पंजाब के गिरते भूजल को लगी ब्रेक

करीब दो दशक से लगातार गिर रहे पंजाब के भूजल स्तर में अब के वर्ष ब्रेक लग गई है। केंद्रीय पंजाब के कई क्षेत्रों में भूजल का स्तर तीन से दस फीट तक ऊपर आया है। इसका श्रेय प्री मानसून के तहत करीब 15 दिन पहले आरंभ हुई बरसात के साथसाथ पंजाब सरकार द्वारा धान की रोपाई के लिए तय की गई 10 जून की समय सीमा को जाता है।मालवा के संगरूर,सुनाम, लहरागागा, दिड़बा, धनौला, बुढलाडा, बरनाला आदि क्षेत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भूजल का स्तर तीन से दस फीट तक ऊपर आ गया है। सुनाम के स्टेट अवार्ड विजेता किसान महेद्र सिंह सिद्धू ने बताया कि उनके टयूबवेलों का जल स्तर दस फीट के करीब चढ़ गया है। उन्होंने बताया कि सुनाम के गांव शेरों, शाहपुर, चीमा, नीलावाल तथा धनौला विधानसभा क्षेत्र के गांव राजिया, पंधेर आदि गांवों में किसानों को सबमर्सिबल टयूबवेलों की लोरिंग 10-10 फीट ऊपर उठानी पड़ रही है जबकि पिछले वर्ष 100 फीट लोरिंग को 120 फीट तक गहरा किया गया था। उन्होंने बताया कि जिन किसानों के सबमर्सिबल टयूबवेल नहीं थे उन्हे प्रत्येक वर्ष अपने परंपरागत टयूबवेल का कुआं कम से कम पांच फीट गहरा करना पड़ता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। बुढलाडा के गांव चक्क भाईका के किसान हरदीप सिंह ने बताया कि इस बार चार-पांच फीट भूजल चढ़ गया है।

उधर पंजाब किसान आयोग के सलाहकार डा. पीएस रंगी के अनुसार धान की रोपाई लेट होने के कारण इस समय पूरे केंद्रीय पंजाब में खेत धान की रोपाई के लिए तैयार हैं। और भूजल भी नहीं गिरा है।पंजाब कृषि विद्यालय और पंजाब किसान आयोग से संबंधित भूजल माहिर डा. कर्म सिंह ने बताया कि पानी का स्तर चढ़ने के पीछे मुख्य कारण धान की रोपाई का एक माह लेट शुरू होना है। लेकिन पोस्ट और प्री मानसून तहत पंजाब में जम कर बरस रहा मेघा पंजाब सरकार के उक्त निर्णय पर सोने पर सुहागा साबित हुआ है। उन्होंने बताया कि पंजाब में भूजल का स्तर 1984 से ही गिरने लगा था। 1988 की बाढ़ के कारण इस गिरावट में कुछ कमी आई थी। इसके बाद 1996-97 के बाद भूजल का स्तर गिरने में जबरदस्त तेजी आई, जो धान के पिछले सीजन के अंत तक जारी रही। इसका कारण पंजाब में पिछले 7-8 वर्षाें से औसतन 600 मिलीमीटर से कम हो रही बरसात को माना गया। जबकि सोमवार को चार बजे तक एक दिन में ही पटियाला में 122 मिलीमीटर, अमृतसर में 42 मिलीमीटर और लुधियाना में करीब 32 मिलीलीटर बरसात गिरी है।

उधर सरकारी आंकड़ों के अनुसार पंजाब के रबी व खरीफ की वर्तमान फसली प्रणाली के लिए प्रति वर्ष 4.41 मिलीयन हेक्टेयर मीटर पानी की कुल जरूरत है। इसमें 1.45 मिलीयन हेक्टेयर मीटर नहरों व नदियों का और प्रति वर्ष बारिश, नदी व नहरी सिस्टम से भूमि में समाने वाला 1.68 मिलीयन हेक्टेयर मीटर पानी उपलब्ध है। इस तरह पंजाब में पानी की कुल उपलब्धता 3.13 मिलीयन हेक्टेयर मीटर है। इस हिसाब से पिछले वर्ष तक प्रति वर्ष जरूरत से 1.27 मिलीयन हेक्टेयर मीटर पानी कम पड़ता रहा है। इसकी आपूर्ति पंजाब में लगे 11.50 लाख टयूबवेलों द्वारा पानी धरती से खींच कर की जाती थी। यही भूजल स्तर के गिरने का यह एक मुख्य कारण है।
 

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