बिहार के बड़े हिस्से में सूखा कहर ढा रहा है। सोन नदी में पानी नहीं होने के कारण बड़ा इलाका जबरदस्त सूखे के चपेट में आ गया है। बिहार के त्राहिमाम संदेश के बाव्जूद केन्द्र और यूपी की उदासीनता की वजह से फिलहाल सूखे से निजात का रास्ता भी नहीं सूझ रहा। मॉनसून की बेरुखी की वजह से पूर बिहार में किसानों की परशानी बढ़ गई है। मध्य और दक्षिण बिहार में सूखे का कहर अधिक है। यहां धान के बिचड़े खेतों में ही सूख रहे हैं। जमीन में जगह-जगह दरार भी पड़ने लगी है। बिहार के जल संसाधन मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव, विभाग के प्रधान सचिव अजय नायक अपने-अपने स्तर से केन्द्र और यूपी सरकार से कई बार गुहार लगा चुके है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से बिहार को समझौता के बावजूद पानी की आपूर्ति नहीं किए जाने से सोन नदी में पानी की मात्रा काफी कम हो गई है जिससे सोन नहर के माध्यम से किसानों तक पानी नहीं पहुंच रहा है।
7 अक्तूबर 2008 को संयुक्त प्रचालन समिति की 21 वीं बैठक में लिए गए निर्णय के तहत जून में बिहार को 2.80 लाख एकड़ फीट पानी रिहंद से सोन नहर प्रणाली के लिए रिलीज करना था। इसके तहत प्रतिदिन पांच हजार क्यूसेक पानी की जरूरत है लेकिन हाल यह है कि इस समय पांच सौ क्यूसेक पानी भी बिहार को उपलब्ध नहीं हो रहा है। जल संसाधन मंत्री द्वारा 5 जून को केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री, जल संसाधन राज्यमंत्री और यूपी के ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर इन्द्रपुरी बराज पर पानी छोड़ने का अनुरोध किया था। उसके बाद के प्रधान सचिव ने केन्द्रीय जल आयोग के अध्यक्ष ए.के. बजाज को गुरुवार को पत्र लिखकर उनसे सहयोग मांगा।
7 अक्तूबर 2008 को संयुक्त प्रचालन समिति की 21 वीं बैठक में लिए गए निर्णय के तहत जून में बिहार को 2.80 लाख एकड़ फीट पानी रिहंद से सोन नहर प्रणाली के लिए रिलीज करना था। इसके तहत प्रतिदिन पांच हजार क्यूसेक पानी की जरूरत है लेकिन हाल यह है कि इस समय पांच सौ क्यूसेक पानी भी बिहार को उपलब्ध नहीं हो रहा है। जल संसाधन मंत्री द्वारा 5 जून को केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री, जल संसाधन राज्यमंत्री और यूपी के ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर इन्द्रपुरी बराज पर पानी छोड़ने का अनुरोध किया था। उसके बाद के प्रधान सचिव ने केन्द्रीय जल आयोग के अध्यक्ष ए.के. बजाज को गुरुवार को पत्र लिखकर उनसे सहयोग मांगा।
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