किसी संगठन की सफलता में सही लक्ष्य की पहचान, उस लक्ष्य तक पहुंचने की सही रणनीति और लोगों के जुड़ाव और उनकी प्रतिबद्धता का काफी महत्व होता है। इस मायने में देखें तो महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित एक गैर सरकारी संगठन वॉटरशेड ऑरगेनाइजेशन ट्रस्ट (डब्ल्यूओटीआर) ने इस क्षेत्र के दर्द को समझा और उसी के मुताबिक इस क्षेत्र के उद्धार के लिए काम करती है। अपने इस प्रयास में डब्ल्यूओटीआर ग्रामीण समुदायों को जल पंढाल विकास के लिए सहयोग करती है।
इस संगठन के कार्य का तरीका ही निराला है, जैसा कि डब्ल्यूओटीआर के अध्यक्ष फादर वाकर कहते हैं, “हम व्यक्ति को ध्यान में रखकर काम करते हैं, बाकी काम अपने आप होने लगता है।“ जैसा कि इनका मानना है कि “प्रत्येक व्यक्ति में कमजोरियों के अलावा कुछ अच्छे गुण भी होते हैं। हम व्यक्ति में इसकी तलाश करते हैं और उनका उपयोग करते हैं। जब उनके अच्छे गुणों में निखार आता है तो बड़े-बड़े चमत्कार होने लगते हैं और लोगों के जीवन में बदलाव आने लगता है।“
डब्ल्यूओटीआर अपने प्रयास में सरकार के साथ भी अच्छा रिश्ता बनाकर काम करता है, जिससे इसका काम सहज रूप से चलता रहे और इस क्षेत्र में तथा यहां रहने वाले लोगों का बेहतर ढंग से विकास हो सके।
डब्ल्यूओटीआर ‘पहाड़ की चोटी से घाटी तक विकास’ के दृष्टिकोण से काम करती है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा यह थी कि इस क्षेत्र की ज्यादातर पहाड़ की चोटी के जमीन वन विभाग के अधीन थी जिस पर काम करने का अधिकार लोगों के पास नहीं था। सरकार के साथ लंबी बातचीत से 29 अगस्त 1992 को महाराष्ट्र सरकार ने एक समझौता पारित किया, जिससे जंगल की भूमि पर लोगों को कार्य करने का अधिकार मिला और इस तरह पहाड़ की चोटी पर भी जल संग्रहण के सही प्रबंधन का कानूनी स्वरूप तैयार हुआ।
ये अपने पंचवर्षीय जल पंढाल कार्यक्रम के तहत सबसे पहले ग्राम संस्था खड़ा करते हैं और फिर जल पंढाल विकास का काम आरंभ करते हैं। यह दो चरणों में बंटा है- जल पंढाल विकास के लिए क्षमता बढ़ाने का कार्य करते हैं और फिर सम्पूर्ण रूप से क्षेत्र में इसका क्रियान्वयन किया जाता है।
किसी गाँव को जल पंढाल विकास के लिए तभी चुना जाता है, जब अमुक गाँव के प्रत्येक परिवार का एक जल पंढाल के कामों में चार दिन का श्रमदान करता है। फिर गाँव में सबकी सहमति पर एक ग्राम जल पंढाल समिति का चुनाव किया जाता है, जो चराईबंदी, कुल्हाड़बंधी (पेड़ों की कटाई पर रोक), श्रमदान इत्यादि पर आधारित होता है। उन्हें सहभागी जल पंढाल विकास (सामाजिक, तकनीकी, प्रबंधकीय और वित्तीय पहलुओं), स्त्री-पुरुष की समानता स्वयं सहायता समूह, उद्यम विकास पर प्रशिक्षण दिया जाता है।
इसके भौतिक कार्यों में सोख्ता खाइयां, लम्बी कंटूरखाई, कंटूर बंधा तथा खेत बंधा बनाए जाते हैं, जिससे मिट्टी का कटाव थमता है और भूजल का पुनर्भरण होने लगता है। इसी प्रकार गल्ली प्लग, कच्चे और पक्के बंधा तथा चिनाई किए गए ढांचे बनाए जाते हैं। इसके अलावा वृक्षारोपण और चारागाह विकास का काम किया जाता है। डब्ल्यूओटीआर इस क्षेत्र के अन्य क्रियान्वयन एजेंसियों और ग्राम समितियों को भी सहयोगी सेवाएं पहुंचाती है।
इस राज्य के अहमदनगर जिले के अकोला तालुका में स्थित देवगाँव और शेलविरी गाँव में उनके जल पंढाल विकास के कामों को काफी जबरदस्त सफलता मिली है।
यह परियोजना सन् 1996 से शुरू होकर 2002 में समाप्त हुई। इस क्षेत्र में 850 मिलीमीटर (मिमी) से 950 मिमी तक वर्षा होती है। लेकिन वर्षाजल संग्रहण और भू-क्षरण को रोकने की कोई समुचित व्यवस्था न होने के कारण यहां पानी के साथ-साथ काफी भू-क्षरण भी होता था। और सिर्फ दस प्रतिशत पानी ही संग्रहित किया जा पाता था, लेकिन आज इस क्षेत्र में जलपंढाल विकास के तहत बनाए गए-विभिन्न ढांचों में 75 प्रतिशत वर्षाजल संग्रहित होने लगा है।
इसी प्रकार वन भूमि और सामुदायिक जमीन में वृक्षारोपण का भी काफी काम हुआ, जिसमें ज्यादातर स्थानीय प्रजाति के वृक्षों को ही प्राथमिकता दी गई। इसके भी काफी उत्साहवर्धक परिणाम सामने आ रहे हैं।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें : फॉदर वाकर, वॉटरशेड आरगेनाइजेशन ट्रस्ट, ‘पर्यावरण’, मार्केट यार्ड के पीछे, अहमद नगर- 414001 फैक्स : 0241- 2551134 फोन : 0241- 2450188, 2451460 ई-मेल : info@wotr.org वेबसाइट : www.wotr.org
