कृषि और कृषक कल्याण मंत्रालय में लगेंगे कचरा प्रबंधन संयंत्र
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशों के अनुरूप कृषि और कृषक कल्याण मंत्रालय के सभी तीन विभागों ने इस साल 16 से 31 अक्टूबर तक स्वच्छता पखवाड़ा मनाया। कृषि, सहकारिता और कृषक कल्याण विभाग, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य क्षेत्र विभाग (डीएडीएफ) तथा कृषि अनुसंधान और शिक्षण विभाग ने कार्यालय परिसरों से बाहर निकल कर कृषि मंडियों, मछली बाजारों तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के नजदीक के गाँवों में स्वच्छता अभियान चलाया। पखवाड़े के दौरान ऐसे कदमों पर ध्यान केन्द्रित किया गया जो इसके खत्म होने के बाद भी जारी रखे जाएँगे। केंद्रीय कृषि और कृषक कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने हाल ही में मीडिया को स्वच्छता पखवाड़ा के दौरान अपने मंत्रालय की पहलकदमियों और उनके नतीजों के बारे में जानकारी दी।
पखवाड़े के दौरान 271 कृषि मंडियों में स्वच्छता अभियान चलाया गया। एक स्वच्छता एक्शन प्लान तैयार कर उसमें इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना के तहत हर मंडी में कचरा प्रबंधन संयंत्र स्थापित करने के लिये 10 लाख रुपये का प्रावधान करने का फैसला लिया गया। यह फैसला भी लिया गया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के कोष का एक प्रतिशत हिस्सा ठोस कचरा प्रबंधन पर खर्च किया जाएगा। इसके अलावा तीनों विभागों के विभिन्न कार्यालयों में सफाई की गई, शौचालयों में सेंसर लगाये गये तथा गैर-जरूरी कागजातों, कबाड़ और अवैध कब्जों को हटाया गया। श्री राधा मोहन सिंह 26 अक्टूबर को नई दिल्ली के कृषि भवन में कृषि, सहकारिता और कृषक कल्याण विभाग के मुख्यालय में तथा 28 अक्टूबर को चंडीगढ़ की कृषि मंडी में सफाई और वृक्षारोपण अभियान में शामिल हुए। इस विभाग के अधीन भारतीय मृदा और भूमि उपयोग सर्वेक्षण के देशभर के केन्द्रों की स्वच्छता गतिविधियों में स्थानीय सांसदों और अन्य जन-प्रतिनिधि शामिल हुए। विभाग के कोलकाता कार्यालय में एक कंपोस्ट पिट का उद्घाटन किया गया। राज्यों के सहयोग से मंडियों में कम्पोस्ट मशीनें भी लगाई जा रही हैं।
स्वच्छता पखवाड़ा के दौरान राष्ट्रीय मत्स्य क्षेत्र विकास बोर्ड (एनएफडीबी), भारतीय मत्स्य क्षेत्र सर्वेक्षण केन्द्रीय मत्स्य क्षेत्र, समुद्री और इंजीनियरी प्रशिक्षण संस्थान राष्ट्रीय मत्स्य क्षेत्र, उत्पादन पश्चात प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण संस्थान तथा केंद्रीय मत्स्य क्षेत्र तटीय इंजीनियरी संस्थान ने भी स्वच्छता पखवाड़ा के दौरान कई कार्यक्रम चलाए। पंद्रह राज्यों में 50 थोक और खुदरा मछली बाजारों की सफाई कर उनमें स्वच्छता बनाए रखने के लिये जागरूकता फैलाने की मुहिम चलाई गई। मत्स्य विभाग के अधीन सभी संस्थानों की इमारतों और उनके परिसरों में सफाई की गई। स्वास्थ्यकर मत्स्य प्रबंधन तथा मछली के बाजारों और इसके प्रसंस्करण की प्रक्रिया में साफ-सफाई के प्रति जागरूकता फैलाने के लिये शिविरों और पदयात्राओं का आयोजन किया गया और पर्चे बाँटे गए। एनएफडीबी के गुवाहाटी स्थित पूर्वोत्तर क्षेत्र केन्द्र में समेकित मत्स्य पालन के जरिए कचरे के पुनर्चक्रण तथा कोलकाता के नलबन में अवशिष्ट जल मत्स्य पालन पर राज्य-स्तरीय कार्यशाला, आयोजित की गई।
कृषि अनुसंधान और शिक्षण विभाग तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में भी 16 से 31 अक्टूबर तक स्वच्छता पखवाड़ा मनाया गया। आईसीएआर के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय, सभी 102 अनुसंधान संस्थानों और 648 कृषि विज्ञान केंद्रों ने पखवाड़े के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने अपने परिसरों और रिहायशी क्षेत्रों के अलावा उनके आस-पास के गाँवों और अन्य इलाकों में सफाई की तथा विचार गोष्ठियों, जागरूकता शिविरों, रैलियों, नुक्कड़ नाटकों और विशेषज्ञों के व्याख्यानों का आयोजन किया।
