तालाब को सौगात के रूप में निगम इसकी पाल पर स्टोन पिचिंग, रेलिंग लगाने और इसको चौड़ी करने के साथ यहाँ आने वाले प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के खाने के लिये बड़ी तादाद में फलदार पौधे रोपे जा रहे हैं। इसके अलावा तालाब में बरसाती पानी आने की चैनल सुधारने और नई चैनल बनाने सहित टापू निर्माण और बोट चलाने जैसे लाखों की लागत के कामों का उपहार देगा। इसे नर्मदा-क्षिप्रा लिंक से भी जोड़ने की कोशिश है। पिछली गर्मियों में यहाँ बड़े स्तर पर गहरीकरण किया गया है। आपने ऐसा कभी नहीं सुना होगा। न ही कभी सोचा होगा। हैप्पी बर्थ डे सुनते ही हमें बच्चों के जन्मदिन के जश्न याद आने लगते हैं पर क्या कभी ऐसा भी हो सकता है कि कोई किसी तालाब का जन्मदिन मनाए और वह भी इतने बड़े स्तर पर। जी हाँ, पर सच यही है इन्दौर के लोग इस अनूठे जश्न की तैयारियों में जुटे हैं। हर कोई अपने तालाब के जन्मदिन पर उसको सहेजने की जिम्मेवारी लेने को बेताब है।
दरअसल इन्दौर शहर का सबसे बड़ा बिलावली तालाब सौ साल का हो गया है। इसने कई दशकों तक इन्दौर शहर को पानी पिलाया है, इससे शहर की इतनी आत्मीयता जुड़ी है कि अब शहर अपने तालाब का जन्मदिन मनाएगा, जिसमें जनप्रतिनिधि, पर्यावरण प्रेमी और आम लोग हिस्सा लेंगे। इस मौके पर नगर निगम तालाब को लाखों रुपए के विकास कार्यों की सौगात भी देगा।
पहली बार हो रहे इस अनूठे आयोजन में बड़ी तादाद में पर्यावरण प्रेमी, शहर के स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि जुटेंगे। इन्दौर नगर निगम, संस्था तरु और स्थानीय लोग मिलकर पहली बार बिलावली तालाब के सौ साल पूरे होने पर 25 सितम्बर को जन्मदिन मना रहे हैं। पर्यावरणविद ओपी जोशी बताते हैं कि भारत में शायद यह पहली बार ही है। जापान में जरूर जलस्रोतों के सौ या पच्चीस साल पूरे होने पर जश्न मनाने का रिवाज है।
इन्दौर की नगर निगम ने भी बिलावली तालाब के जन्मदिन के मौके को खास बनाने के लिये बड़े पैमाने पर तैयारियाँ की हैं। खुद महापौर और शहर के आठों विधायक भी यहाँ मौजूद रहेंगे। इतना ही नहीं तालाब को सहेजने और इसके सतत संरक्षण में मदद करने वाले लोगों का सम्मान भी होगा।
यहाँ स्थानीय लोगों गंगा सिंह सिकरवार, विक्रम सिंह चौहान, प्रेम प्रजापत, लखन पटेल, आशीष पटवारी, भरत ठाकुर, महेश राठौर, जयपाल यादव, अनिरुद्ध यादव, इंदर पाटीदार, नरेंद्र यादव, इंदर सिंह सोलंकी, गौरव पाल, शक्ति जाट, अमर सिंह राय, मांगीलाल खुराना और करण सिंह ठाकुर सहित दो संस्थाओं राधास्वामी सत्संग न्यास व बिलावली तालाब जल संरक्षण एवं प्रबन्ध समिति के पदाधिकारियों का भी नगर निगम सम्मान करेगी। इन लोगों ने तालाब के संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय काम किये हैं।
इतना ही नहीं इन्दौर नगर निगम ने तालाब के सौ साल पूरे होने पर जन्मदिन के मौके पर उसे बड़ी गिफ्ट देने की भी तैयारी कर ली है।
