बस अड्डे व बसों में बिकेगा रोडवेज का पानी
आगरा। रेल नीर की तरह ही अब ‘परिवहन नीर’ यात्रा के समय बस यात्रियों की प्यास बुझाएगा। इसके लिए परिवहन निगम ने निजी कम्पनियों से समझौता करने का निर्णय लिया है। संबंधित कम्पनी ‘परिवहन नीर’ नाम से कोब्रांडिंग कर बस यात्रियों को सस्ती दरों पर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराएंगी।
कुछ खास सेवा और बस अड्डा परिसरों को छोड़ दें तो रोडवेज अपनी बसों में किसी खास ब्रांड के पेयजल की बिक्री करने की अनुमति नहीं देता। यात्रा के समय प्यास लगने पर बस यात्रियों को या तो अनाधिकृत विक्रेताओं से बोतल बंद पानी खरीदना पड़ता है या हैंडपंपों के पानी से प्यास बुझानी पड़ती है। परिवहन निगम की ओर से कोई विकल्प नहीं होने के कारण ही बस यात्रियों को निम्न गुणवत्ता का पानी ऊंची दरों पर खरीदना पड़ता है।
इतना ही नहीं कई स्थानों पर तो पानी को ब्रांडेड बोतल में भर कर बेचा जाता है। आकड़ों पर गौर करें तो हॉकर निगम की बसों में पानी बेच कर धन कमा रहे हैं। इस कारोबार से सूबे में हर रोज लाखों की आय होती है। कमाई को देखकर उत्तर प्रदेश परिवहन निगम इस धंधे में खुद उतरने जा रहा है।
परिवहन विभाग रेलवे की तर्ज पर ‘रेल नीर’ बनाने में पैसा खर्च करने की बजाय बोतल बंद पानी बेचने वाली कम्पनियों से करार करने जा रहा है। निजी कम्पनियां अपने उत्पाद की ब्रांडिंग के नीचे ह्यपरिवहन नीर की को-ब्रांडिंग कर सस्ती दरों में बस व बस अड्डा परिसरों में पानी उपलब्ध कराएं। इस दिशा में विभागीय अधिकारी तेजी से कार्य कर रहे हैं। सब कुछ ठीक रहा तो नए वर्ष से सूबे के सभी 242 बस अड्डा परिसरों व बसों से यात्रा करने पर ‘परिवहन नीर’ से यात्री हलक तर करेंगे।
बस अड्डा परिसरों में हम अपनी चादर के अनुसार वॉटर कूलर वगैरह लगाकर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करते हैं। चूंकि, आजकल सहूलियत की वजह बोतल बंद पानी की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है, इस नाते हमने उसे कम दर पर यात्रियों को उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। निजी कम्पनियों से कारार करने की कवायद जारी है। समझौता होने पर बसों व बस अड्डा परिसरों में परिवहन नीर नाम की कोब्रांडिंग से सस्ती दरों पर यात्रियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। रविंद्र सिंह (सेवा प्रबंधक, रोडवेज)
बसों में यह होंगी पानी की दरें
इसके अतिरिक्त कंपनियां बसअड्डा परिसर में ‘आरो’ प्लांट लगाकर तीन रुपया प्रति लीटर (बॉटल के बिना) की दर से शुद्ध पानी की बिक्री कर सकती हैं।
ऐसे चल रही वर्तमान व्यवस्था
पानी को लेकर अपने देश में ढेर सारे स्लोगन समय-समय पर भले पढ़ें व गढ़े जाएं, सार्वजनिक स्थानों पर इसे खास तवज्जो नहीं दी जाती। परिवहन निगम हो या रेलवे पानी को हमेशा हाशिए पर रखता है। जबतक यात्री जेब ढीली न करें, तब तक उसे पीने का शुद्ध पानी यहां नहीं मिल सकता। हाल फिलहाल में दोनों स्थानों पर ऐसी ही तस्वीरे देखने को मिलती है। कहने में कोई गुरेज नहीं कि रोडवेज की व्यवस्था रेलवे की तुलना में और भी जर्जर है। वाकई, लोगों के यात्रा मंगलमय हो की कामना करने वाला यह विभाग अपने बस अड्डों पर एक या दो वॉटर कूलर या कुछ हैंड पम्प लगवाकर ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है। पेयजल को लेकर मौजूदा समय में इसकी व्यवस्थाएं ऐसे ही चल रही हैं।