कृषि विज्ञान केंद्रों और संस्थानों के जरिए 3040 गाँवों में किसानों और ग्रामीण युवाओं की सक्रिय भागीदारी से स्वच्छता को बढ़ावा देने से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। खेती की स्वच्छ प्रौद्योगिकी और प्रक्रियाओं तथा कृषि अवशेषों के सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल को बढ़ावा देने के प्रयास किए गए। पखवाड़े के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित कार्यक्रमों में केन्द्रीय और स्थानीय नेताओं तथा संस्थानों और आईसीएआर मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली ने अपने आवासीय परिसर के हर ब्लॉक के लिये स्वच्छता निरीक्षकों की एक टीम गठित की है जो घरों से निकलने वाले सूखे और गीले कचरे को निवासियों की भागीदारी से अलग-अलग कर उनके समुचित पुनर्चक्रण की व्यवस्था करेगी।
कृषि विज्ञान केन्द्र, शिकोहपुर (गुड़गाँव) में 27 अक्टूबर 2016 को ‘कृषि अवशेष से धन सृजन’ विषय पर विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें कृषि अवशेष के सर्वश्रेष्ठ उपयोग से संबंधित प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन भी किया गया। इनमें बायो-कंपोस्ट तैयार करने, कीट कंपोस्टिंग, भूसे के उपयोग, पुआल संवर्द्धन, अवशिष्ट जल पुनर्चक्रण तथा कपास और मत्स्य क्षेत्र कचरा प्रबंधन से संबंधित प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। संगोष्ठी में 350 से अधिक किसानों और वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया।
राज्यों और संघशासित क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ 27 अक्टूबर को वीडियो कांफ्रेंस कर उन्हें स्वच्छता पखवाड़ा से संबंधित गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई। उनसे अनुरोध किया गया है कि वे कृषि अवशेष से कम्पोस्ट बनाने के लिये अपनी मौजूदा योजनाओं में पर्याप्त प्रावधान करें- डीडी किसान से राष्ट्रीय जैविक खेती केन्द्र की ठोस कचरा निस्तारण प्रौद्योगिकी और आईसीएआर की तरल कचरा निस्तारण प्रौद्योगिकी पर दो फिल्में बनाने के लिये कहा गया है जिन्हें इस टेलीविजन चैनल के मौजूदा कार्यक्रमों में दिखाया जाएगा।
स्वच्छ भारत अभियान में नदियों की प्रमुख भूमिका है- गंगा भारत में चिरकाल से स्वच्छता और पवित्रता का प्रतीक रही है। इसे फिर से साफ बनाने के लिये जरूरी है कि इसके किनारे के क्षेत्रों में जैविक कृषि को बढ़ावा दिया जाए ताकि खेती में हानिकारक कीटनाशकों, उर्वरकों और अन्य रसायनों का इस्तेमाल घटाया जा सके। कृषि और कृषक कल्याण मंत्रालय ने 16 सितंबर को जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के साथ एक समझौता किया। इसके तहत उत्तराखण्ड से पश्चिम बंगाल तक 1657 ग्राम पंचायतों के निवासियों को जैविक खेती के लिये प्रेरित किया जाएगा ताकि प्रदूषणकारी रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल कम कर गंगा की प्राचीन पवित्रता को बहाल किया जा सके।
गूगल टॉयलेट लोकेटर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिये गूगल टॉयलेट लोकेटर शुरू किया जाएगा जो उपयोग हेतु नजदीकी शौचालय को ढूंढ़ने में सहायता करेगा। शहरी विकास मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और शहरी निकायों से स्वच्छता पखवाड़ा के अधीन शहरी क्षेत्रों में शौचालयों का गहन ऑडिट करने को भी कहा है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे काम कर रहे हैं और पूर्ण उपयोग में लाए जा रहे हैं। राज्य और शहरी निकायों से कहा गया है कि पानी की उपलब्धता में कमी को दूर करते हुए आवासीय शौचालयों और सामुदायिक और आवासीय शौचालयों के संचालन का प्रभावी ऑडिट करने के लिये समुदाय प्रतिनिधियों से सम्पर्क किया जाए।
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