1980 में पूरी कर ली जाने वाली पश्चिमी कोसी नहर का आज भी निर्माण चल रहा है। इसकी कार्य प्रगति की हालत इस तरह से है। परियोजना सूत्रों के अनुसार इस नहर के नेपाल भाग का निर्माण पूरा कर लिया गया है और भारतीय भाग में भी मुख्य नहर के निर्माण का कार्य (99 प्रतिशत) पूरा कर लिया गया है। वितरणियों तथा चक सीमाओं तक नहरें बनाने का काम 60 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है मगर फील्ड चैनेल्स केवल 26 प्रतिशत तक ही निर्मित हो पाई हैं। काकर घट्टी और साहर घाट शाखा नहरों में संरचनाओं के निर्माण का काम काफी पीछे चल रहा है।
जब तक यह संरचनायें नहीं बन जातीं तब तक मिट्टी का काम पूरा होने के बावजूद अधिकांश जगहों पर सिंचाई नहीं हो पायेगी। यह भी बात ध्यान देने लायक है कि निर्माण की यह प्रगति पिछले तीस वर्षों की है और उम्मीद की जाती है कि भविष्य में इसमें सुधार जरूर होगा। इशारा इस बात का भी है कि अभी तक इस योजना में ग्रामीण नहरों तथा फील्ड चैनेल्स पर काम की रफ्तार बहुत ही धीमी है। योजना सूत्रों के अनुसार पश्चिमी कोसी नहर का काम अब 2010 में पूरा कर लिया जायेगा जिसकी फिलहाल कोई संभावना दिखाई नहीं पड़ती।
नहरों का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद बिहार में 2,34,800 हेक्टेयर क्षेत्र (कृषि) तथा नेपाल में 19,900 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र पर सिंचाई उपलब्ध हो सकेगी। 2002 तक पश्चिमी कोसी नहर में 23,530 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र पर सिंचाई क्षमता अर्जित की जा चुकी थी जो कि लक्ष्य का मात्रा 10.02 प्रतिशत है। धौरी नदी पर साइफन तैयार हो जाने के बाद धौरी और कमला साइफन के बीच वाले क्षेत्र में 15,450 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का सृजन होगा। बाकी की 1,85,050 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता कमला नदी पर साइफन बन जाने तथा सभी संरचनाओं के निर्माण पर प्राप्त की जायेगी। यह दोनों संरचनाएं अभी (2006) अधूरी हैं। परियोजना सूत्रों के अनुसार पश्चिमी कोसी नहर में 147.48 हजार हेक्टेयर की सिंचन क्षमता अर्जित कर ली गई है।
1962 में 13.49 करोड़ रुपये पर प्रस्तावित इस नहर की अनुमानित लागत 1981 में 161.80 करोड़ रुपये, 1988 में 326.61 करोड़ रुपये, (स्वीकृति 281.75 करोड़ रुपये,)1998 में 904.01 करोड़ रुपये (स्वीकृत 830.69 करोड़ रुपये) है। मार्च 2006 तक इस योजना पर 717.33 करोड़ रुपये खर्च हुये थे। नहर से अब तक होने वाली सिंचाई को तालिका-6.1 में दिखाया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि एक बार 1992-93 में इस नहर से खरीफ और रबी मिला कर 16,990 हेक्टेयर क्षेत्र पर सिंचाई हो गई थी। उसके बाद से इस नहर द्वारा सिंचाई में गिरावट का क्रम 2000-01 तक जारी रहा। उसके बाद से नहर द्वारा सिंचाई में सुधार का क्रम शुरू हुआ और 2005-2006 में नहर द्वारा 21.62 हजार हेक्टेयर पर सिंचाई हुई। इतनी सिंचाई 1963 के योजना के कथित उद्देश्य का मात्रा 6.65 प्रतिशत है। यह आश्चर्य की बात है कि 1990 से लेकर 2006 के बीच जहाँ योजना पर अरबों रुपये खर्च हुये वहाँ वास्तविक सिंचाई में मात्रा 5,110 हेक्टेयर (12,622 एकड़) क्षेत्र की वृद्धि हुई। अर्जित सिंचन क्षमता 147.48 हजार हेक्टेयर के मुकाबले मात्रा 21620 हेक्टेयर पर वास्तविक सिंचाई अपने आप में योजना के लिए चिन्ता का विषय होना चाहिए।
जब तक यह संरचनायें नहीं बन जातीं तब तक मिट्टी का काम पूरा होने के बावजूद अधिकांश जगहों पर सिंचाई नहीं हो पायेगी। यह भी बात ध्यान देने लायक है कि निर्माण की यह प्रगति पिछले तीस वर्षों की है और उम्मीद की जाती है कि भविष्य में इसमें सुधार जरूर होगा। इशारा इस बात का भी है कि अभी तक इस योजना में ग्रामीण नहरों तथा फील्ड चैनेल्स पर काम की रफ्तार बहुत ही धीमी है। योजना सूत्रों के अनुसार पश्चिमी कोसी नहर का काम अब 2010 में पूरा कर लिया जायेगा जिसकी फिलहाल कोई संभावना दिखाई नहीं पड़ती।
