स्वैच्छिक संस्था समर्थन द्वारा सेव द चिल्ड्रेन एवं वाटर एड के सहयोग से सीहोर जिले के बच्चों को बाल पत्रकारिता का प्रशिक्षण दिया गया। आमाझिर गांव के बाल पत्रकारों द्वारा पानी एवं स्वच्छता के मुद्दे पर लिखी गईं रिपोर्ट्स -
मेरे स्कूल के पास सब शौच करके जाते हैं। हम सबसे बहुत मना करते हैं फिर भी सभी शौच कर जाते हैं। 26 जनवरी एवं 15 अगस्त को माइक से भी मना किया जाता है और उस दिन सब कह देते हैं कि अब नहीं करेंगे और फिर वापस वही करते हैं। वह यह नहीं सोचते हैं कि स्कूल के पीछे शौच करेंगे, तो इसी स्कूल में तो हमारे बच्चे भी पढ़ने आते हैं। उनको क्या यह अच्छा लगेगा?उनको बदबू नहीं आएगी? और यदि स्कूल के बाथरूम खुले रहते हैं तो उसमें भी शौच कर जाते हैं। स्कूल के पास एक कुआं भी है और उसमें जाली नहीं है। अनजाने में कोई इसमें गिर जाए तो इसका जिम्मेदार तो स्कूल को ही ठहराया जाएगा। सरपंच से कुएं में जाली लगवाने को कहा था, तो उन्होंने कहा कि लगवा देंगे, किंतु आज तक नहीं लगवार्इ्र है।
हमारे गांव की आंगनवाड़ी में 6 साल से कम उम्र के बच्चे जाते हैं। आंगनवाड़ी में बहुत सी योजनाएं चलाई गई हैं। आंगनवाड़ी में खाने के लिए पहले मक्के के फूले दिए जाते थे, अब तो पैकेट मिलते हैं। आंगनवाड़ी में हाथ धुलवाई कार्यक्रम करवाया गया। आंगनवाड़ी में गर्भवती महिलाओं को तुलवाई करवाना, उन्हें टीका लगवाने के काम होता है और सरकारी चिकित्सक आते हैं। और अब तो लाडली लक्ष्मी योजना चलाई जाती है। छोटे बच्चों को टीका लगाना, पोलियो की दवा पिलाना आदि काम होते हैं। और हमारी आंगनवाड़ी है, उसमें बरसात में पानी टपकता है और अंदर पानी भर आता है।
मेरे गांव के पंचायत भवन में सरपंच, सदस्य, सचिव, बड़े बुजुर्ग आदि बैठते हैं। हमारी पंचायत में बहुत सी योजनाएं चलाई जाती हैं। सड़क निर्माण, टंकी निर्माण से नलकूप चलाना, नालियां साफ करवाना। गंदगी को गांव से बाहर फेंक देते हैं। गांव में शौचालय की योजना चलाई गई, शॉकपीड बनाने के लिए कहा। छप्पर घर को लेंटरदार बनाने की योजना चलाई गई। परंतु गांव में अभी भी बहुत कुछ करवाना आवश्यक है। सोख्ता गड्ढा बनवाना, घर के पट्टे बनवाना। हमारी पंचायत ने सड़क निर्माण योजना को पूरा किया। अभी नलकूप की योजना चली है। पर हमारे गांव में एक घर में भी नलकूप नहीं है। हमारे गांव में शौचालय की योजना चलाई गई है। जिसमें आधे से ज्यादा लाभ उठा चुके हैं। गांव में सिर्फ 2 हैंडपंपों के पास ही सोख्ता गड्ढा है और बाकी हैंडपंपों के पास नहीं है।
हमारे गांव में खेल का मैदान है। उस खेल के मैदान में बहुत सारे गड्ढे हैं। पास ही स्कूल हैं, वहां पर बहुत से बच्चे खेलने आते हैं। बच्चों को क्रिकेट बहुत पसंद है। कुछ बच्चों को कबड्डी अच्छी लगती है। मैदान बहुत बड़ा है। मैदान के पास टंकी है। जब बरसात होती है, तो मैदान में बहुत सा घास उगता है। उस मैदान के आसपास तार फेंसिंग नहीं लगी है, तो गांव के लोग गाय को मैदान में चारा खाने के लिए खुला छोड़ देते हैं। मैदान गीला रहता है, वहां गाय के पैर बन जाते हैं और मैदान में गड्ढे बन जाते हैं। फिर वे बड़े हो जाते हैं। मैदान में आसपास के लोग कंडे थोप देते हैं। जब हम क्रिकेट खेलने जाते हैं तो हमारी गेंद कंडे पर जाती है, तो लोग गालियां देते हैं।
बगीचे से मिलता है स्वच्छ वातावरण। हमारे गांव के बगीचे में विभिन्न प्रकार के पक्षी रहते हैं। हमारे बगीचे में बहुत से पक्षी चहचहाते हैं, जिससे बगीचे में बैठे लोगों का मन प्रसन्न हो जाता है। हमारे बगीचे में बहुत सारे पेड़ हैं, जैसे - आम, आंवला, रामफल, बीही आदि। हमें हमारे बगीचे के पेड़ों को नुकसान नही पहुंचाना चाहिए। हमारा बगीचा बहुत छोटा है। हम हमारे बगीचे में खेलते हैं, कभी तो हम बगीचे में आराम करते हैं। परंतु हमारे बगीचे में कचरा भी है, जिसमे सांप और बिच्छु रहते हैं। हमारे बगीचे में हमारे पड़ोस के गांव के बच्चे चुपके से आम और बीही तोड़ ले जाते हैं। फल के साथ-साथ पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। ये गलत बात है।
