 10,449 शौचालयों के निर्माण के साथ सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया। समुदाय और जिला प्रशासन के प्रयासों की बदौलत इस अभियान के लिये चुनी गई 71 में से 44 ग्राम पंचायतों (जीपी) को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) बनाया जा सका।
100 घंटों के अभियान का आरम्भ और समापन विजयनगरम मंडल के सनकरीपेटा नामक एक गाँव में जिला कलेक्टर (डीसी) श्री विवेक यादव ने परम्परागत पद्धतियों के साथ किया। उन्होंने बताया, “समाज के सभी तबकों-गैर-सरकारी संगठनों, सामाजिक संगठनों सामुदायिक संगठनों और यूनिसेफ से जुड़े लोगों ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और जिला प्रशासन को भरपूर समर्थन दिया।”
विजयनगरम में 923 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें से मात्र 21 प्रतिशत में शौचालय हैं। इस अभियान के प्रारम्भ होने से पहले, यहाँ लगभग 3,50,000 शौचालयों का निर्माण किए जाने की आवश्यकता थी। इस अभियान के अन्तर्गत 34 मंडलों में से प्रत्येक से 2 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया। बाद में मंडल परिषद विकास अधिकारियों (एमपीडीओ) के अनुरोध पर तीन और ग्राम पंचायतों को साथ जोड़ते हुए कुल 71 ग्राम पंचायतों को इस अभियान के लिये चुना गया।
10 मार्च सुबह 6 बजे शुरू हुए इस अभियान के दौरान 20,000 राजमिस्त्रियों और मजदूरों तथा 3000 सरकारी अधिकारियों और कार्यकर्ताओं को साथ जोड़ा गया। यह अभियान 100 घंटे बाद 14 मार्च को सुबह 10 बजे सम्पन्न हुआ।
इस प्रक्रिया में, सभी शौचालय जियो-टैग्ड हैं और इनके निर्माण के लिये प्रोत्साहन स्वरूप केन्द्र की ओर से 12,000 और राज्य सरकार की ओर से 3,000 रुपये की राशि लाभार्थी परिवारों को जारी की गई। विजयनगरम जिले में पहली बार अनूठी पहल करते हुए बड़े पैमाने पर हनीकॉम लीच पिट्स का निर्माण किया गया, जिन्हें सीमेंट रिंग्स के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया गया।
इस अभियान को समुदाय से, विशेषकर जनजातीय महिलाओं से अपार समर्थन मिला। उन्होंने न केवल गड्ढे खोदने में मदद की, बल्कि राजमिस्त्रियों और मजदूरों के भोजन और अन्य आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा। पहले सामुदायिक बैठकों में भाग लेने की वजह से वे शौचालयों की आवश्यकता और घर में शौचालय बनवाने के अवसर से अवगत थीं।
यह अभियान उत्सव के माहौल में चलाया गया, इसलिये चारों ओर उत्साह का वातावरण था। अभियान के समाप्त होने पर प्रत्येक ग्राम पंचायत में निगरानी समितियों का गठन किया गया, जिनमें बहुत-सी महिलाओं को स्वयंसेवी के तौर पर शामिल किया गया। सभी लोगों द्वारा अपने शौचालयों का उपयोग सुनिश्चित करने के लिये इन समितियों को सीटी, बैज और रेडियम जैकेट उपलब्ध कराई गई। यह 100 घंटे का अभियान भले ही सफल रहा, लेकिन ओडीएफ का दर्जा प्राप्त करने के लिये जिले में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
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