नहरों का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद बिहार में 2,34,800 हेक्टेयर क्षेत्र (कृषि) तथा नेपाल में 19,900 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र पर सिंचाई उपलब्ध हो सकेगी। 2002 तक पश्चिमी कोसी नहर में 23,530 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र पर सिंचाई क्षमता अर्जित की जा चुकी थी जो कि लक्ष्य का मात्रा 10.02 प्रतिशत है। धौरी नदी पर साइफन तैयार हो जाने के बाद धौरी और कमला साइफन के बीच वाले क्षेत्र में 15,450 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का सृजन होगा। बाकी की 1,85,050 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता कमला नदी पर साइफन बन जाने तथा सभी संरचनाओं के निर्माण पर प्राप्त की जायेगी। यह दोनों संरचनाएं अभी (2006) अधूरी हैं। परियोजना सूत्रों के अनुसार पश्चिमी कोसी नहर में 147.48 हजार हेक्टेयर की सिंचन क्षमता अर्जित कर ली गई है।
1962 में 13.49 करोड़ रुपये पर प्रस्तावित इस नहर की अनुमानित लागत 1981 में 161.80 करोड़ रुपये, 1988 में 326.61 करोड़ रुपये, (स्वीकृति 281.75 करोड़ रुपये,)1998 में 904.01 करोड़ रुपये (स्वीकृत 830.69 करोड़ रुपये) है। मार्च 2006 तक इस योजना पर 717.33 करोड़ रुपये खर्च हुये थे। नहर से अब तक होने वाली सिंचाई को तालिका-6.1 में दिखाया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि एक बार 1992-93 में इस नहर से खरीफ और रबी मिला कर 16,990 हेक्टेयर क्षेत्र पर सिंचाई हो गई थी। उसके बाद से इस नहर द्वारा सिंचाई में गिरावट का क्रम 2000-01 तक जारी रहा। उसके बाद से नहर द्वारा सिंचाई में सुधार का क्रम शुरू हुआ और 2005-2006 में नहर द्वारा 21.62 हजार हेक्टेयर पर सिंचाई हुई। इतनी सिंचाई 1963 के योजना के कथित उद्देश्य का मात्रा 6.65 प्रतिशत है। यह आश्चर्य की बात है कि 1990 से लेकर 2006 के बीच जहाँ योजना पर अरबों रुपये खर्च हुये वहाँ वास्तविक सिंचाई में मात्रा 5,110 हेक्टेयर (12,622 एकड़) क्षेत्र की वृद्धि हुई। अर्जित सिंचन क्षमता 147.48 हजार हेक्टेयर के मुकाबले मात्रा 21620 हेक्टेयर पर वास्तविक सिंचाई अपने आप में योजना के लिए चिन्ता का विषय होना चाहिए।
तालिका 6.1
पश्चिमी कोसी नहर से वास्तविक सिंचाई | |||||
वर्ष | खरीफ | रबी | गरमा | कुल | मूल्य लक्ष्य(1962) का प्रतिशत |
1985-86 | 4.00 | -- | -- | 4.00 | 1.23 |
1986-87 | 9.00 | 2.00 | -- | 11.00 | 3.38 |
1987-88 | 2.00 | 2.00 | -- | 4.00 | 1.23 |
1988-89 | 12.00 | 2.35 | -- | 14.35 | 4.42 |
1989-90 | 13.00 | 3.51 | -- | 16.51 | 5.08 |
1990-91 | 13.50 | 2.99 | -- | 16.99 | 5.23 |
1991-92 | 13.88 | 2.29 | -- | 16.17 | 4.98 |
1992-93 | 15.87 | 1.11 | -- | 16.98 | 5.22 |
1993-94 | 9.87 | 1.10 | -- | 10.97 | 3.38 |
1994-95 | 12.60 | 0.88 | 1.20 | 14.68 | 4.52 |
1995-96 | 9.70 | 0.96 | 2.12 | 12.78 | 3.93 |
1996-97 | 6.27 | 0.58 | 2.27 | 9.12 | 2.81 |
1997-98 | 6.31 | 0.14 | 2.45 | 11.90 | 3.66 |
1998-99 | 9.30 | 0.39 | 2.20 | 11.89 | 3.66 |
1999-2000 | 5.89 | 0.36 | 1.58 | 7.83 | 2.41 |
2000-01 | 5.84 | 0.43 | 0.16 | 6.43 | 1.98 |
2001-02 | 9.37 | 0.43 | -- | 9.80 | 3.02 |
2002-03 | 9.44 | 0.14 | -- | 9.58 | 2.95 |
2003-04 | 13.44 | 0.18 | 0.13 | 13.75 | 4.23 |
2004-05 | 17.39 | -- | -- | 17.39 | 5.35 |
2005-06 | 21.37 | 0.25 | -- | 21.62 | 6.65 |
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