थोड़ा है स्वच्छ जल

कहने को तो धरती का तीन चौथाई हिस्सा जलाच्छादित है, लेकिन इसमें पीने योग्य स्वच्छ जल की हिस्सेदारी अंशमात्र ही है। धरती पर मौजूद जल की कुल मात्रा 1.4 अरब घन किमी है। इस पानी से पूरी पृथ्वी पर तीन किमी चौड़ी पानी की परत से ढका जा सकता है। यहां मौजूद कुल पानी का करीब 95 फीसदी महासागरों में मौजूद है जो अत्यधिक लवणीय होने के कारण पीने या अन्य उपयोग लायक नहीं है। चार चार फीसदी पानी ध्रुवों पर मौजूद बर्फ में जमा है। शेष एक फीसदी हिस्से के तहत भूगर्भ में जमा पानी समेत जल चक्र में मौजूद कुल स्वच्छ जल की मात्रा आती है। कुल जल की 0.1 फीसदी मात्रा स्वच्छ जल के रूप नदियों, झीलों और पानी की धाराओं में विद्यमान है जो मानव के उपयोग लायक है।

धरती पर उपलब्ध कुल जल की मात्रा- 100 फीसदी
लेकिन स्वच्छ जल केवल- 2.5 फीसदी

स्वच्छ जल के 2.5 फीसदी हिस्से में से :


60 फीसदी- ग्लेशियरों और पर्वत की चोटियों में मौजूद है
10 फीसदी- झीलों और नदियों में विद्यमान सतह पर मौजूद जल
30 फीसदी- भूजल के रूप में, लेकिन इसकी कुछ मात्रा बहुत गहराई और पहुंच से बाहर है

 

 

धरती पर मौजूद स्वच्छ जल का उपयोग:


70 फीसदी- कृषि कार्यों में
22 फीसदी- उद्योगों में
8 फीसदी- घरों में पीने, नहाने-धोने और अन्य उपयोग में।

 

 

 

 

…पानी राखिए


दुनिया का हर छठा व्यक्ति स्वच्छ पेयजल से महरूम है। लोगों की बीमारियां और मौत के लिए जलजनित बीमारियां प्रमुख कारण हैं। कई देशों में पानी की समस्या ही प्राथमिक कारण हैं जिससे वहां के लोग गरीबी के दलदल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। पानी की कहानी पेश है ऐसे ही कुछ आंकड़ों की जुबानी।

 

 

 

 

फैलाव


1.1 अरब : स्वच्छ पेयजल से महरूम दुनिया की आबादी
22 लाख: विकासशील देशों में पानी की समस्या से सालाना होने वाली मौतें, इनमें बच्चों की बड़ी संख्या शामिल

* दुनिया के सभी अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों की आधी संख्या पर जलजनित बीमारियों के रोगी लेटे होते हैं
* द्वितीय विश्व युद्ध से अब तक हुए सैन्य युद्धों में मारे गए कुल लोगों से ज्यादा पिछले दस साल में डायरिया ने बच्चों की जानें ली

 

 

 

 

महिलाएं और बच्चे


* 6000: स्वच्छ पेय जल के अभाव में होने वाले रोगों से हर रोज मरने वाले बच्चे। यह संख्या प्रतिदिन 20 जंबो जेट विमानों के क्रैश होने के बराबर है
* 6 किमी: अफ्रीका और एशिया में पानी की तलाश में महिलाओं द्वारा चली जाने वाली औसत दूरी
* करोड़ों बच्चे इसलिए स्कूल नहीं जा पाते क्योंकि उन्हें पीने के पानी का जुगाड़ करना होता है।

 

 

 

 

जलजनित बीमारियां


80 फीसदी : विकासशील देशों में 80 फीसदी बीमारियां दूषित पानी के चलते
7.3 करोड़ कार्य दिवस : जलजनित बीमारियों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला

 

 

 

 

सालाना आर्थिक भार


एक फीसदी से कम : दुनिया की कुल बीमारियों के भार में निमोनिया, डायरिया, ट्यूबरकुलोसिस और मलेरिया की हिस्सेदारी 20 फीसदी है जबकि शोध के लिए इन क्षेत्रों में धन की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम है

यदि हम कुछ भी न करें केवल लोगों को पीने के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध करा दें, तो हर साल 20 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है।

 

 

 

 

भूगोल


भारत, चीन और इंडोनेशिया में एड्स से दोगुनी संख्या में लोग डायरिया से मारे जाते हैं। विकासशील देशों में प्रतिदिन एक व्यक्ति औसतन 10 लीटर पानी उपयोग करता है जबकि ब्रिटेन में औसतन प्रतिव्यक्ति यह खपत 135 लीटर और अमेरिका में 378 से 662 लीटर के बीच है।

अफ्रीका में हर साल चार करोड़ घंटे महिलाओं और बच्चों द्वारा पानी जुटाने में बर्बाद हो जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक 2025 तक दुनिया की दो तिहाई आबादी (5.3 अरब) जल संकट से प्रभावित होगी।

 

 

 

 

अर्थशास्त्र


अफ्रीका में पानी और स्वच्छता पर खर्च किए गए हर रुपये का रिटर्न बहुत ही कम समय में नौ गुना है।दुनिया में पानी का उद्योग 400 अरब डॉलर सालाना है। बिजली और तेल के बाद तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक कारोबार

सभी लोगों को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए अतिरिक्त 30 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी। इस धन का एक तिहाई हर साल दुनिया भर में लोग बोतलबंद पानी पर खर्च करते हैं।

विकासशील देशों के शहरों में 25 फीसदी लोगों को आपूर्ति किए जाने वाले जल की तुलना में ऊंची कीमतों पर विक्रेताओं से पानी खरीदना पड़ता है। कई मामलों में इसकी लागत व्यक्ति की घरेलू आय की चौथाई होती है।

 

 

 

 

खपत


विकासशील देशों की तुलना में कई विकसित देशों में प्रति व्यक्ति पानी की खपत कई गुना अधिक है। अफ्रीका में औसतन एक परिवार जहां प्रतिदिन 20 लीटर पानी उपयोग करता है वहीं हर अमेरिकी प्रतिदिन 378-662 लीटर के बीच पानी बर्बाद करता हैएक लीटर बोतलबंद पानी को तैयार करने में पांच लीटर पानी की आवश्यकता होती है। कुल उपलब्ध स्वच्छ जल का करीब 70 फीसदी सिंचाई के काम आता है। सिंचाई में उपयोग होने वाले कुल पानी की आधे से अधिक मात्रा रिसाव, वाष्पित होकर या बहकर बर्बाद होती है । करीब 100 ग्र्राम का हैमबर्गर तैयार करने में करीब 11000 लीटर पानी की जरूरत होती है।

 

 

 

 

बेचारी धरती


स्वच्छ जल की 20 फीसदी मत्स्य प्रजातियां दूषित पानी के चलते विलुप्ति के कगार पर हैं। इससे जैव विविधता को बड़ा खतरा पैदा हो गया है।

दुनिया की 500 प्रमुख नदियों में से आधी गंभीर रूप से दूषित और समाप्त हो रही हैं। इनके दूषित जल से तमाम तरह की बीमारियां फैल रही हैं। दुनिया के सभी हिस्से में भूगर्भ जल तेजी से दूषित हो रहा है।

आज से लाखों साल पहले जो पानी डायनासोर पीते थे, वही पानी आज हम भी पी रहे हैं। इसकी गुणवत्ता और रूप में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

 

 

 

 

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