पूरा जहर नहीं साफ हो पाता यमुना का

नई दिल्ली। हरियाणा यमुना में अमोनिया के साथ एल्यूमिनियम भी भेज रहा है। यह एल्यूमिनियम पानीपत के उर्वरक व चम़ड़े की फैक्ट्री से छोड़ा जाता है। अमोनिया की मात्रा को दिल्ली जलबोर्ड साफ तो कर देता है लेकिन एल्यूमिनियम की मौजूदगी कुछ हद तक बनी रहती है और लोगों के घरों में यही पानी पहुंचता है।

जलबोर्ड के लैब से जुड़े अधिकारिक सूत्रों के अनुसार पानीपत से छोड़े गए कचरे में अनेक तरह के घातक तत्व मिले रहते हैं। अमोनिया सबसे ज्यादा घातक है इसलिए पानी सप्लाई रोकनी पड़ती है, ताकि इसकी सफाई की जा सके। सफाई के दौरान सभी तत्व हट जाते हैं लेकिन एल्यूमिनियम की मौजूदगी बनी रहती है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सदस्य डॉ. अनिल बंसल कहते हैं एल्यूमिनियम युक्त पानी पीने से पाचन शक्ति प्रभावित होने के साथ लोग डायरिया के भी शिकार हो सकते हैं। इस तरह के पानी का उपयोग पीने के लिए यदि लंबे समय तक किया जाता है तो जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं।

गौरतलब है कि यमुना में अमोनिया का स्तर अक्सर बढ़ जाता है। दिल्ली जलबोर्ड इसके लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहराता है। जलबोर्ड के अनुसार पानीपत में बने उर्वरक व चम़ड़े समेत अनेक फैक्ट्री से भारी मात्रा में कचरा निकलता है, जिसे यमुना में छोड़ दिया जाता है। यमुना के पानी से जलबोर्ड के वजीराबाद व चंद्रावल जल उपचार संयंत्रों यमुना से ही कच्चा पानी लिया जाता है। यहां के पानी से देश के संसद भवन से लेकर अनेक अनाधिकृत कालोनियों समेत दिल्ली के 30 प्रतिशत हिस्से में पानी सप्लाई की जाती है। अमोनिया की मात्रा को क्लोरिन डालकर कम किया जाता है लेकिन एल्यूमिनियम की सफाई के लिए अलग से कोई उपाय नहीं किए जाते हैं।

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