पुलिस दमन द्वारा 245 जल सत्याग्रही गिरफ्तार एवं रिहा

10 सितम्बर को राज्य सरकार ने ओंकारेश्वर बांध में जारी जल सत्याग्रह की मांगों को स्वीकार करते हुए ओंकारेश्वर बांध में पानी का स्तर 189 मीटर तक करने का निर्णय लिया एवं प्रभावितों को जमीन के बदले जमीन देने की घोषणा की है। परन्तु सरकार द्वारा इंदिरा सागर बांध में पानी कम करने की मांग न स्वीकार करने के कारण इंदिरा सागर परियोजना के डूब में गांव खरदना में जल सत्याग्रह जारी रहा। इंदिरा सागर परियोजना के डूब के ग्राम खरदना में गत 15 दिन से जारी जल सत्याग्रह पर सैकड़ों पुलिसकर्मियों द्वारा दमनात्मक कार्यवाही करते हुए 245 सत्याग्रहियों को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसमें 104 महिलाएं और 141 पुरुष शामिल हैं, इनमें नर्मदा आंदोलन की वरिष्ठ कार्यकर्ता सुश्री चित्तरूपा पालित भी शामिल हैं। बाद में बढ़ते जनआक्रोश के चलते शाम को इन्हें रिहा कर दिया गया। नर्मदा बचाओ आंदोलन ने सरकार के इस दमन की निंदा की। नर्मदा बचाओ आंदोलन ने विज्ञप्ति में कहा है कि आंदोलन मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर कर बांध का जलस्तर 260 मी. तक लाने की मांग करेगा। इंदिरासागर बांध के प्रभावित जमीन के अधिकार के आवेदन शिकायत निवारण प्राधिकरण के समक्ष दायर करेंगे और ओंकारेश्वर एवं इंदिरासागर बांध प्रभावितों के पुनर्वास के सभी विषयों पर आंदोलन, राज्य सरकार द्वारा बनाई गई मंत्रियों की समिति के समक्ष अपना पक्ष रखेगा।

पुलिस दमन द्वारा जल सत्याग्रही गिरफ्तार


इंदिरा सागर परियोजना के डूब के ग्राम खरदना में डूब घटाकर पहले पुनर्वास की मांग के साथ गत 15 दिन से ‘जल सत्याग्रह’ जारी रहा। गत 10 सितम्बर को राज्य सरकार ने ओंकारेश्वर बांध में जारी जल सत्याग्रह की मांगों को स्वीकार करते हुए ओंकारेश्वर बांध में पानी का स्तर 189 मीटर तक करने का निर्णय लिया एवं प्रभावितों को जमीन के बदले जमीन देने की घोषणा की है। परन्तु सरकार द्वारा इंदिरा सागर बांध में पानी कम करने की मांग न स्वीकार करने के कारण इंदिरा सागर परियोजना के डूब में गांव खरदना में जल सत्याग्रह जारी रहा। नर्मदा बचाओ आंदोलन की वरिष्ठ कार्यकर्ता सुश्री चित्तरूपा पालित जो कि 17 दिन घोघलगांव में जल सत्याग्रह में शामिल थीं, वो भी कल खरदना सत्याग्रह में शामिल हो गई। कल दोपहर से 1000 से अधिक पुलिस ने खरदना गांव को छावनी बना दिया। आज सुबह पुलिस ने कार्यवाही कर पहले पानी के बाहर के लोगों को गिरफ्तार किया।

जमीन अधिकार को आवेदन शिकायत निवारण प्राधिकरण के समक्ष किये जाएंगें

सरकार द्वारा हरदा में जल सत्याग्रहियों का दमनसरकार द्वारा हरदा में जल सत्याग्रहियों का दमनओंकारेश्वर परियोजना के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय एवं शिकायत निवारण प्राधिकरण के आदेशों के अनुसार पुनर्वास नीति का पालन न करते हुए विस्थापितों को जबरन मुआवजा दे दिया गया है, जो बहुत ही कम है और इस कारण से 89 प्रतिशत विस्थापित कोई जमीन नहीं खरीद पाए हैं। अतः सभी विस्थापित जमीन के पात्र हैं और 50 प्रतिशत मुबावजा वापस करने पर उन्हें जमीन आवंटित की जाये।

मंत्रियों की समिति के समक्ष आंदोलन द्वारा पुनर्वास की समस्याओं को रखा जाएगा

नर्मदा बचाओ आंदोलन, राज्य सरकार द्वारा गठित तीन मंत्रियों की समिति के समक्ष ओंकारेश्वर एवं इंदिरासागर प्रभावितों की पुनर्वास के अधिकार संबंधित समस्याओं को रखा जाएगा। आंदोलन द्वारा इस हेतु एक 12 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो कि मंत्रियों की समिति के समक्ष पुनर्वास की समस्याएं रखेगी। इस समिति में आंदोलन के श्री आलोक अग्रवाल, सुश्री चित्तरूपा पालित के साथ कला बाई-घोघलगांव, मंशा राम - ऐखंड, नारायण भाई-सुकवा, केसरसिंह-टोकी, चैन भारती-घोघलगांव, नन्नू पूरी-कमंखेड़ा, मांगीलाल-ग्राम नयापुरा, राम विलास राठौर-ऊवां, राजेन्द्र प्रसाद-बड़गांव माल एवं कृष्णाबाई-ग्राम बिचैला शामिल हैं।

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