पारा चढ़ने के साथ ही प्रदेश के जंगल आग से धधकने शुरू हो गए हैं। मंगलवार को प्रदेश में कितनी जगह जंगल में आग लगी, इसको लेकर वन विभाग और भारतीय वन सर्वेक्षण के आंकड़े अलग-अलग हैं। वन विभाग के अनुसार, मंगलवार को 24 जगहों में आग लगी हैं। जबकि भारतीय वन सर्वेक्षण ने 89 जगह आग लगने की सूचना वन विभाग को दी है। वह आपदा प्रबंधन के नोडल अधिकारी व मुख्य वन संरक्षक पीके सिंह ने बताया कि गढ़वाल व कुमाऊं क्षेत्र में कुछ स्थानों पर आग लगने की सूचना मिली है। प्रभागीय वनाधिकारियों की अगुवाई में विभागीय टीमें आग पर काबू पाने में जुट गई हैं। जल्द आग पर काबू पाया जाएगा।
भारतीय वन सर्वेक्षण टीम सेटेलाइट के जरिए कर रही मॉनीटरिंग
पिछले एक माह के भीतर प्रदेश के जंगलों में आग लगने की 207 छोटी-बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें से गढ़वाल क्षेत्र में 66 घटनाएं हुई हैं। इससे 66.04 हेक्टेयर वन को नुकसान पहुंचा है। जबकि कुमाऊं में 131 घटनाएँ हुई हैं। यहां 188.56 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है। इस दौरान छह वन्यजीवों की भी मौत हुई हैं। जंगलों को आग से बचाने के लिए सेटेलाइट के जरिए दिन में तीन बार निगरानी की जा रही है। भारतीय वन सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों की टीम नेशनल रिमोट सेंसिंग सेन्टर हैदराबाद से डाटा जुटाकर सभी राज्यों को अलर्ट भेज रहा है। आग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक लगा दी गई है। अब विशेष परिस्थितियों में ही छुट्टी दी जा रही है।
1437 क्रू स्टेशन, 174 टावरों से निगरानी
जंगलों को आग से बचाने के लिए वन निदेशालय में अत्याधुनिक नियन्त्रण कक्ष स्थापित किया गया है। इसके लिए राज्य में 1437 क्रू स्टेशन की व्यवस्था की गई है। सभी स्टेशन में सात कर्मचारियों की तैनाती की है। इसके अलावा राज्य में 174 वाच टावर भी स्थापित इ हैं। आग की तत्काल जानकारी दी जा सके इसके लिए प्रभागीय मास्टर कंट्रोल रूम, रेंज कार्यालयों, क्रू स्टेशन और फील्ड स्टाफ को वायरलेस मुहैया कराए गए हैं। जानकारी ऑनलाइन मुहैया कराने की भी व्यवस्था की है। 'फारेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया' से एसएमएस द्वरा फायर अलर्ट प्राप्त करने की सुविधा की है। आग पर तत्काल काबू पाया जा सके इसके लिए सभी 40 प्रभागीय वनाधिकारियों के मुख्यालयों में मास्टर कंट्रोल रूम की स्थापना की है।
फारेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया की संयुक्त निदेशक मीनाक्षी जोशी ने कहा है कि "पिछले कुछ दिनों में सभी राज्यों में वनाग्नि की घटनाएँ तेजी से बढ़ी है। सेटेलाइट के जरिए इनकी मोनिटरिंग की जा रही है। सभी राज्यों को तत्काल अलर्ट भेजा जा रहा है। उत्तराखंड के वनाधिकारियों को 89 अलर्ट भेजे गए हैं।"
वहीं मुख्य वन संरक्षक, वन आपदा प्रबन्धन पीके सिंह ने बताया "यह सही है कि आग की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। जहां तक सेटेलाइट के जरिए मोनिटरिंग कर राज्यों को अलर्ट भेजने का सवाल है तो सेटेलाइट एक दिन में तीन बार उत्तराखंड के ऊपर से गुजर रहा है। ऐसे में वह थर्मल इमेज के जरिए एक ही घटना को तीन बार मोनिटरिंग कर रहा है। आग पर त्वरित काबू पाने के लिए हर सम्भव कदम उठाए गए हैं।
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