महापौर श्रीमती मालिनी गौड़ ने बताया कि बिलावली सहित शहर के अन्य तालाबों का संरक्षण हमारी प्राथमिकता है। जन्मदिन मनाने का उद्देश्य यही है कि हम तालाब के लिये कुछ सोचें और उस दिशा में काम करें। फिलहाल जन्मदिन पर हम बिलावली तालाब पर लाखों रुपए के विकास कार्यों को प्रारम्भ करने जा रहे हैं।
तालाब को सौगात के रूप में निगम इसकी पाल पर स्टोन पिचिंग, रेलिंग लगाने और इसको चौड़ी करने के साथ यहाँ आने वाले प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के खाने के लिये बड़ी तादाद में फलदार पौधे रोपे जा रहे हैं। इसके अलावा तालाब में बरसाती पानी आने की चैनल सुधारने और नई चैनल (मुंडला नायता, लिम्बोदी बाइपास) बनाने सहित टापू निर्माण और बोट चलाने जैसे लाखों की लागत के कामों का उपहार देगा। इसे नर्मदा-क्षिप्रा लिंक से भी जोड़ने की कोशिश है। पिछली गर्मियों में यहाँ बड़े स्तर पर गहरीकरण किया गया है।
उन्होंने बताया कि 17 करोड़ 14 लाख 50 हजार रुपए की लागत से करीब 90 हजार डम्पर मिट्टी और गाद निकालकर 13 लाख 50 हजार घन मीटर खुदाई की गई है। इससे करीब एक अरब 35 करोड़ लीटर पानी की अतिरिक्त जलग्रहण क्षमता बढ़ी है। शहर की 19 लाख 60 हजार से ज्यादा आबादी की जलापूर्ति के लिये सभी उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इन्दौर रियासत के तत्कालीन राजा तुकोजीराव पवार ने 1906 में इन्दौर के पास बिलावली में जनता को पानी की जरूरतें पूरी करने हेतु 320 एमसीएफटी जल ग्रहण क्षमता तथा फूल टैंक स्तर 34 फीट वाले इस तालाब का निर्माण करवाना प्रारम्भ किया था, जो 1915 में बनकर तैयार हुआ था तथा 1916 में पहली बार बारिश के पानी से लबालब हुआ था। तब से अब तक यह एक बड़ी आबादी को पानी उपलब्ध कराता रहा है।
तालाब का कुल क्षेत्रफल 180 वर्ग किमी है। इसमें असरावद तालाब, लिम्बोदी की ओवरफ्लो चैनल, राऊ चैनल से मुण्डी तालाब होते हुए बरसाती पानी आता है। इसके जलग्रहण क्षेत्र में रालामण्डल, कैलोद करताल, मोरोद, माचला, फतनखेड़ी, राऊ और मुण्डी जैसे गाँवों का बड़ा इलाका आता है।
बिलावली तालाब से 1920 में सीधे शहर को जलप्रदाय किया गया। लन्दन की कैंडी फिल्टर कम्पनी ने यहाँ 9 एमएलडी पानी देने के लिये फिल्टर प्लांट लगाया और शहर को साफ पानी मिलने लगा। करीब 50 सालों तक इस तरह पानी देने के बाद 1970 से तो लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने इसके जरिए इन्दौर के एक बड़े हिस्से को पीने का पानी भी देता रहा है। इसमें दक्षिण इलाके के साथ श्रमिक बस्तियों और इन्दौर की पहचान रहे सूती कपड़ा मीलों के लिये भी पानी मुहैया कराया गया।
1983 में नर्मदा परियोजना अस्तित्व में आने के बाद भी इसके पानी से बिलावली टंकी भरकर शहर के कुछ हिस्सों को पानी दिया जा रहा है। यह तालाब कभी एक हजार एकड़ में फैला हुआ था लेकिन अब सिमटकर सिर्फ 600 एकड़ में ही सिमट गया है। इससे जलग्रहण क्षमता भी प्रभावित हुई है।
