उद्देश्य:
सुनिश्चित करना कि घरेलू स्तर पर संग्रहित किए गए पेय जल का रख-रखाव सुरक्षित तरीके से किया जा रहा है भले ही यह पानी गर्मियों में पारंपरिक स्रोत अथवा देखने में प्रदूषित लगता हो।
स्थिति:
यह सुनिश्चित करना कि घर में संग्रहित किए गए पेयजल का भण्डारण सुरक्षित रूप से किया गया है या नहीं। संग्रहण के बर्तन गंदे होने, संग्रहण के समय अनुचित विधि का उपयोग, बर्तनों को ढककर नहीं रखना, बर्तनों का फर्श पर टिकना तथा बर्तन में गिलास डुबोकर पेयजल निकालना आदि से दूषित होने की प्रबल आशंका बनी रहती है। जागरूकता लाने और स्व-भंडारण की विधियों में सुधार लाने के लिए प्रोन्नत संदेश के कारण आज इस स्थिति में बदलाव आया है।
सर्वोत्तम पद्धतियों का अपनाया जाना
जलगांव जिले के चालीसगांव तालुका में स्थित मालशेवगा गांव में जलसावरिया परियोजना के अंतर्गत इस परियोजना के उद्देश्यों को प्रोन्नत करने में समुदाय की गतिशीलता के परिणामस्वरूप युवा समूह सक्रिय बन गया है।
यह एक ऐसा प्रोग्राम हे जिसमें परंपरागत चीनी मिट्टी के बर्तनों में प्लास्टिक नलकों की स्थापना बहुत सफल रही है। भंडारण बर्तन में सुधार नलके के उपयोग की शुरूआत है। यह प्लास्टिक का हो सकता है और इसे आसानी से चीनी मिट्टी के बर्तन में लगाया जा सकता है। एक नलके की लागत लगभग 10 रू0 और इसे चीनी मिट्टी बर्तन में लगाने का खर्च 5 रू0 है। प्रतिभा संजय सूतार वह पहली महिला थीं जिन्होंने अपने चीटी मिट्टी के बर्तन में नलका लगवाने का निर्णय लिया और केवल 8 दिन की अवधि में युवा समूह ने इस उदाहरण का अनुसरण करने के लिए 90 महिलाओं को सहमत कर लिया।अब युवा समूह स्वास्थ्य लाभ में वृद्धि हेतु घरों में क्लीरीन का उपयोग अपनाने के लिए महिलाओं को प्रोत्सहित करने के लिए एक कार्यक्रम चलाने के लिए इस उदाहरण का पालन कर रहा है। घरों में क्लोरीन का उपयोग अब कस्बों में अधिक होने लगा है किंतु गांवों में इसका पहुंचना अभी बाकी है। इसमें जिस सामग्री का आमतौर पर उपयोग किया जाता है वह सांद्रित सोडियम हाइपोक्लोरीन द्रव्य होता है और 10 लीटर की क्षमता वाले बर्तन में इसकी केवल दो या तीन बूंद ही डालनी होती हैं। इस द्रव्य (''मेडीक्लोर'' अथवा समरूप) की बोतल की कीमत लगभग 12-15 रू0 होती है जो 2-3 महीने तक चलती है।
जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग, महाराष्ट्र सरकार
सुनिश्चित करना कि घरेलू स्तर पर संग्रहित किए गए पेय जल का रख-रखाव सुरक्षित तरीके से किया जा रहा है भले ही यह पानी गर्मियों में पारंपरिक स्रोत अथवा देखने में प्रदूषित लगता हो।
स्थिति:
यह सुनिश्चित करना कि घर में संग्रहित किए गए पेयजल का भण्डारण सुरक्षित रूप से किया गया है या नहीं। संग्रहण के बर्तन गंदे होने, संग्रहण के समय अनुचित विधि का उपयोग, बर्तनों को ढककर नहीं रखना, बर्तनों का फर्श पर टिकना तथा बर्तन में गिलास डुबोकर पेयजल निकालना आदि से दूषित होने की प्रबल आशंका बनी रहती है। जागरूकता लाने और स्व-भंडारण की विधियों में सुधार लाने के लिए प्रोन्नत संदेश के कारण आज इस स्थिति में बदलाव आया है।
सर्वोत्तम पद्धतियों का अपनाया जाना
जलगांव जिले के चालीसगांव तालुका में स्थित मालशेवगा गांव में जलसावरिया परियोजना के अंतर्गत इस परियोजना के उद्देश्यों को प्रोन्नत करने में समुदाय की गतिशीलता के परिणामस्वरूप युवा समूह सक्रिय बन गया है।
यह एक ऐसा प्रोग्राम हे जिसमें परंपरागत चीनी मिट्टी के बर्तनों में प्लास्टिक नलकों की स्थापना बहुत सफल रही है। भंडारण बर्तन में सुधार नलके के उपयोग की शुरूआत है। यह प्लास्टिक का हो सकता है और इसे आसानी से चीनी मिट्टी के बर्तन में लगाया जा सकता है। एक नलके की लागत लगभग 10 रू0 और इसे चीनी मिट्टी बर्तन में लगाने का खर्च 5 रू0 है। प्रतिभा संजय सूतार वह पहली महिला थीं जिन्होंने अपने चीटी मिट्टी के बर्तन में नलका लगवाने का निर्णय लिया और केवल 8 दिन की अवधि में युवा समूह ने इस उदाहरण का अनुसरण करने के लिए 90 महिलाओं को सहमत कर लिया।अब युवा समूह स्वास्थ्य लाभ में वृद्धि हेतु घरों में क्लीरीन का उपयोग अपनाने के लिए महिलाओं को प्रोत्सहित करने के लिए एक कार्यक्रम चलाने के लिए इस उदाहरण का पालन कर रहा है। घरों में क्लोरीन का उपयोग अब कस्बों में अधिक होने लगा है किंतु गांवों में इसका पहुंचना अभी बाकी है। इसमें जिस सामग्री का आमतौर पर उपयोग किया जाता है वह सांद्रित सोडियम हाइपोक्लोरीन द्रव्य होता है और 10 लीटर की क्षमता वाले बर्तन में इसकी केवल दो या तीन बूंद ही डालनी होती हैं। इस द्रव्य (''मेडीक्लोर'' अथवा समरूप) की बोतल की कीमत लगभग 12-15 रू0 होती है जो 2-3 महीने तक चलती है।
जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग, महाराष्ट्र सरकार
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