इस संगठन के कार्य का तरीका ही निराला है, जैसा कि डब्ल्यूओटीआर के अध्यक्ष फादर वाकर कहते हैं, “हम व्यक्ति को ध्यान में रखकर काम करते हैं, बाकी काम अपने आप होने लगता है।“ जैसा कि इनका मानना है कि “प्रत्येक व्यक्ति में कमजोरियों के अलावा कुछ अच्छे गुण भी होते हैं। हम व्यक्ति में इसकी तलाश करते हैं और उनका उपयोग करते हैं। जब उनके अच्छे गुणों में निखार आता है तो बड़े-बड़े चमत्कार होने लगते हैं और लोगों के जीवन में बदलाव आने लगता है।“
डब्ल्यूओटीआर अपने प्रयास में सरकार के साथ भी अच्छा रिश्ता बनाकर काम करता है, जिससे इसका काम सहज रूप से चलता रहे और इस क्षेत्र में तथा यहां रहने वाले लोगों का बेहतर ढंग से विकास हो सके।
डब्ल्यूओटीआर ‘पहाड़ की चोटी से घाटी तक विकास’ के दृष्टिकोण से काम करती है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा यह थी कि इस क्षेत्र की ज्यादातर पहाड़ की चोटी के जमीन वन विभाग के अधीन थी जिस पर काम करने का अधिकार लोगों के पास नहीं था। सरकार के साथ लंबी बातचीत से 29 अगस्त 1992 को महाराष्ट्र सरकार ने एक समझौता पारित किया, जिससे जंगल की भूमि पर लोगों को कार्य करने का अधिकार मिला और इस तरह पहाड़ की चोटी पर भी जल संग्रहण के सही प्रबंधन का कानूनी स्वरूप तैयार हुआ।
ये अपने पंचवर्षीय जल पंढाल कार्यक्रम के तहत सबसे पहले ग्राम संस्था खड़ा करते हैं और फिर जल पंढाल विकास का काम आरंभ करते हैं। यह दो चरणों में बंटा है- जल पंढाल विकास के लिए क्षमता बढ़ाने का कार्य करते हैं और फिर सम्पूर्ण रूप से क्षेत्र में इसका क्रियान्वयन किया जाता है।
किसी गाँव को जल पंढाल विकास के लिए तभी चुना जाता है, जब अमुक गाँव के प्रत्येक परिवार का एक जल पंढाल के कामों में चार दिन का श्रमदान करता है। फिर गाँव में सबकी सहमति पर एक ग्राम जल पंढाल समिति का चुनाव किया जाता है, जो चराईबंदी, कुल्हाड़बंधी (पेड़ों की कटाई पर रोक), श्रमदान इत्यादि पर आधारित होता है। उन्हें सहभागी जल पंढाल विकास (सामाजिक, तकनीकी, प्रबंधकीय और वित्तीय पहलुओं), स्त्री-पुरुष की समानता स्वयं सहायता समूह, उद्यम विकास पर प्रशिक्षण दिया जाता है।
इसके भौतिक कार्यों में सोख्ता खाइयां, लम्बी कंटूरखाई, कंटूर बंधा तथा खेत बंधा बनाए जाते हैं, जिससे मिट्टी का कटाव थमता है और भूजल का पुनर्भरण होने लगता है। इसी प्रकार गल्ली प्लग, कच्चे और पक्के बंधा तथा चिनाई किए गए ढांचे बनाए जाते हैं। इसके अलावा वृक्षारोपण और चारागाह विकास का काम किया जाता है। डब्ल्यूओटीआर इस क्षेत्र के अन्य क्रियान्वयन एजेंसियों और ग्राम समितियों को भी सहयोगी सेवाएं पहुंचाती है।
इस राज्य के अहमदनगर जिले के अकोला तालुका में स्थित देवगाँव और शेलविरी गाँव में उनके जल पंढाल विकास के कामों को काफी जबरदस्त सफलता मिली है।
यह परियोजना सन् 1996 से शुरू होकर 2002 में समाप्त हुई। इस क्षेत्र में 850 मिलीमीटर (मिमी) से 950 मिमी तक वर्षा होती है। लेकिन वर्षाजल संग्रहण और भू-क्षरण को रोकने की कोई समुचित व्यवस्था न होने के कारण यहां पानी के साथ-साथ काफी भू-क्षरण भी होता था। और सिर्फ दस प्रतिशत पानी ही संग्रहित किया जा पाता था, लेकिन आज इस क्षेत्र में जलपंढाल विकास के तहत बनाए गए-विभिन्न ढांचों में 75 प्रतिशत वर्षाजल संग्रहित होने लगा है।
इसी प्रकार वन भूमि और सामुदायिक जमीन में वृक्षारोपण का भी काफी काम हुआ, जिसमें ज्यादातर स्थानीय प्रजाति के वृक्षों को ही प्राथमिकता दी गई। इसके भी काफी उत्साहवर्धक परिणाम सामने आ रहे हैं।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें : फॉदर वाकर, वॉटरशेड आरगेनाइजेशन ट्रस्ट, ‘पर्यावरण’, मार्केट यार्ड के पीछे, अहमद नगर- 414001 फैक्स : 0241- 2551134 फोन : 0241- 2450188, 2451460 ई-मेल : info@wotr.org वेबसाइट : www.wotr.org
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