बीते आठ सालों से इन्दौर शहर में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में जुटी संस्था तरु ने इन्दौर के तालाबों के संरक्षण को लेकर महत्त्वपूर्ण काम किया है। संस्था ने स्थानीय समाज को तालाबों से जोड़ने और उनके बीच आत्मीय सम्बन्ध विकसित करने के उद्देश्य से यहाँ बड़ा काम किया है।
लोगों को जागरूक करने के साथ अब तालाबों के आसपास रहने वाले लोगों की तालाब संरक्षण और प्रबन्ध समिति बनाकर उनमें जिम्मेदारी का बोध कराया है। इससे अब वहाँ के लोग तालाबों का महत्त्व समझ चुके हैं। अब वे आगे बढ़कर अपने तालाबों की हिफाजत में जुटे हैं। तरु भी बच्चों को तालाब से जोड़ने के लिये आसपास के स्कूलों में बिलावली तालाब के जन्मदिन पर तालाब के सौन्दर्यीकरण पर पेंटिंग प्रतियोगिता करवा रही है। इससे पहले संस्था रैलियों, बैठकों के जरिए भी जन चेतना के लिये काम करती रही है।
तरु इन्दौर की परियोजना संयोजिका दीपा दुबे बताती हैं कि तालाबों के विरासत की यहाँ एक बड़ी समृद्ध परम्परा है लेकिन लम्बे वक्त तक नल-जल योजना की वजह से लोग इन्हें भुलाकर उपेक्षित कर चले थे। तरु ने फिर से इनमें जान फूँकने की कोशिश की है।
साढ़े 19 लाख की आबादी वाले इस शहर में जलवायु परिवर्तन के तमाम खतरों को कम करने में इन तालाबों की बड़ी भूमिका हो सकती है। यहाँ जलवायु परिवर्तन ने काफी समय पहले ही चोट करना शुरू कर दी थी। अध्ययन बताते हैं कि इन्दौर जैसे बड़े शहरों को इन खतरों से बचाने के लिये अभी से ठोस काम की जरूरत है। इसी उद्देश्य से हम बीते पाँच सालों से इन्दौर के तालाबों को सँवारने में जुटे हैं।
सुखद बदलाव है कि यहाँ अब लोग तालाबों से जुड़ने लगे हैं और उनकी ओर उपेक्षित रवैए में भी सुधार हुआ है। नगर निगम ने भी इसमें बड़ा योगदान किया है। तालाबों का जन्मदिन मनाया जाना इसकी बानगी है। काश कि अन्य स्थानों के लोग भी इसका अनुकरण करें। वे तालाबों को अपना समझें ताकि उन्हें सहेज सकें।
नगर निगम तालाबों की उपयोगिता बढ़ाने और इसके ज्यादा-से-ज्यादा पानी सहेजने की पहल में जुटा है। इस बार गर्मियों में जनभागीदारी से 90 हजार डम्पर मिट्टी निकालकर इसकी जलग्रहण क्षमता बढ़ाई है। जन्मदिन मनाने से लोगों में तालाब संरक्षण और उसके प्रति कृतज्ञ भाव आएगा... बलराम वर्मा, जलकार्य प्रभारी, नगर निगम इन्दौर
इन्दौर के इस सबसे बड़े तालाब के जन्मदिन आयोजन से लोगों में इसके प्रति अपनापन और संरक्षण की भावना आएगी। लोगों में इसकी महत्ता और इसकी चिन्ता करने का भाव आएगा। यही हम चाहते हैं ताकि वे अपने तालाबों को सहेज सकें। सुखद है कि लोगों में यह भावना और बदलाव आ रहा है। इससे शहर में जलवायु परिवर्तन के खतरों और प्रभावों से भी बचा जा सकेगा... दीपा दुबे, परियोजना संयोजक, नगरीय तालाब संवर्धन और संरक्षण, तरु इन्दौर
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Post By: RuralWater