पेयजल एवं स्वच्छता पर ‘‘मोगराराम’’ के बाल पत्रकार

स्वैच्छिक संस्था समर्थन द्वारा सेव द चिल्ड्रेन एवं वाटर एड के सहयोग से सीहोर जिले के बच्चों को बाल पत्रकारिता का प्रशिक्षण दिया गया। मोगराराम गांव के बाल पत्रकारों द्वारा पानी एवं स्वच्छता के मुद्दे पर लिखी गईं रिपोर्ट्स -

टंकी तो बनी, पर कमजोर - अंकित, 8वीं


हमारे गांव की टंकी में पानी बहुत दूर से आता है। पानी ट्यूबवेल में से आता है तथा टंकी में से पानी नल द्वारा घर-घर पहुंचाया जाता है। टंकी के पास वाले मोहल्ले के लोग इतना पानी बहाते हैं कि आगे के मोहल्ले में पानी पहुंच ही नहीं पाता है। इस कारण आधे घरों में पानी पहुँचता है और आधे घरों में नहीं। जब टंकी से पानी घरों तक जाता है तो कहीं-कहीं पाइपलाईन फूटी दिखाई देती है और टंकी भी ऐसी बनी है कि उसमें से जगह-जगह से पानी टपकता है। टंकी को बने अभी तो 2 साल ही हुए हैं। यदि किसी दिन टंकी फूट गई तो उसके पास रहने वाले सपेरों की जो गाये वहां बंधी रहती हैं उनको नुकसान पहुंचेगा। न तो टंकी की देखभाल होती है और न ही पानी की जांच होती है। और नल भी 3 दिन मे 1 बार खोले जाते हैं। नल शाम को खोले जाते हैं। जब कभी टंकी की मोटर जल जाती है या वाल्व खराब हो जाता है तो 2 महीने तक सुधरवाया नहीं जाता है। टंकी में जो 2 माह का पानी भरा होता है, उसी में और पानी भरकर वही पानी घर-घर पहुंचाया जाता है। 2 माह का बासी पानी पीने से लोग बीमार हो जाते हैं किंतु इस ओर कोई भी ध्यान नहीं देता है।

शौचालय नहीं है स्कूल में - दीक्षा, 8वीं


स्कूल में शौचालय नहीं होने से बच्चों को घर जाना पड़ता है, जिससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होता है और कई बच्चों के घर दूर होने के कारण उन्हें अधिक समय लगता है और जो छोटे बच्चे होते हैं वो शायद हाथ नहीं धोते हैं, जिससे दूसरे बच्चों को भी बीमारियाँ हो सकती हैं। ज्यादा से ज्यादा बच्चों के घर में शौचालय नहीं है और वो बच्चे शौच के लिए खुले में जाते हैं, जिससे वातावरण प्रदूषित होता है। सरकार ने शौचालय बनवाने का सोचा भी लड़कियों के लिए अलग, लड़कों के लिए अलग, पर यहां स्कूल में तो एक भी शौचालय नहीं है। इस मर्यादा अभियान में हमारे सरपंच व पंचायत को खरा उतरना चाहिए व इस आंदोलन में बच्चों को व उनके माता-पिताओं को सहयोग देना चाहिए। शौच बाहर करने से कीटाणु-रोगाणु फैलते हैं और यह रोगाणु-कीटाणु हमारे भोजन में मिलकर हमें बीमारी से पीड़ित करते हैं। हर स्कूल, हर घर में शौचालय होना चाहिए। हर स्कूल में हो शौचालय अपना - हर बच्चे का है ये सपना।

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