![सतलुज और ब्यास नदी में प्रदूषण की रोकथाम पर कमिटी ने जारी की रिपोर्ट](/sites/default/files/styles/node_lead_image/public/hwp-images/satluj%20aur%20beas%20nadi_3.jpg?itok=VRgvRZNC)
सतलुज और ब्यास नदी में हो रहे प्रदूषण और उसकी रोकथाम पर एनजीटी द्वारा गठित कमिटी ने अपनी रिपोर्ट जारी कर दी है। यह रिपोर्ट 18 जून 2020 को एनजीटी की साइट पर अपलोड की गयी है। यह निगरानी समिति द्वारा जारी चौथी रिपोर्ट है। गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जस्टिस जसबीर सिंह की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया था। जिसे प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जरुरी क़दमों पर अपनी रिपोर्ट देनी थी।
इस समिति ने सतलुज और ब्यास नदी के जलग्रहण क्षेत्र में मौजूद उद्योगों और प्रदूषण के अन्य स्रोतों का दौरा किया था। साथ ही कमिटी ने अपनी सिफारिशें संबंधित अधिकारियों के पास भेज दी हैं। जिससे प्रदूषण की रोकथाम के लिए जरुरी कदम उठायें जा सकें।
इसके साथ ही समिति ने सतलज और ब्यास नदी के पानी की गुणवत्ता से जुड़े आंकड़ें भी एकत्र किये हैं। समिति ने सतलज की सहायक नदियों अर्थात् बुद्ध नाला, ईस्ट बेइन, काला सिंघियन नाला और होली बेइन में भी पानी की गुणवत्ता से जुड़ा डेटा लिया है।
इसके साथ ही मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और नए एसटीपी के निर्माण की स्थिति के बारे में भी डेटा इकट्ठा किया है। इसके साथ ही पहले से ही मौजूद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता के विस्तार सम्बन्धी डेटा भी जुटाया गया है। समिति ने उन एसटीपी के बारे में भी डेटा लिया है जो जमीन और वित्त की कमी के चलते नहीं बन पाए हैं। उन्होंने सीवेज ट्रीटमेंट में जो गैप है उसके भी आंकड़े जुटाए हैं। साथ ही सिंचाई के लिए कितने उपचारित सीवेज का उपयोग हो रहा है उसका भी जायजा लिया है। 31 मार्च 2020 तक कितनी सिंचाई परियोजनाओं में उपचारित सीवेज का उपयोग किया जा रहा है उससे जुड़े भी आंकड़ें लिए गए हैं। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में सीवेज का निस्तारण हो रहा है उसकी भी जांच की गई है।
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