स्कूल के पास करते हैं शौच - अभिलाषा, 7वीं
मेरे स्कूल के पास सब शौच करके जाते हैं। हम सबसे बहुत मना करते हैं फिर भी सभी शौच कर जाते हैं। 26 जनवरी एवं 15 अगस्त को माइक से भी मना किया जाता है और उस दिन सब कह देते हैं कि अब नहीं करेंगे और फिर वापस वही करते हैं। वह यह नहीं सोचते हैं कि स्कूल के पीछे शौच करेंगे, तो इसी स्कूल में तो हमारे बच्चे भी पढ़ने आते हैं। उनको क्या यह अच्छा लगेगा?उनको बदबू नहीं आएगी? और यदि स्कूल के बाथरूम खुले रहते हैं तो उसमें भी शौच कर जाते हैं। स्कूल के पास एक कुआं भी है और उसमें जाली नहीं है। अनजाने में कोई इसमें गिर जाए तो इसका जिम्मेदार तो स्कूल को ही ठहराया जाएगा। सरपंच से कुएं में जाली लगवाने को कहा था, तो उन्होंने कहा कि लगवा देंगे, किंतु आज तक नहीं लगवार्इ्र है।
बच्चों की देखरेख के लिए जरूरी आंगनवाड़ी - अभिलाषा, 7वीं
हमारे गांव की आंगनवाड़ी में 6 साल से कम उम्र के बच्चे जाते हैं। आंगनवाड़ी में बहुत सी योजनाएं चलाई गई हैं। आंगनवाड़ी में खाने के लिए पहले मक्के के फूले दिए जाते थे, अब तो पैकेट मिलते हैं। आंगनवाड़ी में हाथ धुलवाई कार्यक्रम करवाया गया। आंगनवाड़ी में गर्भवती महिलाओं को तुलवाई करवाना, उन्हें टीका लगवाने के काम होता है और सरकारी चिकित्सक आते हैं। और अब तो लाडली लक्ष्मी योजना चलाई जाती है। छोटे बच्चों को टीका लगाना, पोलियो की दवा पिलाना आदि काम होते हैं। और हमारी आंगनवाड़ी है, उसमें बरसात में पानी टपकता है और अंदर पानी भर आता है।
मेरे गांव की पंचायत - अभिलाषा, 7वीं
मेरे गांव के पंचायत भवन में सरपंच, सदस्य, सचिव, बड़े बुजुर्ग आदि बैठते हैं। हमारी पंचायत में बहुत सी योजनाएं चलाई जाती हैं। सड़क निर्माण, टंकी निर्माण से नलकूप चलाना, नालियां साफ करवाना। गंदगी को गांव से बाहर फेंक देते हैं। गांव में शौचालय की योजना चलाई गई, शॉकपीड बनाने के लिए कहा। छप्पर घर को लेंटरदार बनाने की योजना चलाई गई। परंतु गांव में अभी भी बहुत कुछ करवाना आवश्यक है। सोख्ता गड्ढा बनवाना, घर के पट्टे बनवाना। हमारी पंचायत ने सड़क निर्माण योजना को पूरा किया। अभी नलकूप की योजना चली है। पर हमारे गांव में एक घर में भी नलकूप नहीं है। हमारे गांव में शौचालय की योजना चलाई गई है। जिसमें आधे से ज्यादा लाभ उठा चुके हैं। गांव में सिर्फ 2 हैंडपंपों के पास ही सोख्ता गड्ढा है और बाकी हैंडपंपों के पास नहीं है।
खेल के मैदान में गड्ढे - अरविंद
हमारे गांव में खेल का मैदान है। उस खेल के मैदान में बहुत सारे गड्ढे हैं। पास ही स्कूल हैं, वहां पर बहुत से बच्चे खेलने आते हैं। बच्चों को क्रिकेट बहुत पसंद है। कुछ बच्चों को कबड्डी अच्छी लगती है। मैदान बहुत बड़ा है। मैदान के पास टंकी है। जब बरसात होती है, तो मैदान में बहुत सा घास उगता है। उस मैदान के आसपास तार फेंसिंग नहीं लगी है, तो गांव के लोग गाय को मैदान में चारा खाने के लिए खुला छोड़ देते हैं। मैदान गीला रहता है, वहां गाय के पैर बन जाते हैं और मैदान में गड्ढे बन जाते हैं। फिर वे बड़े हो जाते हैं। मैदान में आसपास के लोग कंडे थोप देते हैं। जब हम क्रिकेट खेलने जाते हैं तो हमारी गेंद कंडे पर जाती है, तो लोग गालियां देते हैं।
बगीचा देता है स्वच्छ वातावरण - नवीन, 7वीं
बगीचे से मिलता है स्वच्छ वातावरण। हमारे गांव के बगीचे में विभिन्न प्रकार के पक्षी रहते हैं। हमारे बगीचे में बहुत से पक्षी चहचहाते हैं, जिससे बगीचे में बैठे लोगों का मन प्रसन्न हो जाता है। हमारे बगीचे में बहुत सारे पेड़ हैं, जैसे - आम, आंवला, रामफल, बीही आदि। हमें हमारे बगीचे के पेड़ों को नुकसान नही पहुंचाना चाहिए। हमारा बगीचा बहुत छोटा है। हम हमारे बगीचे में खेलते हैं, कभी तो हम बगीचे में आराम करते हैं। परंतु हमारे बगीचे में कचरा भी है, जिसमे सांप और बिच्छु रहते हैं। हमारे बगीचे में हमारे पड़ोस के गांव के बच्चे चुपके से आम और बीही तोड़ ले जाते हैं। फल के साथ-साथ पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। ये गलत बात है।
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