आगरा। रेल नीर की तरह ही अब ‘परिवहन नीर’ यात्रा के समय बस यात्रियों की प्यास बुझाएगा। इसके लिए परिवहन निगम ने निजी कम्पनियों से समझौता करने का निर्णय लिया है। संबंधित कम्पनी ‘परिवहन नीर’ नाम से कोब्रांडिंग कर बस यात्रियों को सस्ती दरों पर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराएंगी।
कुछ खास सेवा और बस अड्डा परिसरों को छोड़ दें तो रोडवेज अपनी बसों में किसी खास ब्रांड के पेयजल की बिक्री करने की अनुमति नहीं देता। यात्रा के समय प्यास लगने पर बस यात्रियों को या तो अनाधिकृत विक्रेताओं से बोतल बंद पानी खरीदना पड़ता है या हैंडपंपों के पानी से प्यास बुझानी पड़ती है। परिवहन निगम की ओर से कोई विकल्प नहीं होने के कारण ही बस यात्रियों को निम्न गुणवत्ता का पानी ऊंची दरों पर खरीदना पड़ता है।
इतना ही नहीं कई स्थानों पर तो पानी को ब्रांडेड बोतल में भर कर बेचा जाता है। आकड़ों पर गौर करें तो हॉकर निगम की बसों में पानी बेच कर धन कमा रहे हैं। इस कारोबार से सूबे में हर रोज लाखों की आय होती है। कमाई को देखकर उत्तर प्रदेश परिवहन निगम इस धंधे में खुद उतरने जा रहा है।
परिवहन विभाग रेलवे की तर्ज पर ‘रेल नीर’ बनाने में पैसा खर्च करने की बजाय बोतल बंद पानी बेचने वाली कम्पनियों से करार करने जा रहा है। निजी कम्पनियां अपने उत्पाद की ब्रांडिंग के नीचे ह्यपरिवहन नीर की को-ब्रांडिंग कर सस्ती दरों में बस व बस अड्डा परिसरों में पानी उपलब्ध कराएं। इस दिशा में विभागीय अधिकारी तेजी से कार्य कर रहे हैं। सब कुछ ठीक रहा तो नए वर्ष से सूबे के सभी 242 बस अड्डा परिसरों व बसों से यात्रा करने पर ‘परिवहन नीर’ से यात्री हलक तर करेंगे।
बस अड्डा परिसरों में हम अपनी चादर के अनुसार वॉटर कूलर वगैरह लगाकर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करते हैं। चूंकि, आजकल सहूलियत की वजह बोतल बंद पानी की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है, इस नाते हमने उसे कम दर पर यात्रियों को उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। निजी कम्पनियों से कारार करने की कवायद जारी है। समझौता होने पर बसों व बस अड्डा परिसरों में परिवहन नीर नाम की कोब्रांडिंग से सस्ती दरों पर यात्रियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। रविंद्र सिंह (सेवा प्रबंधक, रोडवेज)
बसों में यह होंगी पानी की दरें
लीटर बॉटल | रुपया |
दो लीटर बॉटल | 22 |
एक लीटर बॉटल | 14 |
500 एमएल बॉटल | 09 |
इसके अतिरिक्त कंपनियां बसअड्डा परिसर में ‘आरो’ प्लांट लगाकर तीन रुपया प्रति लीटर (बॉटल के बिना) की दर से शुद्ध पानी की बिक्री कर सकती हैं।
ऐसे चल रही वर्तमान व्यवस्था
पानी को लेकर अपने देश में ढेर सारे स्लोगन समय-समय पर भले पढ़ें व गढ़े जाएं, सार्वजनिक स्थानों पर इसे खास तवज्जो नहीं दी जाती। परिवहन निगम हो या रेलवे पानी को हमेशा हाशिए पर रखता है। जबतक यात्री जेब ढीली न करें, तब तक उसे पीने का शुद्ध पानी यहां नहीं मिल सकता। हाल फिलहाल में दोनों स्थानों पर ऐसी ही तस्वीरे देखने को मिलती है। कहने में कोई गुरेज नहीं कि रोडवेज की व्यवस्था रेलवे की तुलना में और भी जर्जर है। वाकई, लोगों के यात्रा मंगलमय हो की कामना करने वाला यह विभाग अपने बस अड्डों पर एक या दो वॉटर कूलर या कुछ हैंड पम्प लगवाकर ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है। पेयजल को लेकर मौजूदा समय में इसकी व्यवस्थाएं ऐसे ही चल रही हैं।
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